वन विभागः तकनीकी त्रुटि का जिम्मेदार कौन? किससे होगी आर्थिक हानि की रिकव्हरी

कोरबा । वन मण्डल कोरबा में पिछले दिनों आहूत करीब 08 करोड़ रूपयों की निविदाओं का तकनीकी त्रुटि बताकर निरस्त कर दिया गया। इन निविदाओं में तीन तिथियां बढ़ायी गयी। इसके बाद तकनीकी त्रुटि बताकर निरस्त कर दी गयी। इस प्रक्रिया में वन विभाग को हजारों रूपयों की आर्थिक क्षति पहुंची है। बड़ा सवाल यह है कि टेण्डर में तकनीकी त्रुटि के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है? विभाग को पहुंची हजारों रूपयों की आर्थिक क्षति की रिकव्हरी किससे की जायेगी? रिकव्हरी की भी जायेगी या नहीं?

सूत्रों के अनुसार वन मण्डल कोरबा में कुछ पालतू ठेकेदार हैं। विभागीय अधिकारी इनके माध्मय से जमकर फर्जीबाड़ा करते हैं। कु ल 20 प्रतिशत राशि से दिखावटी काम करा दिया जाता है और 80 फीसदी राशि का बंदरबांट कर लिया जाता है। संदेह है कि इसी घोटाले के लिए निविदा तिथि बार-बार बढ़ाई जा रही है और पालतू ठेकेदारों के अलावे किसी अन्य को निविदा में भागीदारी का मौका से वंचित रखने की कवायद की जा रही है।

बहरहाल यह तो वन मण्डल कोरबा के डी. एफ. ओ. और उनके सिपहसालारों की कवायद का ब्यौरा है। इससे अलहदा बडा सवाल यह है कि वन विभाग को घोटाले की इस
कवायद के बीच बार-बार निविदा तिथि संशोधन के प्रकाशन और प्रचार-प्रसार से पहुंची आर्थिक क्षति की भरपाई कैसे होगी? याद रहे कि वन विभाग के प्रत्येक वन मण्डल कार्यालय में तकनीकी अधिकारी पदस्थ है। सी. सी. एफ और पी. सी. सी. एफ. कार्यालय में भी तकनीकी अधिकारी हैं। निविदा की प्रक्रिया विभिन्न वरिष्ठ अफसरों की टेबल से गुजरने के बाद पूरी होती है। ऐसे में टेण्डर की तकनीकी त्रुटि के लिए कौन जिम्मेदार है, यह कैसे तय होगा? क्या तकनीकी त्रुटि की जिम्मेदार तय कर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी से विभाग को पहुंची आर्थिक क्षति की रिकव्हरी की जायेगी? सूत्रों का कहना है कि कोरबा वन मण्डल में जबसे डी. एफ. ओ. के पद पर एन. गुरूनाथन पदस्थ हुए हैं-भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है। जंगलोंं में अवैध वृक्ष कटाई से लेकर वृक्षारोपण, बांसों की अवैध कटाई, ट्री-गार्ड, विभिन्न सामानों की सप्लाई आदि में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। डी. एफ. ओ. एन. गुरूनाथन के कार्यकाल की जांच होने पर अनेकों भ्रष्टाचारों की पुष्टि हो सकती है।