हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। एक बार फिर हसदेव एक्सप्रेस की जनहितकारी खबर ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में महती भूमिका अदा की । सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे रोगदा के पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने कलेक्टर जनचौपाल में स्वयं कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के बावजूद एसडीएम द्वारा मातहम अमले के साथ दस दिन बाद भी सुध नहीं लेने की खबर जैसे ही वायरल हुई । कलेक्टर के कोपभाजन से बचने एसडीएम ,तहसीलदार ,टीआई पटवारी कड़ी दोपहरी में रोगदा पहुंचे।पीड़ित परिवार पर खबर वायरल करने की खीझ निकालने के बाद अखिरकार पँचायत भवन में सुलह कराई गई। विवाद का केंद्र बिंदु बने पट्टे की भूमि पर निर्मित तालाब में आगे भविष्य में मछलीपालन न कर पूरे गांव को निस्तारी के लिए पूर्ववत निर्विवाद उपलब्ध कराए जाने एवं वर्तमान में डाले गए मछली का आवेदक व ग्रामवासियों के बीच 50 -50 फीसदी बंटवारा कर तालाब पीड़ित पट्टाधारी के ही स्वामित्व में होने की सहमति पर समझौता हो गया। सामाजिक बहिष्कार का मौखिक निर्णय ग्रामवासियों ने वापस ले लिया। पूरे ग्रामवासी 8 मई को आयोजित होने वाले शादी में शरीक होंगे।
यहां बताना होगा कि करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत रोगदा निवासी हेमलाल पटेल पिता स्व. पन्डू पटेल पिछले 8 वर्षों से अपने पट्टे में मिली भूमि खसरा नम्बर 269 रकबा 0.105 हेक्टेयर पर बनाए गए तालाब में मछली पालन कर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते आ रहा है लेकिन यह कार्य ग्रामवासियों को नागवार गुजर रहा था। ग्राम वासियों ने सरपंच पर दबाव बनाते हुए हेमलाल पटेल की निजी तालाब को शासन की मनरेगा योजना अंतर्गत दिए जाने का दबाव बनाया। आजीविका के लिए एक मात्र साधन होने की वजह से हेमलाल ने इसे शासन को देने से इंकार कर दिया था। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने हेमलाल पटेल का सामाजिक बहिष्कार कर पिछले 3 माह से हुक्का पानी बन्द कर दिया था। बकायदा ग्रामवासियों को चेतावनी दी गई थी कि हेमलाल पटेल के परिवार को राशन एवं अन्य सामान देने पर कड़ाई से अर्थदंड वसूला जाएगा। जिसकी वजह से हेमलाल के परिवार का हुक्का पानी बन्द हो गया था। सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हेमलाल को 8 मई को होने वाली अपनी छोटी पुत्री के विवाह की चिंता सताई जा रही थी । दबंगों ने ग्रामीणों को शादी में शरीक नहीं होने की चेतावनी दे रखी थी । लिहाजा न्याय की आस लेकर हेमलाल ने 19 मार्च 2022 को थाना प्रभारी उरगा को लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई थी । लेकिन यहां भी उन्हें न्याय नहीं मिला ।परेशान हेमलाल पटेल ने 12 अप्रैल को कलेक्टर जनचौपाल में न्याय की गुहार लगाई थी । उन्होंने पुत्री के साथ पहुंचकर कलेक्टर को बताया था कि उनका पूरा परिवार सामाजिक बहिष्कार एवं हुक्का पानी बन्द होने से दाने दाने का मोहताज हो गया है। रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए दूसरे गांव जाना पड़ रहा है। ग्रामवासियों ने बातचीत भी बन्द कर दी है। हेमलाल ने कहा था कि उनके परिवार के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घटने पर ग्रामवासी रोगदा जिम्मेदार होंगे।प्रकरण को गम्भीरतापूर्वक लेते हुए कलेक्टर श्रीमती रानु साहू ने जनचौपाल में ही जांच के आदेश दिए थे । उन्होंने एसडीएम कोरबा हरिशंकर पैकरा को तत्काल पुलिस ,राजस्व व जनपद पंचायत के अधिकारियों की संयुक्त टीम बनाकर गांव में जाकर मामले की पूरी जांच कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। लेकिन 10 दिन गुजरने के बाद भी आज पर्यंत टीम पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाना तो दूर झांकने तक नहीं पहुंची। इस तरह एसडीएम कोरबा ने सीधे सीधे कलेक्टर के आदेश को ही नजरअंदाज कर दिया। इधर पीड़ित परिवार ने वीडियो संदेश जारी कर पुनः अपनी व्यथा सुनाई थी । हेमलाल पटेल व उनकी बुजुर्ग माताजी ने भावुक वीडियो संदेश के माध्यम से कलेक्टर के निर्देश के बाद भी आज पर्यंत जांच के लिए टीम के नहीं पहुंचने पर निराशा जताई थी । साथ ही कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए थे । जारी वीडियो संदेश में हेमलाल की बुज़ुर्गवमाताजी ने बताया था कि उनका पुत्र हेमलाल पटेल पट्टे में मिली भूमि में तालाब बनाकर मछलीपालन जीविकोपार्जन करते आ रहा है । लेकिन जब उसके पुत्र ने तालाब को मनरेगा योजना अंतर्गत सुपुर्द (शासकीयकरण ) करने से इंकार किया तो परिवार को बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिया गया है। वीडियो सन्देश में महिला कलेक्टर से जांच के लिए त्वरित टीम भेजने का आग्रह की थी। साथ ही यह कहती नजर आ रही थी कि उनसे सबने बातचीत बन्द कर दिया है उसकी पोती की शादी कैसे होगी। शीघ्र पहल नहीं करने पर पीड़ित परिवार ने आत्मदाह की चेतावनी दी थी ।मामले में कलेक्टर के निर्देश के बाद एसडीएम हरिशंकर पैकरा की घोर लापरवाही उदासीनता को हसदेव एक्सप्रेस ने प्रमुखता से उठाते हुए पीड़ित परिवार के वीडियो संदेश के साथ सोशल मीडिया में न्यूज वायरल किया था। दोपदर 12 बजे जैसे ही यह खबर वायरल हुई एसडीएम तहसीलदार टीआई सबके पसीने छूट गए । कलेक्टर एसपी के कोपभाजन से बचने तत्काल एसडीएम हरिशंकर पैकरा ,तहसीलदार बरपाली आराधना प्रधान ,उरगा टीआई ,खाद्य विभाग के अधिकारी व पटवारी रोगदा पहुंचे। यहां पीड़ित परिवार से मिल ग्राम पंचायत भवन में आवश्यक बैठक बुलाई गई। जिसमें अधिकारियों की मौजूदगी में पीड़ित हेमलाल पटेल का पूरा परिवार सहित ग्रामवासी उपस्थित हुए। इस दौरान पीड़ित परिवार पर सोशल मीडिया में जारी संदेश से हुई फजीहत को लेकर एसडीएम तहसीलदार ने अपनी खीझ निकाली। लेकिन हमेशा अपने अधिकारों के लिए अडिग रहने वाली हेमलाल व उनकी पुत्री ने बेझिझक अफसरों को ही कायदे कानून और न्याय व्यवस्था का पाठ पढ़ा ढिया। और सीधे तौर पर स्वीकार किया कि आप कलेक्टर के दिए आदेश के दस दिन बाद भी झांकने तक नहीं पहुंचे तो हमने मीडिया के माध्यम से कलेक्टर मैडम एसपी सर तक अपनी बात पहुंचाना उचित समझा। इतना सुनते ही अधिकारी शांत हो गए व मूल मुद्दे पर आ गए। सामाजिक बहिष्कार की वजह पूछी गई तो तालाब इसका केंद्र बिंदु के रूप में सामने आया। दरअसल हेमलाल पिछले 8 वर्षों से उक्त तालाब में मछलीपालन करते आ रहा है पूर्व में ग्रामीण इसमें निस्तारी करते थे। लेकिन 8 साल तक विवाद की स्थिति निर्मित नहीं होने के बाद इस साल अचानक पंचायत ने इसे सार्वजनिक हित के लिए सुपुर्द करने का दबाव बनाया।लेकिन आजीविका के साधन बना चुके पट्टे के भूमि की तालाब को हेमलाल मछलीपालन के लिए ठेके में देने तैयार नहीं थे। जिसकी वजह से ग्रामवासियों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया था।
यह हुआ समझौता
अधिकारियों ने विवाद का केंद्र बिंदु बने पट्टे की भूमि पर निर्मित तालाब में आगे भविष्य में मछलीपालन न कर पूरे गांव को निस्तारी के लिए पूर्ववत निर्विवाद उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए जिस पर हेमलाल ने सहमति जताई। वर्तमान में डाले गए मछली का आवेदक व ग्रामवासियों के बीच 50 -50 फीसदी बंटवारा कर तालाब पीड़ित पट्टाधारी के ही स्वामित्व में होने की सहमति पर समझौता हो गया। सामाजिक बहिष्कार का मौखिक निर्णय ग्रामवासियों ने वापस ले लिया। पूरे ग्रामवासी 8 मई को आयोजित होने वाले शादी में शरीक होंगे।