कोरबा। भारत एल्यूमिनियम कंपनी (बाल्को) के विस्तार परियोजना को केंद्रीय वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय दिल्ली से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही राज्य शासन ने भी 5.10 लाख टन स्मेल्टर संयंत्र के निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान कर दी है। चीन के गामी कंपनी से निर्माण कार्य का अनुबंध किया गया है। जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा। नए स्मेल्टर संयंत्र स्थापित होेने के बाद बाल्को की कुल एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता 10.85 लाख टन (1.85 मिलियन टन) हो जाएगी।
वर्ष 2000 में बाल्को का विनिवेश के बाद 51 फीसद शेयर हासिल करने वाली कंपनी (पहले स्टरलाइट) वेदांता का हाट मेटल उत्पादन पर फोकस है। पहले फेस में ढाई लाख टन क्षमता की नई स्मेल्टर प्लांट की स्थापना की गई। इसके साथ ही एक लाख टन क्षमता वाली पुरानी तकनीक होने की वजह से संयंत्र को बंद कर दिया गया। कंपनी ने वर्ष 2016-17 में 3.25 लाख टन क्षमता का ग्रीनबेल्ट स्मेल्टर ही शुरू किया। 5.10 लाख टन ब्राउनबेल्ट स्मेल्टर की स्थापना की योजना तैयार की गई।
पिछले करीब पांच साल से पर्यावरणीय स्वीकृति का प्रयास किया जा रहा था। तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी व निदेशक (सीईओ) विकास शर्मा ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिश की पर सफलता नहीं मिल सकी। वर्ष 2019 में सीईओ के पद पर अभिजीत पति को यह जिम्मेदारी देते हुए पदस्थ किया गया। उनके प्रयास से लगातार उन अड़चनों को दूर किया गया, जिसकी वजह से अब तक स्वीकृति में दिक्कते आ रही थी। अंतत: उन्हें सफलता मिली और अब जाकर प्रोजेक्ट को केंद्रीय स्तर पर हरी झंडी मिल गई है। करीब छह हजार करोड़ रुपये की मशीनरी खरीदी जाएगी, साथ ही एक हजार करोड़ रुपये निर्माण में खर्च आएगा। इस तरह करीब सात हजार करोड़ का निवेश नए प्रोजेक्ट पर वेदांता समूह करेगी।
18 माह में बन कर तैयार होगा प्रोजेक्ट
बाल्को संयंत्र परिसर में ही पर्याप्त जगह है। जहां नए संयंत्र का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। एक लाख टन क्षमता वाले पुराने संयंत्र डिस्मेंटल किया गया था, उस स्थान में यह प्रोजेक्ट लगेगा। करीब 18 माह के अंदर निर्माण काम पूरा किए जाने का अनुबंध किया गया है। प्रतिदिन 10 हजार मजदूर काम करेंगे। छत्तीसगढ़ के मजदूरों के अलावा अन्य राज्य के मजदूरों को भी काम मिलेगा। बाल्को क्षेत्र में व्यवसाय भी तेजी से विकसित होगा।
वेदांता बन जाएगी सबसे बड़ी उत्पादन कंपनी
बाल्को में नए स्मेल्टर के अस्तित्व में आने के बाद वेदांता सबसे बड़ा एल्यूमिनियम उत्पादन कंपनी बन जाएगी। वहीं बाल्को संयंत्र दूसरे स्थान पर रहेगा। वर्तमान में वेदांता के झारसुगड़ा स्थित संयंत्र से लगभग 13 लाख टन प्रतिवर्ष एल्यूमिनियम उत्पादन हो रहा है। वहीं वेदांता कंपनी में 23 लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन कर रही।
बाक्साइट की उपलब्धता से रिफाइनरी पर भी विचार
चार लाख टन बाक्साइट से दो लाख टन एल्यूमिना पावडर बनता है, इससे एक लाख टन एल्यूमिनियम तैयार किया जाता है। बाक्साइट से एल्यूमिना रिफाइनरी संयंत्र से तैयार किया जाता है। बाल्को में दो लाख टन क्षमता वाली रिफाइनरी को बंद कर दिया गया है। वर्तमान में ओडिसा के लांजीगढ़ से एल्यूमिना पावडर की आपूर्ति की जा रही। बाल्को प्रबंधन ने राज्य सरकार के समक्ष अंबिकापुर जिले में प्रचूरमात्रा में मौजूद बाक्साइट उत्खनन का प्रस्ताव भी रखा है। जिसमें कहा गया है कि सरकार खुद बाक्साइट खदान का संचालन कर बाल्को को आपूर्ति करे। इससे उत्खनन का राजस्व मिलेगा, साथ ही क्षेत्र के लोगों को रोजगार। बाक्साइट की उपलब्धता सुनिश्चित होने पर संयंत्र परिसर में नई रिफाइनरी स्थापित करने पर भी विचार किया जाएगा।
पर्यावरणीय जनसुनवाई की प्रक्रिया हो चुकी है पूर्ण
नए स्मेल्टर स्थापना के लिए फरवरी 2021 में पर्यावरणीय जनसुनवाई हो चुकी है। नए संयंत्र में 2500 नियमित अधिकारी- कर्मचारी व 4500 आउटसोर्सिंग के कर्मचारी नियोजित किए जाएंगे। इस तरह करीब सात हजार लोगों को प्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिलेगा, वहीं परोक्ष रुप से तीन हजार से अधिक लोग कारोबार से जुड़ेंगे।
बंद बीसीपीपी परिसर में फिलहाल कोई प्रोजेक्ट नहीं
बाल्को के कैप्टिव पावर प्लांट (बीसीपीपी) में फिलहाल कोई नई परियोजना नहीं आने वाली है। नए स्मेल्टर को मौजूदा बिजली उत्पादन से ही आपूर्ति किया जाएगा। वर्तमान में 1200 मेगावाट व 540 मेगावाट के दो कैप्टिव पावर संयंत्र संचालित है। आवश्यकता पड़ने पर बाहर से बिजली खरीदने की योजना है।
एल्यूमिनियम पार्क के लिए भी खुला रास्ता
नए स्मेल्टर को स्वीकृति मिलने के साथ ही लंबे समय से अटके एल्यूमिनियम पार्क स्थापना की उम्मीद जगी है। प्रबंधन ने राज्य सरकार के समक्ष संयंत्र के चार किलोमीटर के दायरे में करीब 500 एकड़ जमीन आबंटित करने का प्रस्ताव रखा है। यहां एल्यूमिनियम से जुड़े उत्पाद के लघु उद्योग स्थापित किए जाएंगे। अभी बाल्को से महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश व अन्य राज्यों के बड़े उद्योगों को एल्यूमिनियम की आपूर्ति की जा रही। वहां दोबारा एल्यूमिनियम की गलाने की प्रक्रिया करनी पड़ती है। एल्यूमिनियम पार्क के उद्योगों को सीधे लिक्विड भेजा जाएगा। जहां अपने उत्पाद के सांचों में सीधे तौर पर ढाला जा सकेगा। जमीन आबंटित होने पर बाल्को इंवेस्टरों को राजधानी में आमंत्रित करेगी। एल्यूमिनियम पार्क के प्रारंभ होने से करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।