जीना इसी का नाम है , 25वीं सालगिरह पर आरती -मनोज का हुआ अनूठा पुनर्विवाह ,मेहंदी, हल्दी के साथ धूम धाम से निकली बारात, वरमाला सिंदूरदान के साथ लिए सात फेरे , जानिए छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के अनूठे शादी की स्टोरी …….

    हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा ।एक ओर जहां आज के दौर में कई  शादियां आपसी मनमुटाव ,सामंजस्य के अभाव सहित विभिन्न अलगाव  की वजह से सालभर भी नहीं टिक पा रही हैं। ऐसे में जब शादी की खुशहाल 25 बरस प्रेम और अनूठे तालमेल के बीच बीत जाए तो ऐसे दंपत्ति सौभाग्यशाली होते हैं। लेकिन जब ऐसे दंपत्तियों का शादी कि तमाम रस्मों के साथ  पुनर्विवाह हो तो ऐसी शादियां मिसाल बन जाती हैं। महतो परिवार में  बीते 8 मई को आरती मनोज महतो के शादी की  25 सालगिरह कुछ इसी अंदाज में मना। जहां 

मनोज महतो के परिवारजनों ने इस जोड़े का हिन्दू विधान से पुनर्विवाह करवा कर एक अनूठी यादगार अनुकरणीय मिसाल पेश की । पूरे क्षेत्र में इस समारोह की चर्चा है।

बारात में नाचते परिजन उत्साहित दूल्हा श्री महतो
मांग भरते हुए
आशीष देते परिजन शुभचिंतक
हल्दी रस्म का आनंद उठाते
फेरे लेते हुए
बीते 8 मई को  इस जोड़े ने विवाह के सुखमय  25 वर्ष पूरे किए। परिवार जनों का मन था कि इस दिन को यादगार और मस्तीभरा बनाया जाए। क्योंकि यह परिवार धार्मिक मान्यताओं और रीतियों का अनुयायी है इसलिए, परिवार के सदस्यों ने केवल केक काटने और अँगूठी पहनाने कर इस दिन को मनाना ठीक नहीं समझा। महतो परिवार अपने नवीन प्रयोगों के लिए जाना जाता है, इसी क्रम में दूल्हे की बहनों और बच्चों ने यह विवाह रच डाला, जिसे पूरे परिवार, रिश्तेदारों और दुल्हन के घर वालों कभी उत्साहपूर्ण समर्थन मिला। 
इस क्रम में 7 मई की शाम   'गौरव-गरिमा' महतो निवास में परिजनों द्वारा मेंहदी उत्सव में गीत - संगीत के साथ झूमते-नाचते हुए समारोह की शुरुआत हुई। 8 मई की दोपहर से सीनियर रिक्रिएशन  क्लब गेवरा में हल्दी कार्यक्रम रखा गया, शाम 7बजे बड़े धूमधाम से बाजे-गाजे और पटाखों के साथ बारात निकली जिसमें सभी बच्चे बड़े शामिल हुए और खूब धूम मचाई। बारात स्वागत दुल्हन के मायके वालों द्वारा तिलक लगा आरती उतार कर किया गया। इसके बाद सुंदर सजे मंच पर अँगूठी रस्म और वरमाला सम्पन्न हुई। लगभग  500 परिजनों और मेहमानों की समक्ष इस जोड़े ने मंडप में बैठ सिंदूरदान, मंगलसूत्र के साथ ही  पावन अग्निकुंड के सात फेरे पंडितजी के मंत्रोच्चार के साथ पूरे किए। 
  पूरे समारोह के दौरान सभी परिजनों और मेहमानों का उत्साह बिल्कुल वैसा दिखा जैसा आमतौर पर शादियों में होता है। कुछ अच्छे गायक मेहमानों ने कराओके पर सुंदर गीत प्रस्तुत कर महतो दंपत्ति को शुभकामनाएँ दी और स्रोताओं का मन मोह लिया। पुरे विवाह कार्यक्रम की रस्मों के दोहराने को लेकर लोगों की भ्रांतियों को मिटाते हुए और इस विवाह विधि के पीछे के अपनी धार्मिक श्रद्धा और ईश्वर के प्रति विश्वास को जताने का उनके आशीष पाने का प्रयास रूप महतो परिवार ने माना। यह विवाह वास्तव में अनूठा रहा जहाँ 46 वर्षीय दूल्हा और 43वर्षीय दुल्हन बिल्कुल नए जोड़े की तरह उत्साह में दिखे और सभी अपनों ने 25 साल पहले अधूरे रह गए विवाह विधि की नई रस्मों के अरमान को पूरा करने के लिए यह पुनर्विवाह कराया। सच है, जीवन बहुत छोटा है, हर अरमान पूरे करते चलिए जो अपने हाथ मे है, खुशियाँ मनाने का कोई अवसर छूटने ना पाए। यह विवाह, यह परिवार बताता है.... जीना इसी का नाम है।