आंख मूंदकर नियम विरुद्ध किए जा रहे स्थानांतरण ,हाईकोर्ट से स्थगन ले आए नायब तहसीलदार दीपका ,जानें किस आधार के तहत मिला स्थगन

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। चुनावी वर्ष के पूर्व छत्तीसगढ़ में खुले ट्रांसफर बैन के बाद इस कदर आंख मूंदकर धड़ाधड़ ट्रांसफर किए जा रहे कि स्थानातंरण आदेश की धज्जियां उड़ रही । आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में भी नियमों को हाशिए पर रख तबादला कर दिया गया। शासन के नियम विरुद्ध स्थानांतरण प्रक्रिया से आहत नायब तहसीलदार दीपका हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले आए। तो वहीँ डीपीएसओ को शासन ने ही अपनी भूल स्वीकार कर यथावत कर दिया। अन्य विभागों में भी यह सिलसिला आने वाले समय में नजर आने के आसार हैं।

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जानकारी अनुसार जिला योजना एवं साँख्यिकीय अधिकारी (डीपीएसओ)एम एस कंवर का स्थानांतरण दंतेवाड़ा जिला कर दिया गया था। अनुसूचित क्षेत्र से अति दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में किए गए स्थानातंरण आदेश पर श्री कंवर ने हाईकोर्ट में शासन के तबादला आदेश के विरुद्ध याचिका दायर की थी। लेकिन श्री कंवर की याचिका निरस्त कर दी गई थी। लेकिन इसी बीच विभाग को अपनी चूक का एहसास हुआ और श्री कंवर को यथावत कोरबा में बने रहने आदेश जारी कर दिया। अब बात करें नायब तहसीलदार दीपका वीरेंद्र श्रीवास्तव की ,तो इनका तबादला नियमों से परे जाकर अति दुर्गम अनुसूचित जिला बीजापुर कर दिया गया था। जानकारी अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग के 2013 के सर्कुलर अनुसार दुर्गम क्षेत्रों में पदस्थ रहे अधिकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण मैदानी क्षेत्र में होता है तो पुनः उनका स्थानातंरण अति दुर्गम क्षेत्र में नहीं किया जा सकता । यही नहीं यदि किसी शासकीय लोक सेवक की आयु 55 वर्ष से अधिक हो चुकी है तो उनका स्थानान्तरण भी मैदानी क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में नहीं किया जा सकता। नायब तहसीलदार दीपका श्री श्रीवास्तव के मामले में दोनों नियमों की अनदेखी कर आंख मूंदकर उनका स्थानांतरण कर दिया गया।जबकि श्री श्रीवास्तव ने 10 .01 .1986 से 2018 तक अति दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में ही सेवाएं दी थी।दंतेवाड़ा से बतौर राजस्व पटवारी के रूप में सेवाएं शुरू करने वाले श्री श्रीवास्तव बीजापुर ,भोपालपट्टनम ,भैरमगढ़ ,
नारायणपुर एवं अंतागढ़ में सेवाएं दी। जिसमें से अंतिम 4 वर्ष उन्होंने आरआई के पद पर सेवाएं दी। 2018 में नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नति के बाद श्री श्रीवास्तव ने कार्यालय कलेक्टर अधीक्षक एवं भू अभिलेख में सेवाऐं दी। तत्पश्चात वे नायब तहसीलदार हरदीबाजार ,कटघोरा ,पाली के बाद सितम्बर 2021 से दीपका में सेवाएं दे रहे थे। नियम विरुद्ध स्थानान्तरण आदेश को लेकर श्री श्रीवास्तव ने अपने अधिवक्ता श्री एन नाहा राय के माध्यम से शासन के फैसले को चुनोती दी थी।हाईकोर्ट ने प्रकरण में तबादला आदेश विधि विरुद्ध पाए जाने पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है। श्री श्रीवास्तव मंगलवार से विधिवत तौर पर पुनः प्रभार लेकर कार्य स्थल पर सेवाएं देंगे।

भू -माफियाओं की दुकानदारी हो गई थी बंद, मिली थी तबादले की धमकी

उल्लेखनीय है नायब तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव की पहचान एक तेज तर्रार कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रुप में बनी हुई है। जब पूरे जिले के राजस्व न्यायालयों में राजस्व प्रकरणों की लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही थी ऐसे समय में श्री श्रीवास्तव के नेतृत्व में दीपका उप तहसील लगभग शत प्रतिशत प्रकरणों का निराकरण कर सिरमौर बना हुआ था। श्री श्रीवास्तव की कार्यशैली ऐसी है कि उन्होंने बड़े बड़े रसूखदार भू -माफियाओं को नियमों का पाठ पढ़ाया। नियम विरुद्ध काम कराने के प्रस्ताव लेकर पहुंचे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया। कईयों पर कार्रवाई भी की। यही वजह है कि श्री श्रीवास्तव ऐसे लोगों के निशाने पर थे। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार एक बड़े ओहदे के सख्शियत से इनको बस्तर संभाग में तबादला करने की धमकी तक मिली थी। लेकिन श्री श्रीवास्तव इन धमकियों से प्रभावित नहीं हुए। निसंदेह अब स्थगन आदेश से पुनः जिले में पदस्थ श्री श्रीवास्तव ऐसे लोगों के निशाने पर होंगे।