हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। जिम्मेदार विभागों के प्रश्रय से नियमों को दरकिनार कर शहर से लगे रिसदी बस्ती में संचालित ट्रांसफार्मर फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग की लपटें और विस्फोट से बस्तीवासियों में अफरातफरी मच गई। दमकल की टीम ने घण्टों मशक्कत के बाद फैक्ट्री में लगी आग पर काबू पाया।
यहां बताना होगा कि आद्योगिक जिला कोरबा में औद्योगिकीकरण इस कदर पांव पसारता जा रहा है उद्योग स्थापित करने नियम कायदों को हाशिए पर रख दिया जा रहा। शहर से लगे रिसदी में आबादी के बीच ट्रांसफार्मर फैक्ट्री संचालित है । अनहोनी की आशंका से भयभीत रहवासियों ने ट्रान्सफार्मर फैक्ट्री को अन्यत्र हटाने जिला प्रशासन से शिकायत भी की थी। बाबजूद इसके औद्योगिक स्वास्थ्य एवं संरक्षा विभाग ने सुध ली न ही जिला उद्योग व पर्यावरण विभाग ने ध्यान दिया। नतीजन रविवार को अचानक ट्रांसफार्मर फैक्ट्री में आग लग गई । घटना की जानकारी मिलते ही पार्षद ने मौके पर पहुंचकर नगर सेना और बालको के दमकल टीम को जानकारी दी। घण्टों मशक्कत के बाद फैक्ट्री में लगी आग पर काबू पाया गया। वहीं घटना को लेकर वार्ड पार्षद ने लापरवाही का आरोप लगाया है। बस्तीवासियों में भी आक्रोश व्याप्त है ,वे फैक्ट्री को हटाने की मांग कर रहे हैं।
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं संरक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं संरक्षा विभाग का कार्यालय जिला मुख्यालय में ही संचालित है। जहां पदस्थ अफसरों की जिम्मेदारी औद्योगिक संयत्रों ,फैक्ट्री आदि संस्थानों में सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित कराना होता है। लेकिन जिले में पदस्थ अफसर उद्योगों की गोद मे बैठे हुए हैं। आज पर्यन्त विभाग की सक्रियता कहीं नजर नहीं आई। जिससे विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे। इससे पूर्व इंडस्ट्रीयल एरिया में संचालित फैक्ट्रियों ,बड़े पावर प्लांट में हुए हादसों में भी विभाग की सक्रियता नजर नहीं आई। जिससे शासन के मंसूबों पर पानी फिर रहा वहीं जनाक्रोश व अविश्वास की भावना बढ़ती जा रही है।
इंडस्ट्रियल एरिया भी घातक
रिसदी के साथ ही साथ ही साथ औद्योगिक क्षेत्र खरमोरा में संचालित विभिन्न फैक्ट्री जनमानस के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। इनमें जनस्वास्थ्य के लिए घातक कैमिकल फैक्ट्री, से लेकर ,फैब्रिकेशन ,फ्लाई ऐश ब्रिक्स ,आरामशीन ,इलेक्ट्रोड निर्माण ,कूलर आलमारी व पतंग बनाने वाले उद्योग तक शामिल हैं। 1979 में उद्योग नीति के तहत आबंटित 100 एकड़ नजूल भूमि में 2 प्रतिशत वार्षिक भू -भाटक की दर पर 94 इकाई स्थापित हैं। समय के साथ साथ आद्योगिक क्षेत्र के आसपास आबादी और घनी हो गई है। कृषि भूमि विषाक्त बंजर हो गई,किसान बर्बाद हो गए । लिहाजा औद्योगिक क्षेत्र को आबादी से अन्यत्र शिफ्ट करने सहित विभिन्न जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक फैक्ट्रियों को हटाने की मांग मुखर होती रही है। पर जिम्मेदार विभागों के संरक्षण से जनता की अर्जी के आगे उद्योगों की मनमर्जी चल रही।