नामांकन दाखिले के बाद 12 साल से काट रहा था दफ्तर का चक्कर,जिला अस्पताल पुलिस ने पीड़ित का किया बयान दर्ज
कोरबा। एसईसीएल प्रबंधन ने जमीन तो अधिग्रहण कर लिया, लेकिन नामांकन दाखिले के 12 साल बाद भी भू विस्थापित को नौकरी नही दी। इस दौरान बेरोजगारी का दंश झेल रहा भू विस्थापित दफ्तर का चक्कर काटता रहा। आखिरकार उसने जान देने की नियत से फिनायल का सेवन कर लिया। डॉक्टरों ने सघन उपचार के बाद युवक की जान तो बचा ली, लेकिन 12 घंटे से अधिक समय तक गले में ही आवाज दबी रही। पुलिस ने पीड़ित का बयान दर्ज कर लिया है।
कुसमुंडा थानांतर्गत ग्राम पाली पड़नियां में राजू प्रसाद शुक्ला निवास करते है। बुधवार की सुबह श्री शुक्ला परिवार के साथ बैठे थे। इसी दौरान उनके पुत्र प्रशांत शुक्ला 35 वर्ष ने फिनायल का सेवन कर लिया। इसकी जानकारी होते ही घर में कोहराम मच गया। आनन फानन में परिजनों ने संजीवनी एक्सप्रेस की मदद से प्रशांत को उपचार के लिए जिला अस्पताल में दाखिल कराया, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। प्रशांत के आत्मघाती कदम उठाने की वजह एसईसीएल में जमीन अधिग्रहण के बाद भी नौकरी नही मिलना बताया जा रहा है। श्री शुक्ला ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ ग्राम बरकुटा में निवास करते थे। एसईसीएल ने वर्ष 1995-96 में बरकुटा की जमीन का अधिग्रहण कर लिया। इस दौरान उनकी भी 1.54 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई। जिसमें मकान भी शामिल था। इसके एवज में मुआवजा प्रदान किया गया। प्रबंधन की ओर से नौकरी सहित अन्य सुविधाएं प्रदान करने का आश्वासन दिया गया था। वे जमीन अधिग्रहण के बाद पाली पड़नियां में आकर रह रहे है। उन्होंने वर्ष 2011-12 में भू अर्जन के एवज में इकलौते पुत्र प्रशांत की नौकरी के लिए एसईसीएल कार्यालय में नामांकन भी दाखिल करा दिया। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद लगातार दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं। प्रबंधन की ओर से हर बार जल्द नौकरी प्रदान करने का आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन 12 साल बाद भी प्रशांत को रोजगार मुहैया नही कराया गया। फिनायल सेवन की वजह से गले में आवाज दब गई है। हालांकि गुरूवार की शाम हालत में सुधार होने के बाद पुलिस ने पीड़ित का बयान दर्ज कर लिया है।
ऐसे हुआ आत्मघाती कदम उठाने का खुलासा
पाली पड़नियां निवासी आरपी शुक्ला एसईसीएल गेवरा में कार्यरत है। उनके साथ ही इकलौता पुत्र अपनी पत्नी व पुत्र के साथ निवास करता है। उनकी स्थिति सामाजिक और आर्थिक रूप से भी बेहतर है। इसके बावजूद बेटे का फिनायल सेवन करने की बात समझ से परे था। इसका खुलासा तब हुआ, जब मेमो के आधार पर अस्पताल पुलिस बयान दर्ज करने पहुंची। उसने गले से आवाज नही निकलने के कारण कागज में लिखकर परेशानी बयां करने का प्रयास किया।
नियम कायदे आड़े आने की सता रही चिंता
एसईसीएल प्रबंधन ने करीब 26 साल पहले बरकुटा की जमीन का अधिग्रहण कर लिया। प्रबंधन की ओर मुआवजा प्रदान करते हुए नौकरी का आश्वासन दिया गया। इन बीते सालों में भू अर्जन के एवज में नौकरी के लिए नियम कायदे बदलते रहे। वर्तमान में भी नए नियम के अनुसार नौकरी दी जा रही है। वहीं प्रशांत का उम्र भी 35 वर्ष हो गया है, ऐसे में परिवार को नियम कायदे के कारण रोजगार की चिंता भी सता रही है।