13 साल की दुल्हन 20 साल का दूल्हा ,पुलिस प्रशासन के प्रयासों से बाल विवाह के मंसूबे नहीं हुए पूरा,जानें कोरबा जिले में किस तरह रुकवाई गई बाल विवाह …..

कोरबा। जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग चाइल्ड लाइन एवं पुलिस की संयुक्त प्रयासों से एक और किशोरी -किशोर बालिका वधु ,बाल वर बनने से बच गए । पुलिस-प्रशासन ने 13 साल की दुल्हन और 20 साल के दूल्हे की शादी रुकवा दी ।

मामला बांगो थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के मुताबिक, ग्राम पंचायत सलिहाभांठा के ग्राम मनहोरा में दुल्हन का परिवार रहता है। 13 साल की बच्ची के पिता मजदूरी करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। बेटी का रिश्ता 20 साल के युवक के साथ तय कर दिया था। 13 अप्रैल को बारात आनी थी, लेकिन इसी बीच प्रशासन को बाल विवाह होने की जानकारी मिली।

बच्ची के परिजनों को बाल विवाह नहीं करने को लेकर समझाया गया।

इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन और पुलिस की संयुक्त टीम ग्राम मनहोरा में बच्ची के घर पहुंचीं। यहां टीम ने परिजनों को बताया कि लड़की की शादी 18 साल से पहले और लड़के की शादी 21 साल से पहले करवाना गैरकानूनी है और ऐसा करने पर कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने बाल विवाह से होने वाली दिक्कतों को लेकर भी परिवार को जागरूक किया और कहा कि जब बेटी 18 साल की हो जाए, तब उसकी शादी कराना, नहीं तो अभी कानूनी कार्रवाई के तहत गिरफ्तारी की जाएगी। वहीं लड़के की उम्र भी दस्तावेजों के हिसाब से 21 साल नहीं है, जिसके कारण उसकी शादी भी गैरकानूनी होती।महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन और पुलिस की टीम ने परिजनों को दी कानून की जानकारी।
इसके बाद परिवार वालों को बात समझ में आ गई और उन्होंने बाल विवाह रोक दिया। दूल्हे के परिजनों को भी शादी रोकने की सूचना दे दी गई, जिसके बाद बारात ने आना स्थगित कर दिया। लड़के वाले भी इसी गांव के रहने वाले हैं। ये पूरी कार्रवाई जिला बाल संरक्षण अधिकारी दयादास महंत के मार्गदर्शन में हुई। पोड़ी उपरोड़ा से परियोजना अधिकारी निशा कंवर के निर्देशन में छापेमार कार्रवाई की गई थी। मौके पर चाइल्ड लाइन पोड़ी उपरोड़ा और बांगो थाना पुलिस मौजूद रही। इधर टीम को देखकर परिजन और गांववाले सहमे रहे। स्कूल के दस्तावेजों के मुताबिक लड़की की उम्र 13 साल 8 माह है।बांगो थाना क्षेत्र के ग्राम मनहोरा में बाल विवाह रुकवाया गया। बाल विवाह को लेकर तमाम जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद अभी भी कई लोग अपने बच्चों की शादी तय कर देते हैं, जबकि इसके कई नुकसान बाद में झेलने पड़ते हैं। लेकिन बाल विवाह को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और समय-समय पर कार्रवाई की जाती रही है। जहां भी बाल विवाह होने की सूचना मिलती है, पुलिस-प्रशासन और चाइल्ड लाइन की टीम वहां पहुंचकर ऐसा करने से रोक देती है।

बाल विवाह पर 2 साल की जेल का है प्रावधान

देश में बाल विवाह रोकने कड़े कानून बनाए गए हैं । पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी करने व करवाने वालों पर 2 साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है। यहाँ तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित ,पादरी व अन्य लोगों पर भी इतनी ही कठोर दंड का प्रावधान है । शासन -जिला प्रशासन के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग हमेशा उक्त अधिनियम के सम्बन्ध में लोगों में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्य करती रहती है।

महिला एवं बाल विकास विभाग सहित पुलिस नहीं कर रही जागरूक

जिले में युवकों के बाल विवाह का मामला बिरले ही सामने आता है। इस तरह का मामला सामने आने से स्पष्ट है कि लोगों में अभी भी विवाह के लिए निर्धारित आयु को लेकर जागरूकता का अभाव है। महिला एवं बाल विकास विभाग पुलिस को सँयुक्त रूप से इस दिशा में संजीदगी से जागरूकता अभियान /कार्यक्रम चलाने की जरूरत है । कोरबा आदिवासी बाहुल्य एवं आँकाक्षी जिला है ,साक्षरता दर भी बेहद कम है। ऐसे में इस तरह के कार्यक्रमों का महत्व और बढ़ जाता है।