मुंगेली। आज पूरे देश मे नाग पंचमी मनाया जा रहा है। माना जाता है कि आज के दिन नागों की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इसी कड़ी में हम आपको नाग से जुड़ी एक दिलचस्प खबर बताने जा रहे है। ये खबर मुंगेली जिले के एक छोटे से खेड़ा गांव की है। यहां के लोगों की मान्यता है इस गांव को नाग का वरदान प्राप्त है, जिसके चलते आज तक यहां सर्पदंश से किसी की मृत्यु नहीं हुई है, सांप यदि यहां के लोगो को काटता भी है तो उसका विष उतना जहरीला नहीं होता जिससे सर्पदंश पीड़ित की मौत हो जाए।

माना जाता है कि यह वरदान सिर्फ इसी गांव के लोगो को मिला है, इसलिए गांव के सीमा के अंदर ही रहने पर ही इस वरदान का असर रहता है। गांव की दहलीज पार करने पर वरदान का असर प्रभावी नहीं रहता । इस खबर को दिखाने के साथ ही लल्लूराम डॉट कॉम न्यूज अपने पाठकों से यह अपील करता है कि हमारा उद्देश्य अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि किसी को भी सांप काटता है, तो नजदीकी अस्पताल में उपचार जरूर कराएं। इस मान्यता के पीछे की क्या है कहानी आइए जानते है यहाँ के लोगो की जुबानी।

ग्राम के युवा सूरज शर्मा ने बताया कि ग्राम में वर्षों पुरानी मान्यता रही है कि सर्पदंश होने के बाद यदि पीड़ित व्यक्ति ग्राम की सीमा को पार नहीं करता है, तो उसकी मृत्यु नहीं होती है। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे गांव में देखने को मिलते हैं। हम आज के युवा मान्यता को मानने की साथ ही साथ हम सभी यह ग्राम में जरूर बताते हैं कि सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति नजदीकी अस्पताल में इलाज जरूर करवाएं।ग्राम के वरिष्ठ नागरिक एवं पूर्व शिक्षक शत्रुहन प्रसाद शर्मा जी बताते हैं कि वर्षों पहले ग्राम में सन्यासी साधुओं का आगमन हुआ था। जिनको स्वप्न में नागराज ने कहा कि मैं ग्राम के तालाब में मछली के कांटे गले में फंसने के कारण बहुत पीड़ा का अनुभव कर रहा हूं। जब यह स्वप्न लगातार दो दिन आया तब ग्रामीणों के साथ साधु गण तालाब में जाकर देखें तो वास्तविक में घटना सही साबित हुई। ग्रामीण जनों ने सांप की गले से मछली के कांटे को निकाल कर उन्हें पीड़ा से मुक्ति दी। रात्रि को पुनः नागराज ने स्वप्न देकर सन्यासी को बताया कि आप सभी ग्रामीण जनों के प्रयास से मुझे इस अथाह पीड़ा से मुक्ति मिली।
अतः मैं ग्राम वासियों को यह वरदान देता हूं कि इस ग्राम के किसी भी निवासी को यदि सांप काटता है और वह ग्राम की सीमा को पार नहीं करता तो उसकी मृत्यु नहीं होगी। इसके बाद से ऐसे बहुत सारे घटना सामने आए हैं जिसमें व्यक्ति की जान नहीं गई। शत्रुहन प्रसाद शर्मा ने बताया कि मुझे स्वयं सांप ने काटा था और मैंने प्राकृतिक जड़ी बूटियों के साथ इलाज किया और बताए गए नियमानुसार सीमा को पार नहीं किया और आज मैं स्वस्थ रुप से आपके सामने हूं।