रायपुर | कोरोना ने शादी की रस्म बदल दिया है। शादी कराने वाले पंडित इसका पालन भी सख्ती से करवा रहे हैं। पहले वर-वधू सात फेरे लेने के बाद सीधे पंडित का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते थे। अब इस परंपरा को बंद कर दिया गया है। अब दूर से ही पंडित वर-वधू और उनके परिवार को आशीर्वाद दे रहे हैं। कोरोना ने शादियों की रस्म ही नहीं भागवत कथा की कई परंपराओं को भी खत्म कर दिया है। अब पहले जैसे गद्दी व्यास में बैठे महाराज के चरण नहीं धोया जाता। पहले यजमानों के द्वारा कथा समाप्ति के बाद कथावाचक के पैर धोते थे। इस कोरोनाकाल में खुद और समाज को सुरक्षित रखने के लिए पंडितों ने प्रोटोकॉल बनाया है। आने वाले सप्ताह में शादी की मुहूर्त सबसे ज्यादा है। इसे देखते हुए पंडितों को विशेष सावधानी बरतने प्रदेश में धर्म संघ पीठ परिषद और विश्व हिंदू परिषद के धर्माचार्य प्रमुख छत्तीसगढ़ ने दिशा-निर्देश भी दिए हैं।
11 दिसंबर तक शादी के आखिरी मुहूर्त: भारतीय वैदिक पंचांगों की मानें तो इस वर्ष 25 नवंबर के बाद 30 नवंबर को शुभ मुहूर्त है। वहीं, दिसंबर में 3, 7, 9 और 11 का भी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए ज्यादा 30 नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक के मुहूर्त में शादी कर रहे हैं।
नियमों का सख्ती से पालन करने पर ही कोरोना रुकेगा
“कोरोना को देखते हुए शादी समारोह में पंडित नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं। प्राचीनकाल की परंपरा फिर से लौट रही है। शुद्धता-पवित्रता पहली प्राथमिकता है। इससे कोरोना नियंत्रण होगा। सभी पंडित स्वयं सुरक्षित रहते हुए सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कार्यक्रम कराएं।”
-आचार्य झम्मन शास्त्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, धर्म-संघ पीठ परिषद