बस्तर जिले में बड़ा हादसा,तालाब में डूबने से 3 मासूमों की मौत,तालाब में छलांग लगाकर शक्श की कोशिशें भी नहीं ला पाई बच्चों की प्राण,कलेक्टर ,विधायक पहुंचे

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के एक गांव के तालाब में डूबने से तीन मासूमों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि, तीनों बच्चे तालाब में नहाने के लिए गए हुए थे। इस दौरान तीनों गहरे पानी में चले गए। बच्चों को डूबता देख पास ही मौजूद ग्रामीणों ने उन्हें बचाने के लिए पानी में छलांग लगाई। हालांकि, जब तक वे उन्हें बाहर निकालते तब तक तीनों की मौत हो गई थी।

मामला नगरनार थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के मुताबिक, नगरनार में स्थित गोदीमुंडा तालाब में अक्सर इलाके के ग्रामीण, बच्चे, महिला, पुरुष सब नहाने जाते हैं। गुरुवार की दोपहर गांव के ही प्रियांशु कश्यप (08), प्रमोद गोएल (09), विक्की बेसरा (08) ये तीनों बच्चे खेलते-खेलते तालाब के पास पहुंच गए थे। फिर नहाने के लिए तालाब में उतरे। बताया जा रहा है कि बच्चे एकाएक गहरे गड्ढे में चले गए थे। तीनों जब डूबने लगे तो तालाब के पास ही मौजूद गांव के अन्य ग्रामीणों की नजर उन पर पड़ी।

सबसे पहले बच्चों को नजदीकी अस्पताल में बच्चों को लाया गया जहां उन्हें देखने MLA भी पहुंचे थे।

जिसके बाद गांव वालों ने बच्चों को बचाने के लिए तालाब में छलांग लगाई। तीनों मासूमों को बेसुध अवस्था में तालाब से बाहर निकाला गया। जिसके बाद उन्हें फौरन नगरनार के उप स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया। तीनों मासूमों के घर आसपास ही हैं और उनमें गहरी दोस्ती थी। सभी के शवों को जगदलपुर महारानी अस्पताल लाया गया।

कलेक्टर–विधायक पहुंचे अस्पताल

इस हादसे की जानकारी जैसे जी बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार और जगदलपुर विधानसभा से विधायक रेखचंद जैन को लगी, दोनों अफसर-नेता भी महारानी अस्पताल पहुंच गए। परिजनों से मुलाकात की। कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि, घटना बेहद दुखद है। तीनों मृत बच्चों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। बच्चों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।

इसी तालाब की गहराई में चले जाने से तीनों की डूबने से मौत हुई

मुरुम निकालते थे, तालाब के रूप में हुआ तब्दील

दरअसल, जिस तलाब में डूबने से बच्चों की मौत हुई है यह तालाब नहीं था। इस जगह से मुरुम उत्खनन का काम होता था। यहां से इतनी ज्यादा मुरुम निकाल ली गई थी कि, उत्खनन से तालाब के आकर का गड्ढा हो गया था। जिसके बाद बारिश के समय इसमें पानी भरने लगा था। फिर यहां से मुरुम उत्खनन का काम बंद कर दिया गया था। फिर इसे तालाब के रूप में ही डेवलप किया गया। जिसका नाम भी गोदी मुंडा रखा गया है।