कोरबा। एसईसीएल की उपेक्षा उदासीनता एवं लापरवाही से बेरोजगारी का दंश झेल रहे विस्थापितों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में कोरबा में विशाल रैली निकाल घण्टों नारेबाजी कर अपनी आवाज बुलंद की । क्लेक्टर के प्रतिनिधि के तौर पर कोरबा एसडीएम सीमा पात्रे से 10 नवंबर को त्रिपक्षीय वार्ता की सहमति मिलने के पश्चात प्रदर्शनकारियों ने हड़ताल समाप्त किया। मांगे पूरी नहीं होने पर 1 नवंबर को विरोध स्वरूप काला दिवस मनाने का ऐलान किया गया है।
दशकों पुरानी भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भूविस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि मांगों को लेकर घंटाघर से हजारों की संख्या में किसान सभा के नेतृत्व में भू विस्थापितों ने रैली निकालकर कलेक्ट्रेट घेराव के लिए कूच किया। जिसे जिला प्रशासन ने कोसाबाड़ी के पास बेरिकेट लगाकर रोक दिया। भू विस्थापित 3 घंटे तक कोसाबाड़ी में सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे और कलेक्टर से मिलने की बात पर अड़ गए। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। इस बीच बारिश भी हुई लेकिन प्रदर्शनकारियों का हौसला न डिगा। तब कलेक्टर ने कोरबा एसडीएम के माध्यम से एक प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए शाम में समय दिया है और 10 नवंबर को एसईसीएल के साथ त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वासन दिया उसके बाद 3 घंटे तक कलेक्ट्रेट घेराव करने के बाद आंदोलन समाप्त किया गया। इस घेराव में नरईबोध,गंगानगर, मड़वाढोढा,भठोरा,भिलाई बाजार,रलिया,बरभांठा,गेवरा बस्ती, बरेली,भैसमाखार,मनगांव,रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल,दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा,खम्हरिया,बरमपुर,दुल्लापुर,सोनपुरी,जटराज,पाली पड़निया,पुरैना, कुचैना,मलगांव,दादरपारा,सरईपाली,जूनाडीह,विजयनगर, बतारी, बांकी बस्ती,झाबर,जवाली,रोहिणा, चैनपुर,चुरैल एवं 40 से अधिक गांव के भूविस्थापित किसान महाघेराव में शामिल हुए ।
जिला प्रशासन और एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने किसान सभा के नेतृत्व में अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। किसान सभा ने घोषणा की है कि मांगों को पूरा नहीं किया गया तो 1 नवंबर को काला दिवस के रूप में मनाएंगे और गांव गांव में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा । 17 नवंबर को कुसमुंडा और गेवरा खदान में महाबंद आंदोलन किया जाएगा।विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,जय कौशिक आदि ने आंदोलन को सफल बनाने के लये सभी का आभार व्यक्त करते हुए इसी एकजुटता के साथ आगे भी आंदोलन को और तेज करने का आह्वान सभी से किया है, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके। उन्होंने बताया कि
कलेक्ट्रेट घेराव आंदोलन में भूविस्थापितों के साथ ही आम जनता का भी व्यापक जनसमर्थन मिला । घेराव में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं।
घेराव में प्रमुख रूप से माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, शिवदयाल, देव कुंवारी, कांति कंवर,पूर्णिमा महंत,शिवनारायण, जवाहर सिंह, संजय यादव,पुरषोत्तम कंवर, रघु,सुमेन्द्र सिंह,गुलाब, पवन यादव,बसंत चौहान, दीना नाथ,मोहन,अनिल,अमृत बाई के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल थे।
भूविस्थापितों की लाशों पर खड़े कर रहे मुनाफे की महल -प्रशांत
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर जिला प्रशासन के सहयोग से इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला उत्खनन के लिए हजारों किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस-भाजपा की सरकारों ने, जिला प्रशासन और खुद एसईसीएल ने इन विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली और आज भी वे रोजगार और पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसान सभा नेता ने कहा कि किसान सभा भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी रहेगी।