बिलासपुर । ठेकेदार सुनील अग्रवाल को 22 करोड़ रुपए भुगतान करने को लेकर सिंचाई विभाग के EE और CE के बीच तलवारें खिंच गई है। एक भुगतान करने के लिए पत्र लिख रहा है तो दूसरा काम पूरा हुए बिना भुगतान नहीं करने की बात पर अड़ा हुआ है।

अरपा नदी में बन रहे शिवघाट बैराज निर्माण की भुगतान को लेकर चीफ इंजीनियर और कार्यपालन यंत्री के बीच जंग छिड़ गई है। चीफ इंजीनियर (CE) ठेकेदार अनील अग्रवाल को भुगतान करने के लिए दबाव बना रहे है तो कार्यपालन यंत्री (EE) काम पूरा होने पर ही भुगतान करने की बात पर अड़ गए है। इस भुगतान को लेकर सिंचाई विभाग में अधिकारी और कर्मचारी दो खेमों में बंट गए है। चीफ इंजीनियर अजय सोमावार कार्यपालन यंत्री द्वारिका जायसवाल को लिखित और माखिक रूप से बैराज निर्माण के ठेकेदार सुनील अग्रवाल को 22 करोड़ रुपए भुगतान करने के लिए कह चुके है। जबकि EE द्वारिका जायसवाल जब तक गेट का काम पूरा नहीं होगा तबतक भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है। EE ने साफ तौर पर कह दिया है की गेट लगाने के बाद जब तब टेस्ट करके ठेकेदार नहीं देगा तब तक वो भुगतान के चेक में हस्ताक्षर भी नहीं करेंगे। अब इस भुगतान को लेकर EE और CE आपस में भिड़ गए है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अरपा नदी के शिवघाट और पचरी घाट में बन रहे बैराज में गेट लगाने का काम होना है। ठेकेदार ने जैसे ही गेट लाकर निर्माण स्थल पर रखा CE भुगतान के लिए EE को पत्र लिखना शुरू कर दिया। जबकि अभी गेट लगाया ही नहीं गया है, अभी गेट लग भी नही सकता क्योंकि पिलर में ही अभी बहुत काम बाकी है। पहले पिलर का काम होगा फिर गेट लगेगा। यही नहीं गेट खोलने और बन्द करने के लिए मशीन भी लगना है ठेकेदार ने अभी उसे खरीदा ही नही है। जब ठेकेदार गेट लगाके टेस्ट करके देगा उसके बाद ही भुगतान होगा। लेकिन जिस हिसाब से चीफ इंजीनियर भुगतान को लेकर जल्दबाजी कर रहे है उससे कई सवाल खड़े हो रहे है। गौरतलब है की दोनो बैराज के निर्माण में अधिकारी और ठेकेदार अनील अग्रवाल लगातार लापरवाही बरत रहे है। पहले बिना टेंडर बदले ठेकेदार को लाभ पहुंचाने ड्राइंग डिजाइन बदल दिया गया, फिर निर्माण में गुणवत्ता का अनदेखा किया गया। पिछले दिनों राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ ने फ्लोर निर्माण में लापरवाही बरतने का खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसमे बताया गया था की ठेकेदार अनील अग्रवाल बिना बेस बनाए ही फ्लोर का निर्माण कर रहा है। लेकिन खबर से न तो सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर कोई असर हुआ और न ही ठेकेदार पर। यही नहीं शिवघाट बैराज में जो पिलर बन गए है उसमे स्लैब ढलने का काम शुरू हुआ है उसमे भी लापरवाही बरती जा रही है। छड़ के टुकड़ों को वेल्डिंग करके उसमे स्लैब की ढलाई कर दी गई है। जब स्लैब में ढलाई की गई तो ठेकेदार को छोड़कर सिंचाई विभाग के सारे अधिकारी मौजूद थे। लेकिन किसी अधिकारी ने स्लैब निर्माण में ज्वाइंट सरिया का उपयोग क्यों किया जा रहा है ये नही नही पूछा। इससे पहले भी शुरूआत में भी गुणवत्ता और पीलर के गहराई को लेकर राष्ट्रीय जगत विजन ने प्रमुखता समाचार के माध्यम से अधिकारियों को अवगत कराया गया था उसमें भी कोई ध्यान नहीं दिया गया और ठेकेदार सुनील अग्रवाल की मनमानी बढ़ती गई उसी का यह आज नतीजा है।