जन घोषणा पत्र के वादों के विपरीत कार्य करने ,अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप से आहत पँचायत मंत्री सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को 4 पेज का पत्र लिख सौंपा इस्तीफा,छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक पहुंची इस्तीफे की गूंज ….पढें इस्तीफा पत्र

रायपुर ।छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य और पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव ने अपने एक विभाग पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देकर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। 4 पन्नों के इस्तीफे में मंत्री ने सरकार पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। मंत्री के अनुसार वे सरकार में गोल्डन जीरो की तरह हैं। जिनके पास पद तो हैं लेकिन शक्तियां नहीं। इस्तीफे की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में आपसी फूट एक बार फिर से सड़कों पर उतर आई है। स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने सूबे के मुखिया भूपेश बघेल को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा दे दिया है। उल्लेखनीय है कि उन्होंने जो पत्र लिखा है, जिसमें इस्तीफे का कारण बताया गया है उसमें उल्लेख किया गया है कि उनके विभाग में उनकी मर्जी के बगैर निर्णय लिए गए। जिसमें पीएम आवास के लिए आबंटन जारी नहीं करना एवं रोजगार सहायकों की हड़ताल का मुद्दा प्रमुख है।
उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है कि रोजगार सहायकों की मांगे माने जाने के बाद भी वे साजिशन हड़ताल पर थे, हमने कहा था कि इन्हें वापस उन्हीं पदों पर न करें लेकिन सरकार ने विभाग के मंत्री के बजाय सचिव के बातों को अहमियत दी । जिससे यह संदेश गया कि सरकार झुक गई और दूसरा उनके कार्यों का कोई नुकसान नहीं होगा। रोजगार सहायकों के कारण 1250 करोड़ का मजदूरी भुगत रुक गया लेकिन रोजगार सहायकों को सरकार ने फिर से उन्हें उसी पद पर बहाल कर दिया।

इसके अलावा उन्होंने कहा पेसा एक्ट के लिए आदिवसियों से राय ली गयी थी और उसपर बिंदुवार सहमति बनाई गई थी लेकिन सरकार ने पेसा एक्ट लागू करते समय इन बिंदुओं को दरकिनार कर दिया। पेसा एक्ट जल जंगल जमीन के मौलिक मांग पर आधारित है इसमें इन बिंदुओं को नजरअंदाज करने से उसके इम्पैक्ट पर असर पड़ेगा।

इन मुद्दों को लेकर जताई आपत्ति👇

-पीएम आवास की 10 हजार करोड़ राशि रोकी

मंत्री ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि बीते तीन वर्षों से छत्तीसगढ़ सरकार ने पीएम आवास की राशि रोक रखी है। 8 लाख लोगों के मकान बनाए जाने है। जिसके लिए 10 हजार करोड़ राशि की जरूरत होती लेकिन आबंटन राशि रोक दी गई।

-जनप्रतिनिधियों को देने वाले 500 करोड़ भी रोके

जनप्रतिनिधियों को मिलने वाली 500 करोड़ की राशि को रोक दिया गया। पंचायत मंत्री के अनुसार उन्हें जनप्रतिनिधियों से विकास कार्यों के लिए आवेदन आये हुए थे। इन राशियों की सहमति भी उनके द्वारा दे दी गई थी। बावजूद सरकार ने राशि जारी नहीं की।

रोजगार सहायकों की हड़ताल के कारण 1250 करोड़ का मजदूरी भुगतान रुका

रोजगार सहायकों के हड़ताल के कारण 1250 करोड़ का भुगतान रुक गया। ग्राम पंचायतों में मजदूरों का भुगतान नहीं हुआ। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभवित हुई। इन सबके लिए जिम्मेदार रोजगार सहायकों को मेरे द्वारा (मंत्री) मना करने के बावजूद दोबारा भर्ती की गई।