हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। कलेक्टर संजीव झा के निर्देश पर जिले में शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। डीईओ ने पिछले 2 से 8 साल तक कलेक्टोरेट ,तहसील ,ट्राईबल से लेकर कोविड कंट्रोल रूम में गैर शिक्षकीय कार्य मे संलग्न 13 शिक्षकों के संलग्नीकरण समाप्त कर दिए। आदेश जारी होने के बाद अब मलाईदार व आरामदायक जगहों में संलग्न शिक्षकों को अब मूल अध्यापन कार्य कराने (पढ़ाने) स्कूल जाना होगा। आदेश जारी होने के बाद हड़कम्प मचा हुआ है।
जिले के तेज तर्रार कलेक्टर संजीव झा ने आखिरकार वो कर दिखाया जो अब तक कोरबा में पिछले एक दशक में कोई भी कलेक्टर न कर सके। कलेक्टोरेट कार्यालय ,तहसील ,आदिवासी विकास विभाग ,जिला पंचायत सहित कोविड कंट्रोल रूम में एक दर्जन से अधिक 13 शिक्षक संलग्न थे। इनमें से कोविड कंट्रोल रूम को छोंड़ दें तो शेष विभागों में करीब 8 से 10 साल से शिक्षकों को संलग्न किया गया था। मलाईदार विभाग व शाखाओं में जमे होने की वजह से शिक्षक मूल विभाग में मूल कार्य के लिए भारमुक्त होने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे थे। इधर शिक्षकों के संलग्नीकरण की वजह से स्कूलों का अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा था। पदस्थापना के बाद प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पहुंचे कलेक्टर संजीव झा के समक्ष पत्रकारों ने संलग्नीकरण की दोषपूर्ण व्यवस्था जिले में अभी भी समाप्त नहीं होने व उन पर प्रशासनिक संरक्षण की बात कही थी। जिसके जवाब में मंच से ही कलेक्टर श्री झा ने मीडियाकर्मियों को आश्वस्त किया था कि अभी से तमाम संलग्नीकरण जिले में समाप्त। उनके संज्ञान में संलग्नीकरण के जो जो प्रकरण सामने आते जाएंगे उस पर त्वरित अमल होगा। जिले के मुखिया ने उक्त फरमान को सबसे पहले शिक्षा विभाग से अमलीजामा पहनाया। डीईओ से गैर शिक्षकीय कार्य में संलग्न तमाम शिक्षकों की सूची मंगाकर उनका संलग्नीकरण समाप्त कर दिया। इनमें कलेक्टोरेट कार्यालय ,तहसील ,आदिवासी विकास विभाग ,जिला पंचायत सहित कोविड कंट्रोल रूम में संलग्न शिक्षक शामिल हैं।
तो क्या अन्य विभाग भी दिखाएंगे ईमानदारी ,भेजेंगे संलग्न कर्मियों की सूची
संलग्नीकरण की दोषपूर्ण व्यवस्था करीब 5 साल पूर्व राज्य शासन ने समाप्त कर दी । समस्त विभाग प्रमुखों को इस आशय के आदेश जारी कर जिला कलेक्टर व जिला अधिकारियों के माध्यम से उक्त आदेश का पालन सुनिश्चित कराए जाने का निर्देश दिया गया है। बावजूद इसके न केवल शिक्षा विभाग वरन स्वास्थ्य विभाग,महिला एवं बाल विकास विभाग ,जनपद पंचायतों जैसे महत्वपूर्ण विभागों में संलग्नीकरण की दोषपूर्ण व्यवस्था पूर्णरूपेण समाप्त नहीं हो सकी। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर के निर्देश के बाद सम्बंधित विभाग के अधिकारी ऐसे कर्मचारियों की सूची कलेक्टर के समक्ष प्राथमिकता से प्रस्तुत करते हैं या फिर जिला प्रशासन को झूठी जानकारी भेजकर गुमराह रखेंगे।