यह कैसा अंधविश्वास !बच्चे को सर्प ने काटा तो 4 दिनों तक ग्रामीणों ने सर्प को बनाया बंधक ,बच्चे के स्वस्थ होकर घर लौटने सर्पमित्र की समझाईश के बाद किया आजाद

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में सर्पदंश के बाद सर्प को 4 दिनों तक कैद किए जाने का अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है।अंधविश्वास में जकड़े परिजनों ने सर्पदंश पीड़ित बालक के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो जाने तक सर्प को कैद किए रखा। सर्पमित्र की समझाईश व बच्चे के सकुशल वापसी के बाद अंततः सांप को मुक्त किया गया। इस घटना को लेकर पूरे जिले में चर्चाएं व्याप्त है।

मामला करतला विकासखण्ड के ग्राम कनकी का है। यहां गंगा राम धनवार अपने परिवार के साथ रहता हैं और खेती किसानी के साथ मछली पकड़ने का काम करता है। कुछ दिन पूर्व उनके घर में मानो दुख का पहाड़ टूट पड़ा। उसका बेटा अपने घर में ही खेल रहा था और खेलते खेलते आंगन में रखे लकड़ी के पास जा पहुंचा जिसमें पहले से ही एक नाग सांप बैठा था। फिर क्या था नाग सांप ने उस बच्चे के पैर में काट लिया, बच्चें ने जोर से चीख लगाई जिसके बाद माता पिता दौड़ कर बच्चे के पास पहुंचे फिर बच्चे ने बताया उसको सांप ने काट लिया है। ये ख़बर आग की तरह फैल गई और घर वाले बिना देरी किए बच्चों को लेकर जिला अस्पताल के लिए रवाना हो गए । घर वालों ने सांप को किसी तरफ पकड़ कर मछली के जाल से पकड़ लिया और तगाड़ी से ढक दिया। ये ख़बर फिर पूरे गांव में फैल गई और सांप को बंधक बनाए जाने को लेकर सबकी अपनी अपनी प्रतिक्रिया थी, वहीं दूसरी तरफ बच्चें को जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया।

आईसीयू में शिफ्ट करने के बाद सर्प मित्र को दी सूचना

बच्चे को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया, उसी दिन गांव वालो ने इस घटना की जानकारी रेस्क्यू टीम के अध्यक्ष वन विभाग सदस्य जितेन्द्र सारथी को दी ।।मामला की गम्भीरता को देखते हुए फौरन जिला अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर विशाल सिंह राजपूत (एमडी) और डॉक्टर धरम वीर सिंह (शिशु रोग विशेषज्ञ) से उपचार हो रहे बच्चे की जानकारी ली । जिस पर बताया गया बच्चे की हालत नाजुक बनी हुई हैं जिसके कारण बच्चो को आईसीयू में शिफ्ट किया गया हैं और उपचार जारी है। साथ ही ये भी बताया गया की अभी तक दस एंटी वेनम लगाया जा चुका हैं जिससे थोड़ा सुधार
होता दिख रहा बताया गया । सर्प मित्र सारथी ने माता पिता को हिम्मत दिलाते हुए कहा कि बच्चे को कुछ नहीं होगा आप सभी धैर्य रखें।

बोले परिजन जब तक बेटा स्वस्थ होकर नहीं लौटेगा नहीं करेंगे आजाद

दूसरे दिन जितेन्द्र सारथी अपने टीम के साथ गांव कनकी पहुंचे जहां अब भी सांप को बंधक बनाकर रखा गया था, बाकी परिवार वालो को समझाया गया पर घर के बाकी सदस्यों ने सांप को देने से साप माना कर दिया और बोला जब तक हमारा बच्चा घर नहीं आ जाता हम उस सांप को नहीं छोड़ेंगे और न ही उसको मारेंगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए जितेन्द्र सारथी ने वापस आना ही बेहतर समझा और वापस लौट गए, फिर दिन प्रतिदिन बच्चे को लेकर डॉक्टर और माता पिता से जितेन्द्र सारथी मिलते रहें, आखिकार बच्चे के स्वास्थ में सुधार आना चालू हो गया फिर चार दिन दिन बाद बच्चे को डिस्चार्ज किया गया और बच्चों को लेकर माता पिता घर लौट गए।

बच्चे के घर लौटने के बाद सर्पमित्र ने किया आजाद

घर पहुंचने के उपरांत गंगा राम ने पुनः जितेन्द्र सारथी को गांव आने को कहा और सांप को आज़ाद करने की बात कही।बिना देरी किए सारथी अपने टीम के साथ कनकी गांव के लिए निकल पड़े जो शहर से 25 किलोमीटर दूर है। वहां पहुंचने के उपरांत सभी गांव वालो को दूर किया और धीरे से तगाड़ी को उठाया फिर जाल को उठाया, फिर क्या सांप के हल चल को देखने के बाद सभी खुश हुए , गांव वालो को लग रहा था सांप 4 दिन से बिना खाएं पिए हैं तो मर गया होगा। फिर सांप को बाहर निकाला गया और डिब्बे में रखा गया तब जाकर सभी ने राहत की सांस ली।जितेन्द्र सारथी ने घर वालो के साथ पूरे गांव वालो को समझाते हुए बताया की सांप के काट लेने के बाद सांप को बंधक बनाकर रखना सही नहीं और न ही उसको बंधक बनाने में काटे हुए व्यक्ति से कोई वास्ता है, इस तरह के अंध विश्वास में बिल्कुल न रहें की सांप को कैद करने से मरीज की जान बचाती हैं। सुखद पहलू ये रहा की सांप भी बच गया और बच्चा भी बच गया। लोगों का मानना है कि हमारे गांव में भगवान भोलेनाथ साक्षात विराजमान हैं इसलिए हम किसी भी साप को नहीं मारते बल्की सांप निकलने पर भगा देते हैं।