हसदेव अरण्य ‘परसा ‘के बाद अब छत्तीसगढ़ में यहां शुरू हुआ कोयला खदानों का विरोध ,ग्रामीणों ने जमीन नहीं देने का किया ऐलान ,पेसा एक्ट के उल्लंघन की राज्यपाल से शिकायत

रायगढ़ । सरगुजा क्षेत्र के बाद अब रायगढ़ जिले में भी प्रस्तावित कोयला खदानों का नए सिरे से विरोध शुरू हो गया है। इन्हीं में शामिल गारे पेलमा सेक्टर-2 की प्रतीक्षित कोयला खदान को लेकर ग्रामीणों ने बैठक आयोजित की और कोल माइंस के लिए जमीन नही देने और वहां पेसा कानून के हो रहे उल्लंघन की शिकायत राज्यपाल से करने का फैसला किया है।

रायगढ़ जिले में अनेक कोल ब्लॉक आबंटन के बाद भी बरसों से लंबित पड़े हैं। इनमे से कुछ को तो प्रारम्भ करा लिया गया, मगर अब दूसरी प्रस्तावित खदानों को विरोध के चलते स्वीकृति दिलाने में दिक्कत हो रही है। परसा केते कोल ब्लॉक की तरह ही रायगढ़ जिले के कोल ब्लॉक के लिए आयोजित ग्रामसभा भी विवादों में रहे हैं। रायगढ़ जिले के तमनार विकास खंड के अंतर्गत आने वाले गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक को महाराष्ट्र की कंपनी महाजेन्को को आबंटित किया गया है। जिसकी पर्यावरणीय जन सुनवाई 2019 में हुई थी। तब इसका भारी विरोध हुआ था। जिला प्रशासन कोल माइंस के लिए सर्फेस राइट एक्ट का इस्तेमाल कर ग्रामीणों की जमीन ले रहा है।

14 गांवों का नहीं बचेगा अस्तित्व

गारे पेलमा सेक्टर-2 से तमनार क्षेत्र के 14 गांव पूरी तरह विस्थापित हो जायेंगे। इन्हीं में शामिल मुड़ागांव मे आज बैठक का आयोजन किया गया, जिसमे बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। इनके अलावा सामाजिक कार्यकर्त्ता राजेश त्रिपाठी के साथ ही जान प्रतिनिधि शिवपाल भगत, हरिहर पटेल, सुरेश राठिया, शिव पटेल, लाल साय उरांव, खेमनिधि नायक, देवा सिदार, सुलोचना सिदार, श्यामलाल सिदार भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में प्रस्तावित कोयला खदान का जमकर विरोध हुआ। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि हर गांव में ग्राम सुरक्षा समिति बनाई जाय तथा प्रत्येक गांव में ग्राम सभा कर कोयला खदान हेतु जमीन न देने का प्रस्ताव पारित किया जाय।

फर्जी ग्राम सभा का मामला उजागर

इस बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने बताया कि महाजेन्को कंपनी द्वारा पूर्व में ग्राम सभा की जो जानकारी केंद्र सरकार को भेजी गई थी, वह सूचना के अधिकार के तहत ग्राम पंचायतो से जानकारी लेने के बाद फर्जी साबित हुई है। दरअसल महाजेन्को द्वारा ग्रामसभा के लिए जिन तारीखों का जिक्र किया गया, तब ग्राम पंचायतें भंग हो चुकी थीं और उनके चुनाव होने जा रहे थे। वहीं आरटीआई के तहत ग्राम पंचायतों ने जो जानकारी दी उससे यह तय हो गया कि ग्राम सभाएं फर्जी थीं। ग्रामीणों का कहना है वे किसी भी कीमत पर कोयला खदान हेतु जमीन नहीं देंगे।

बीपीएल ग्रामीणों ने कैसे खड़े किये लाखों के मकान

ग्रामीणों की इस बैठक में यह सवाल भी उठाया गया कि कोल प्रभावित गांवों में बीते कुछ महीनों में ही बहुमंजिला इमारतें कैसे बन गईं, निर्माण भी ऐसे ग्रामीणों की जमीन पर हुए हैं, जो बीपीएल याने गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आते हैं। मुआवजा पाने के लिए किये गए इन निर्माण कार्यों की जांच की मांग भी ग्रामीणों द्वारा किये जाने का फैसला किया गया।

पेसा कानून के उल्लंघन का आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले उनके इलाके में कोयला खदान प्रारम्भ करने की प्रक्रिया में पेसा कानून का जमकर उल्लंघन किया जा रहा है। इन तमाम मुद्दों को लेकर कोयला खदान से प्रभावित सभी गांवों के ग्रामीण आने वाले दिनों में एक विशाल रैली निकाल कर तमनार के तहसीलदार से मिलेंगे और राज्यपाल के नाम का ज्ञापन उन्हें सौंपेंगे।