देशव्यापी हड़ताल का जिले की कुछ इकाईयों में रहा आंशिक असर, खदानों में कोयला उत्पादन सामान्य

कोरबा। कमर्शियल माइनिंग को अनुमति दिए जाने के विरोध में एक दिन की देशव्यापी हड़ताल कोरबा जिले में बहुत ज्यादा असर नहीं डाल सकी। यहां के कोलफील्ड्स में उत्पादन संबंधी कार्य सामान्य ढंग से संचालित होने का दावा प्रबंधन की ओर से किया गया। इसके बीच हड़ताल का आह्वान करने वाले यूनियनों ने प्रदर्शन किया। हड़ताल के समर्थन में बैंक और बीमा संस्थान के शामिल रहने से वहां कामकाज नहीं हुआ। इस हड़ताल का आह्वान भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ को छोडक़र अन्य ट्रेड यूनियनों ने किया था। इससे पहले हड़ताल का अल्टीमेटम सरकार को दिया गया था और मुद्दे पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। इस दिशा में बातचीत की गई और विकल्प तलाशने का प्रयास किया गया जो बेनतीजा रहा। इस स्थिति में हड़ताल को अवैध करार देने की घोषणा के बावजूद 26 नवंबर को कोल सेक्टर में खासतौर पर हड़ताल की गई। कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल के सीएमडी ने हड़ताल को अवैध ठहराने के जरिए कोशिश की कि संबंधित यूनियनें बैकफुट पर आएं। इस मुद्दे को लेकर कई तरह के दावे किये जाते रहे और सफाई का जोर भी जारी रहा। हड़ताल दिवस को अस्तित्व की खातिर यूनियनों ने जिले के कई खदानों के आसपास प्रदर्शन किया और कमर्शियल माइनिंग को वापस लेने की मांग की। हड़ताल का आह्वान करने वाले यूनियन के प्रतिनिधि और सदस्यों की उपस्थिति मौके पर रही।
कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते नजर आये यूनियन प्रतिनिधि
हड़ताल को देखते हुए कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए एरिया के यूनियन प्रतिनिधि इकाईयों में दौरा कर रहे थे। केएसएस के अध्यक्ष अरविंद कुमार, सचिव जनकदास कुलदीप व अनूप सरकार प्रात: 6 बजे ढेलवाडीह, सिंघाली, बगदेवा, सुराकछार व बलगी में जाकर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया। धर्माराव एसकेएमएस के अध्यक्ष बन गए हैं। उनकी जवाबदारी और बढ़ गई है। उन्होंने इस बार कोरबा पश्चिम क्षेत्र के सभी इकाईयों का दौरा करते नजर आये। जबकि इधर एसईकेएमसी के गोपालनारायण सिंह, एसकेएमएस के दीपेश मिश्रा, एचएमएस के ए विश्वास व सुरेन्द्र मिश्रा भी इकाईयों में दौरा कर रहे थे।
सीजीएम कार्यालय व विद्युत कार्मिक विभाग ने कहा- उपस्थिति में कोई असर नहीं
कोरबा जिले के अंतर्गत चार क्षेत्रों में कोयला खनन का काम अलग-अलग खदानों के जरिए होता है। इनमें कोरबा क्षेत्र की अधिकतम अंडरग्राउंड सहित अन्य क्षेत्रों की ओपनकास्ट माइंस शामिल हैं। कार्मिक विभाग के कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा और दीपका विस्तार क्षेत्र के एपीएम से हड़ताल के बारे में जानकारी ली गई। अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल का आह्वान यूनियनों ने जरूर किया है लेकिन आज की स्थिति में जनरल शिफ्ट में खदानों में कोई असर नहीं पड़ा है। उत्पादन से लेकर अन्य कार्य सामान्य तरह से संचालित हो रहे हैं। द्वितीय शिफ्ट में क्या कुछ बदलाव होता है, यह बाद की बात होगी।यांत्रिकी विभाग के सामने प्रदर्शन
हड़ताल को सफल बनाने के लिए कोयला कामगार विद्युत यांत्रिकी विभाग के सामने जमाहोकर नारेबाजी करने लगे। यहां पर नवीन सिंह, मनोज कटेलिहा, अनूप सरकार, कृष्ण कुमार के नेतृतव में नारेबाजी किया गया। इसके बाद सारे कार्यकर्ता सीजीएम कार्यालय के सामने आ गए। यहां पर भी नारेबाजी करते नजर आये। केन्द्रीय कर्मशाला के सामने भी दिलीप सिंह, बीआर सुमन, रविनंदन चक्रवर्ती, राजेश पांडेय, एनके साव, सेंट्रल स्टोर के सामने अब्दूल माजिद, राकेश सिंह, एसके प्रसाद, भागवत सिंह द्वारा नारेबाजी किया गया। रजगामार में भी लक्ष्मण राठौर, रामनाथ कश्यप, कमर बक्श, ज्ञानचंद साहू, रामाधार चौबे 6 बजे पहुंच गए। यहां भी श्रमिकों से अपील करते देखा गया।
समर्थन में बंद रहे बैंक, बीमा संस्थान
कोल सेक्टर से जुड़ी मांग के अलावा विनिवेशीकरण के मुद्दे पर बैंक और बीमा सेक्टर ने हड़ताल का समर्थन किया। जिले में राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ बीमा कंपनियों में ताले बंद रहे। अधिकारियों और कर्मचारियों ने परिसर के बाहर सांकेतिक प्रदर्शन किया। हड़ताल के चक्कर में वे लोग खासे परेशान रहे जो जानकारी के अभाव में दूरदराज से अपने कार्यों के लिए बैंक और बीमा संस्थान पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि एक दिन की हड़ताल सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है।
कुसमुंडा में 3 स्थानों पर जमा हुए कार्यकर्ता
हड़ताल को सफल बनाने श्रमिक संगठनों पहले से ही रणनीति बना ली थी। कोरबा से कुसमुंडा जाने वाले श्रमिकों को रोकने के लिए सर्वमंगला पुल के निकट ही कार्यकर्ता जमा हो गए थे। इसके अलावा कबीर चौक व इमलीछापर फाटक के निकट भी कार्यकर्ता जमा हो गए थे। इन तीनों स्थानों पर मदन सिंह, विजय झा, अरूण झा, मिलन पांडेय, मनोहर, आबिद हुसैन, राजू सोनी, नवीन कुर्रे, सुगना बर्मन, अशोक साहू, बीडी महंत, एसएन राव नजर आये।
गेवरा श्रमिक चौक पर लगी भीड़
हड़ताल को सफल बनाने के लिए यूनियन प्रतिनिधि श्रमिक चौक के निकट प्रात: 6 बजे पहुंच गए थे। यहां पर गोपाल यादव, केएन सिन्हा, हरिचंद पटेल, मदनपाल सिंह, व्हीएन शुक्ला, श्री अघरिया, दीपक उपाध्याय सहित कई लोग मौजूद थे। इनके द्वारा अपील करते समय कामगारों की भारी भीड़ लग गई थी। इसके अलावा दीपका में भी मनोज सिंह, सतीश सिंह के द्वारा कामगारों से अपील करते हुए देखा गया।
पहले कहा था नहीं रोकेंगे, हड़ताल के दिन कई जगह हुआ ऐसा प्रयास
मानिकपुर खदान में हड़ताल का असर पड़ा है। यहां प्रथमपाली में कम कामगार ड्यूटी पर पहुंचे। यूनियन प्रतिनिधि प्रात: 6 बजे एमटीके कार्यालय में पहुंच गए जबकि बाजार के निकट चौक पर जमा होते थे। पहली बार यूनियन प्रतिनिधि किशोर सिन्हा, राजू श्रीवास्तव, मोहन प्रधान, संदीप चौधरी, प्रमोद बेनर्जी, केके शर्मा, भागवत सिंह, सुनित शुक्ला, सीताराम चौहान ने कामगारों से अपील करते हुए उन्हें रोकने का प्रयास किया। इससे पहले यूनियनों के द्वारा साफ तौर पर कहा गया था कि हड़ताल स्वैच्छिक है। जो कामगार ड्यूटी पर जाना चाहेंगे उन्हें किसी भी तरह से ना तो रोका जाएगा और ना ही रोकने की कोशिश की जाएगी। हड़ताल के दिन जिस तरह के नजारे देखने को मिले, उसमें विरोधाभास प्रतीत हुआ।