कोरबा में डीएमएफ की राशि में कमीशन का खेल ,कटघोरा के 46 पंचायतों के लिए डेढ़ लाख की मेट ,4.80 लाख में खरीदा ,डेढ़ करोड़ का अपव्वय ,जिम्मेदार मौन

कोरबा । जिला खनिज संस्थान न्यास( डीएमएफटी ) को प्राप्त राजस्व का आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में बंदरबाट करने का दौर नहीं थम रहा। बिना पंचायत प्रस्ताव करोड़ों रुपए की लागत से जनपद पंचायत कटघोरा के 46 ग्राम पंचायतों के लिए कबड्डी मेट की खरीदी कर फ़ंड का अपव्वय करने का मामला सामने आया है।मामले में जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

जिला खनिज संस्थान न्यास मद को रेवड़ी की तरह बांटकर कमीशनखोरी का खेल कोरबा में चल रहा। करोड़ों की खरीदी में जमकर मनमानी चल रही है। जनपद पंचायत कटघोरा के ग्राम पंचायतों को 4 महीने पहले कबड्डी मेट की सप्लाई डीएमएफ से हुई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ग्राम पंचायतों ने कभी भी कबड्डी मेट का प्रस्ताव नहीं दिया। न ही जनपद पंचायत ने कभी भी जरुरत बताई जिससे खरीदा जा सके। बिना किसी प्रस्ताव के खनिज न्यास मद से करोड़ों की खरीदी कर दी गई। ग्राम पंचायतों को तब पता चला जब सप्लायर समान पहुंचाने आया। सरपंच-सचिव भी हतप्रभ रह गए। उच्चाधिकारियों का दबाव था इसलिए बिना किसी सवाल के सरपंच-सचिवों ने इसे रख लिखा।
जिला खनिज न्यास मद के अधिकारी अब बहानेबाजी में लग गए। अफसरों का दावा है कि राजीव मितान क्लब के लिए ग्राम पंचायतों के लिए खरीदी की जा रही है। ताकि आने वाले दिनों में खेल को बढ़ावा मिल सके। सवाल उठता है कि अब तक जिले में एक भी क्लब का गठन नहीं हुआ है। बिना क्लब के अनुमोदन के आखिर लाखों की सामग्री ग्राम पंचायतों को क्यों दी जा रही है। सवाल इसलिए भी उठना लाजिमी है क्योंकि क्लब किसी भी खेल सामग्री की मांग कर सकता है, जरुरी नहीं है कि कबड्डी के लिए वह मांग करे। इधर सरपंचों को पता ही नहीं है कि इस कबड्डी मेट का करना क्या है। ग्राम पंचायतों को एक कागज में हस्ताक्षर कर सप्लाई कर दी गई थी। अब सरपंच जनपद पंचायत से पूछ रहे हैं कि किस तरह से उपयोग करना है। किसी को बताया ही नहीं गया है। इसलिए चटाई की तरह ग्राम पंचायत इसका उपयोग कर रहे हैं।मामले में जनपद सीईओ आर एस मिर्झा से उनका पक्ष जानने संपर्क किया गया। काल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका।

मार्केट में डेढ़ लाख की कीमत ,एक मैट खरीदने खर्च कर डाले 4 .80 लाख

जानकारी अनुसार एक मेट 4.80 लाख रुपए की दर से खरीदा गया है। जबकि मार्केट में इसकी कीमत डेढ़ लाख से अधिक नहीं है।कुल 46 पंचायतों के लिए मेट की खरीदी की गई है । इस तरह देखें तो 2 करोड़ 20 लाख रुपए मेट की खरीदी में खर्च कर दिए गए। बाजार से अधिक दर पर खरीदकर शासन को चूना लगा दिया गया।

रामपुर विधायक ने लगाए थे डीएमएफ के कार्यों में 15 प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप

जनहित के मुद्दों पर हमेशा मुखर रहने वाले
पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने हाल ही में हसदेव एक्सप्रेस से चर्चा के दौरान डीएमएफ में व्याप्त भष्टाचार को लेकर प्रशासन को घेरा था। उन्होंने नोडल अधिकारी पर 15 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया था। जिसकी वजह से पंचायत में डीएमएफ के कार्यों में गुणवत्ता नहीं आ रही। बावजूद प्रशासन ने कोई संज्ञान नही लिया।

शिक्षा विभाग ,आदिवासी विकास विभाग में भी करोड़ों के सामग्रियों की खरीदी संदेह के दायरे में ,जांच की दरकार

आदिवासी विकास विभाग में जहां करोड़ों रुपए की लागत से आरओ वाटर प्यूरीफायर,इन्वर्टर ,क्रिकेट किट ,मेडिसिन किट ,छात्रावासी बच्चों के लिए जूते आदि सामग्रियों की खरीदी हुई है। वहीं शिक्षा विभाग में भी बिना शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के खेल सामाग्री ,हाई प्रेशर क्लीनर ,फर्नीचर ,आत्मानंद स्कूलों के लिए कम्प्यूटर टेबल ,बच्चों के लिए जूता ,स्कूल बैग ,ब्लेजर आदि की खरीदी हुई है। जिसमें टेंडर प्रक्रिया ,क्रय प्रक्रिया, से लेकर गुणवत्ता संदेह के दायरे में है। आरटीआई तक में इससे जुड़ी जानकारी शिक्षा विभाग के जन सूचना अधिकारी प्रदान नहीं कर रहे। जिले के कलेक्टर साफ सुथरी छवि के हैं। उन्हें चाहिए कि डीएमफ के इन कार्यों की विशेष टीम गठित कर जांच कराएं जिले की शासकीय धन की अपव्वय पर रोक लगाएं। जिससे जिले की छवि बेहतर बन सके।