एसईसीएल के खदानों में लूट की खुली छूट,कबाड़ चोर गैंग ने सुरक्षाकर्मियों पर लाठी डंडों से हमलाकर किया घायल

कोरबा ।एसईसीएल की खदानों में सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद संसाधनों की सुरक्षा ठीक से नहीं हो पा रही है। ताजा मामला कोरबा जिले के बाकी मोगरा थाना क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली खदान कोल माइंस का है जहां बीती रात सुरक्षाकर्मी शांति लाल एवं उनके कुछ साथी पेट्रोलिंग के लिए निकले थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि सिंघाली खदान के समीप 15 से 20 अनाधिकृत लोग चोरी करने के इरादे से इकट्ठे होकर खदान के अंदर दाखिल हो रहे हैं। लिहाजा सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकते हुए पूछताछ शुरू की। इससे वे लोग भड़क गए और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर लाठी-डंडे एवं पत्थर से ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया। इस घटना में घायल सुरक्षा कर्मी शांतिलाल ने बाकीमोगरा थाने में शिकायत दर्ज कराई है ।

आपको बता दें कि इन दिनों बाकीमोगरा क्षेत्र में कबाड़ चोरों का हौसला इतनी बुलंदी पर है कि उन्हें एसईसीएल प्रबंधन और पुलिस का कोई भय नहीं है । ये लोग हर वक्त किसी पर भी हमले के लिए तैयार रहते हैं ।कुछ माह पहले ही भी सिंघाली खदान मोहर साय नामक गार्ड पर भी इसी तरह का प्राणघातक हमला हुआ था जिससे उसे गंभीर चोटें आई थी। जिले में कबाड़ व्यापारियों का धंधा खूब फल-फूल रहा है इसी के चलते क्षेत्र में कबाड़ चोर काफी सक्रिय हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए सबसे पहले कबाड़ व्यापारियों का धंधा बंद कराना अति आवश्यक है ।
अभी 2 से 3 दिन पूर्व ही बांकीमोंगरा के 9/10 बंद पड़े खदान में चोरों द्वारा चोरी करने के इरादे से कोयले का बैंकर ही गिरा दिया गया था, जिस पर अब तक पुलिस प्रशासन एवं एसईसीएल प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस क्षेत्र में बड़ी तादात में चोरों का संगठन बन चुका है। कभी-कभी ये हथियारों से भी लैस होते हैं । अगर इन्हें रोका नहीं गया तो आने वाले समय में ये लोग कोई बहुत बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं ।
एसईसीएल प्रबंधन द्वारा जिन्हें सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात किया गया है वे भी काफी उम्र दराज हैं । बुजुर्ग लोगों को इस तरह सुरक्षा में तैनात करना कहीं ना कहीं सवालिया निशान खड़े करता हैं कि इतनी बड़ी मिनी रत्न कंपनी की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ त्रिपुरा राइफल्स जैसे इतने बड़े फोर्स होने के बाद भी इन बूढ़े बुजुर्गों को सुरक्षा में तैनात करना कहीं ना कहीं संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है । सूत्रों से तो यह भी जानकारी मिल रही है कि एसईसीएल के अधिकारियों और पुलिस की मिली भगत से ही कबाड़ चोरो का गिरोह सक्रिय है । इसीलिए कहा जाता है सईयां भये कोतवाल तो डर काहे का।