रायगढ़ जिले में दो दिनों में दो मौतें,
फसल बचाने खेत में लगाए जा रहे करंट ,कभी हाथी तो कभी इंसानों की जा रही जान ,कब नपेंगे जिम्मेदार!

रायगढ़। वनों से आच्छादित छत्तीसगढ़ राज्य में करेंट के चलते जहां एक ओर हाथी जैसे जंगली जानवर मारे जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसी करेंट से आम लोगों की भी मौत हो रही है। फसल बचाने के लिए किसानों के इस प्राणघातक तरीके पर अंकुश लगाने का कोई भी गंभीर प्रयास प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा है।

दो दिनों में दो मौतें…

अक्सर वन्यप्राणियों से खेतों की फसल को बचाने और उनका शिकार करने के लिए करंट प्रवाहित तार लगा दिया जाता है। जिसमें कई बार ग्रामीण भी अनजाने में चपेट में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ कि करंट प्रवाहित तार की चपेट में आने से एक बालक की मौत हो गई। रायगढ़ जिले में दो दिन पहले ही धरमजयगढ़ क्षेत्र में किसान द्वारा मूंगफली की फसल को बचाने के लिए खेत में बिछाए गए करेंट प्रवाहित तर की चपेट में आकर एक हाथी की मौत हो गई थी। इसके ठीक अगले दिन रायगढ़ जिले के चक्रधर नगर थाना क्षेत्र के रेगड़ा ग्राम के एक खेत में वन्यप्राणियों से फसल बचाने के लिए करंट प्रवाहित तार लगाया गया था। 10 साल का एक बालक इस करंट की चपेट में आ गया और तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मामले की जानकारी चक्रधर नगर पुलिस को लगी। तब तत्काल चक्रधर नगर थाना प्रभारी प्रशांत राव आहेर अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू कर दी।

पूर्व में भी हो चुकी हैं घटनाएं

ग्राम रेगड़ा में वन्यप्राणियों का शिकार करने का मामला भी पूर्व में भी सामने आ चुका है, लेकिन विभागीय अमला की लापरवाही कहे या फिर उनकी मनमानी जो जंगल गश्त करने में गंभीरता नहीं दिखाते हैं। इस वजह से यहां पूर्व में भी इसी तरह की घटनाएं घट चुकी हैं।

करेंट से अब तक 60 हाथियों की मौत, और जनहानि..?

वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते डेढ़ दशक में छत्तीसगढ़ के जंगलों में करेंट से लगभग 60 हाथियों की मौत हो चुकी है। ठीक इसी तरह ऐसे ही बिछाए गए करेंट से बड़ी संख्या में जनहानि हो चुकी है। लोग अनजाने में खेतों की ओर चले जाते हैं, और किसानों द्वारा बिछाए गए बिजली के नंगे तारों की चपेट में आकर उनकी मौत हो जाती है। आये दिन इसी तरह की घटनाएं वन्य क्षेत्र से जुड़े इलाकों में हो रही हैं। वन विभाग के मैदानी अमले और बिजली विभाग की निगरानी व्यवस्था कमजोर होने के चलते इस तरह की घटनाएं घट रही हैं।

अदालती लड़ाई में उलझे वन और बिजली विभाग

प्रदेश में जहां एक ओर करेंट से आम लोगों और जंगली जानवरों की जान जा रही है, वहीं दूसरी ओर जंगलों की विद्युत् व्यवस्था दुरुस्त करने के नाम पर वन और बिजली विभाग की लड़ाई काफी समय से हाईकोर्ट में लंबित पड़ी है। दरअसल वन विभाग ने विद्युत् वितरण विभाग, CSPDCL को पत्र लिखकर हाथी प्रभावित जिलों में विद्युत लाइन की ऊंचाई बढ़ाने तथा लाइन में कवर्ड कंडक्टर लगाने को कहा था।

लाइन की ऊंचाई बढ़ाने,कवर्ड कंडक्टर लगाने ,आएंगे 1674 करोड़ रुपए खर्च

वन विभाग ने लिखा कि हाथी प्रभावित जिलों में बिजली लाइन को दो मीटर ऊंचा किया जाये। इस पर बिजली विभाग ने पत्र लिखकर जबाब दिया है कि लाइन की ऊंचाई बढ़ाने और कवर्ड कंडक्टर को लगाने के लिए कुल 1674 करोड़ रुपए खर्च आएंगे। वन विभाग यदि राशि उपलब्ध कराता है तो एक वर्ष के भीतर लाईन को ऊंचा करने का काम पूर्ण किया जा सकता है। इधर वन विभाग ने सीएसपीडीसीएल कंपनी को पत्र लिखकर जवाब दिया है कि कृपया आप अपने राष्ट्रीय कर्तव्य से विमुख होने का प्रयत्न न करें। वन विभाग के पास विद्युत विभाग से संबंधित किसी प्रकार की बजट राशि नहीं मिलती है, जिससे विद्युत विभाग की लाइनों का कार्य कराया जाए
इस तरह दोनों विभाग में पत्र युद्ध के बाद मामले को केंद्र के पाले में डाला गया और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को फंड उपलब्ध करने को कहा गया, मगर केंद्र ने उलटे इसे राज्य की समस्या बताते हुए यहां की सरकार को ही इसकी व्यवस्था करने को कह कर पल्ला झाड़ लिया। जब दोनों विभाग अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं तो वन्य पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने हाई कोर्ट में जनहित दायर करते हुए इस मामले में जिम्मेदारी तय करने की मांग की। फ़िलहाल यह मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

प्रदेश के इन जिलों में बिजली लाइन की ऊंचाई को बढ़ाने का प्रस्ताव है :

रायगढ़ जिले में 545 गांव

रायपुर -छह गांव

महासमुंद – 324 गांव

बलौदाबाजार – 134 गांव

सरगुजार – 46 गांव

कोरिया – 75 गांव

सुरजपुर – 121 गांव

बलरामपुर- 366 गांव

जशपुर- 130 गांव

बिलासपुर- 97 गांव

कोरबा – 514 गांव

नितिन सिंघवी ने टीआरपी न्यूज़ से चर्चा में
बताया कि वन्य क्षेत्र में बिजली के तारों की ऊंचाई बढ़ाते हुए उसे कवर्ड कर दिया जाये तो इसकी हुकिंग से बिजली चोरी पर अंकुश लगेगा। इसी तरह तार ऊँचा होने के चलते हाथी भी उनके संपर्क में नहीं आ सकेंगे।
खासकर फसल के मौसम के दौरान सिंचाई के बोर चलाने के लिए किसान बिजली की लाइनों पर तार लगाते हैं। अक्सर हाथी इन जीवित तारों के संपर्क में आते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।

सरकार को करनी होगी पहल

बहरहाल लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए सरकार को इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने की जरुरत है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि जंगलों से गुजरने वाली बिजली की लाइनें कम से कम 15 से 18 फीट ऊंची हों क्योंकि छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों की ऊंचाई 12 फीट से ज्यादा नहीं होती है। वहीं लगातार सिकुड़ रहे जंगल के पुनरुद्धार की भी जरुरत है, क्योंकि घने जंगल की कमी ने हाथियों को अपना व्यवहार बदलने के लिए मजबूर किया है।

साभार टीआरपी न्यूज