रेलवे को यात्री सुविधाओं की जगह राजस्व प्राप्तियों से सरोकार ,कोरबा से रवानगी के समय भी आगे आगे निकाली जा रही मालगाड़ी ,हजारों करोड़ों के राजस्व देने के बाद भी कोरबावासी परेशान …..

कोरबा। । सालाना हजारों करोड़ का राजस्व अर्जित करने के बावजूद रेलवे प्रशासन का कोरबा की जनता के साथ सितम जारी है। कोरबा में यात्री गाड़ियों की विलंब से आगमन ही नहीं यहां से रवानगी के समय में भी विलंब किया जा रहा।

प्रमुख कारण पहले से मालगाडिय़ों का दबाव ऊपर से कोरबा से चांपा के बीच 5 घोषित हाल्ट स्टेशन के अलावा एक और हाल्ट जोड़ना है। हालांकि इस नए हाल्ट स्टेशन की कोई अधिकृत घोषणानहीं की गई है, बावजूद इसके वहां हर हमेशा यात्री गाड़ियों को रोकने का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। अगर कभी कभार वहां यात्री गाड़ी को नहीं रोका गया तो आगे चांपा से पहले आउटर में रोकना जरूरी हो जाता है, क्योंकि अक्सर यात्री गाड़ी के समय आगे आगे मालगाड़ी को दौड़ाकर प्रबंधन यात्रियोंको अकारण परेशानी में डाल देता है।
यह नजारा अक्सर चांपा पहुंचने से पहले ट्रेनमें सफर करने वाले यात्रियों को देखने के लिए मिलता है। मालगाड़ी से 20 से 25 मिनट यात्री ट्रेन रोकना सामान्य बात हो गई है। यह स्थिति तब और बिगड़ जातीहै, जिससे चांपा या बिलासपुर में कनेक्टिंग ट्रेन नहीं मिलती है।

5 गुना ज्यादा लग रहा समय

बालपुर से चांपा की दूरी 8 तो सिवनी से 4 किलोमीटर है। तय समय सारणी के अनुसार बालपुर से किसी भी यात्री गाड़ी चांपा की इस दूरी को 15 या 20 मिनट में तय करना होता है पर मंगलवार की दोपहर मेमू पैसेंजर को तय करने में 1 घंटा 19 मिनट लगा। यही नहीं हसदेव एक्सप्रेस को 24 मिनट, तो लिंक एक्सप्रेस को 42 मिनट में तय कराया गया। सुबह की रायपुर जाने वाली पैसेंजर समय पर नहीं गई।
इस वजह से ट्रेन विलंब चांपा होकर बिलासपुर व रायपुर की जाने वाली किसी भी यात्री गाड़ी कोकोरबा व चांपा रेलखंड में विलंबकरने का कारण मालगाड़ी को प्राथमिकता देना होता है। कोरबा सेनिकलने वाली ट्रेन स्टापेज के साथआगे नहीं बढ़ पाती है, क्योंकि ट्रेन केआगे मालगाड़ी को कर दिया जाता है,जो चांपा से पहले सिवनी में तो रुकती ही हैं। चांपा से पहले आउटर में मालगाड़ी को रोक दिया जाता है।