छत्तीसगढ़ के इस जिले में एक करोड़ की शासकीय राशि का गबन ,स्कूल ,कोषालय अधिकारी ,स्टॉफ ने रचा षड्यंत्र ,12 पर एफआईआर ,मचा हड़कम्प ,मृत व सेवानिवृत्त शिक्षक ,भृत्यों के पेंशन जीआईएस व अन्य स्वत्वों के फर्जी बिल लगा ,पारित कर आहरित की राशि ,दो माह तक चली जांच ,अब सभी पर गिरेगी निलंबन की गाज …….

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा।पाली ब्लॉक के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदीबाजार के लिपिक ,प्राचार्य ,एवं सहायक कोषालय अधिकारी ने विद्यालय के मृत व सेवानिवृत्त शिक्षकों भृत्यों के पेंशन जीआईएस व अन्य भुगतान के नाम पर 1 करोड़ 4 लाख 46 हजार रुपए के फर्जी बिल लगा एवं पारित कर राशि गबन कर ली । करोड़ों रुपए के शासकीय राशि के वारा न्यारा करने के इस गम्भीर मामले में शासन स्तर से जांच के बाद आरोप सही पाए जाने पर शाखा लिपिक ,प्राचार्य ,उप कोषालय अधिकारी सहित 12 (एक दर्जन ) कर्मचारियों पर बीईओ पाली ने डीईओ के निर्देश पर हरदीबाजार थाना में एफआईआर दर्ज करवाया है।पुलिस ने भादवि 420 (धोखाधड़ी ) एवं 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने ) के तहत अपराध दर्ज किया है। इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग से लेकर कोषालय में हड़कम्प मचा है। जल्द ही सम्बंधितों पर निलंबन की गाज गिरेगी।

यहाँ बताना होगा कि हरदीबाजार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का पेंशन ,जीआईएस अन्य स्वत्वों सहित विद्यालय के विभिन्न मदों के नाम पर 36 लाख के फर्जी बिल उप कोषालय में कटघोरा में लगाए जाने का मामला प्रकाश में आया था। विद्यालय के लिपिक सहायक ग्रेड -3 ऋषि कुमार जायसवाल ने प्राचार्य की फर्जी दस्तखत कर फर्जी राशि आहरण में मुख्य भूमिका निभाई थी। प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी ने लिपिक को निलंबित कर दिया था। प्रकरण में सँयुक्त संचालक शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी बिठा दी गई थी । जांच में पता चला कि लिपिक ऋषि कुमार जायसवाल प्रभारी प्राचार्य व्यासनारायण राठौर ( उनका मूल पद व्याख्याता है) के फर्जी हस्ताक्षर कर विभिन्न मदो में राशि जारी करने के लिए कटघोरा कोषालय में बिल लगाता था। प्रभारी प्राचार्य भी अपने फर्जी हस्ताक्षर को सत्यापित कर देते थे। जिसके बाद कटघोरा कोषालय के उपकोषालय अधिकारी मनीष कुमार देवांगन बिना बिलो का वेरिफिकेशन करवाये स्कूल के नाम से राशि जारी कर लेते थे। जिसका बाबू ऋषि कुमार जायसवाल आहरण करता था और फिर सभी मिलकर इसका बंदरबांट कर लेते थे। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि होने के बाद संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग आरएन हिराधर ने अलग से टीम बना कर इसकी डिटेल से जांच करवाई। जिसमें 36 लाख के फर्जी बिल लगाने से पूर्व कुल 1 करोड़ 4 लाख 46 हजार 400 रुपये के गबन के
आरोपों की पुष्टि हुई । जिसके बाद स्कूल के प्रभारी प्राचार्य से लेकर भृत्य व कोषालय के अधिकारी कर्मचारियों समेत कुल 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए । निर्देशों के तहत पाली बीईओ श्यामानंद साहू ने हरदीबाजार चौकी में 1 करोड़ 4 लाख 46 हजार 400 रुपये के गबन की एफआईआर दर्ज करवाई है। साथ ही 19 पेज का जांच रिपोर्ट भी सौंपा है।

👉36 लाख के फर्जी बिल पकड़ाने के बाद खुला राज

यहाँ बताना होगा कि जनवरी माह में हरदीबाजार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों,भृत्यों का पेंशन ,जीआईएस एवं अन्य स्वत्वों से जुड़े 36 लाख के फर्जी बिल उप कोषालय में विद्यालय के लिपिक ऋषि कुमार जायसवाल ने जमा किया था। देयक (बिल) जमा करने के 6 दिवस के भीतर परीक्षण उपरांत बिल पारित करने का प्रावधान रहता है। इस समयावधि में ई पैरोल में ऑनलाइन बिल जनरेट कर उसकी डीडीओ (आहरण संवितरण अधिकारी)द्वारा हस्ताक्षरित कॉपी की एक प्रति कोषालय में जमा किया जाता है। जिसका काउंटर परीक्षण के बाद संबंधित बिल पासिंग क्लर्क के द्वारा डिटेल एंट्री किया जाता है। तत्पश्चात बिल पारित होता है। लेकिन संबंधित लिपिक ने बिल जमा करते ही तत्काल पारित करने के लिए उप कोषालय पर फोनकर दबाव बनाना शुरू कर दिया। 36 लाख के भारी भरकम बिल और तत्काल पारित करने की गुजारिश से उप कोषालय अधिकारी को शंका हुई। लिहाजा बिल पासिंग के दौरान डिटेल इंट्री का परीक्षण किया गया इस दौरान प्रस्तुत देयक (बिल )फर्जी पाया गया।लिहाजा उप कोषालय अधिकारी ने बिल तत्काल संबंधित डीडीओ प्राचार्य डी .एन. दिवाकर को वापस कर दिया था। बिल पारित होने से पहले सतकर्ता से 36 लाख की वित्तीय गबन से शासन बच गया। लेकिन इस छोटी कार्रवाई के पीछे बड़े अपराध को छुपाने की मंशा छिपी थी।प्रकरण में आज पर्यन्त सम्बंधित डीडीओ प्राचार्य डी एन दिवाकर फर्जी बिल प्रस्तुत करने वाले लिपिक के विरुद्ध अपराध दर्ज नहीं करवा सके,जिससे प्रकरण में डीडीओ प्राचार्य की भूमिका भी संदिग्ध थी। हसदेव एक्सप्रेस ने 10 फरवरी 2023 के अंक में प्रमुखता से इससे जुड़े खबर का प्रकाशन कर ध्यान आकृष्ट कराया था । शिक्षा विभाग ने मामले को तत्काल संज्ञान में लिया । 15 फरवरी को
संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी सहित जिला कोषालय अधिकारी प्रकरण की पूरी तकनीकी पहलुओं की जांच करने उप कोषालय कटघोरा गए थे। जहां उप कोषालय में आवश्यक जानकारी जुटाई गई थी।

7 कर्मचारियों के क्लेम में एक ही खाता नम्बर ,फिर भी किया पारित 👇

करोड़ों रुपए के शासकीय राशि का वारा न्यारा करने किस तरह जुगलबंदी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया हैरान कर देगा। उप कोषालय में मृत सेवानिवृत शिक्षकों ,भृत्यों के पेंशन ,जीआईएस एवं अन्य स्वत्वों से जुड़े देयक प्रस्तुत किए गए थे। देयक में 7 कर्मचारियों के क्लेम में एक ही खाता नम्बर अंकित था। बीईओ श्री साहू ने बताया कि इसके बावजूद भी आंख मूंदकर बिल पारित कर दिए गए। ये वही खाता नम्बर था जिसमें फर्जीवाड़ा कर करोड़ों की शासकीय राशि जमा कराई गई थी। जिसका सम्बंधितों ने बंदरबाट किया था। जबकि जिन कर्मचारियों के नाम से राशि आहरित की गई उनके खाते में राशि जमा ही नहीं हुई।

👉इनके विरुद्ध दर्ज हुई एफआईआर

पुलिस ने जांच प्रतिवेदन के आधार पर आधार पर ऋषि कुमार जायसवाल सहायक ग्रेड-3 बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदीबाजार के अलावा स्कूल के प्रभारी प्राचार्य व्यासनारायण दिवाकर, व्याख्याता होमनाथ भारद्वाज, भृत्य भोपाल सिंह नेटी ( वर्तमान में यह भी निलंबित है), शिक्षक एलबी सुरेंद्र कुमार पटले ( वर्तमान में पूर्व माध्यमिक विद्यालय अड़ीकछार में पदस्थ है), विक्की यादव सहायक ग्रेड-3 ( वर्तमान में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भिलाई बाजार में पदस्थ हैं ब्लॉक कटघोरा में पदस्थ हैं) के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। इनके अलावा कटघोरा उपकोषालय के उपकोषालय अधिकारी मनीष कुमार देवांगन, सहायक ग्रेड-3 दिनेश कुमार कंवर, संजू यादव, नितेश, रतन सिंह, कृष्ण कुमार जगत के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। मामले में धोखाधड़ी की धारा 420 व आपराधिक षड्यंत्र की धारा 120 बी लगाई गई है। एफआईआर के बाद सभी पर जल्द ही निलंबन की कार्यवाही भी की जा सकती हैं।