मुख्यमंत्री को कटघोरा वनमंडल के कारगुज़ारियों की शिकायतों का सौपा गया पुलिंदा

मुख्यमंत्री को शिकायतकर्ताओं अजय गर्ग और नवीन गोयल द्वारा वनमंडल कटघोरा के भ्रष्टाचार के संबंध में शिकायत पत्र सौंपते हुए

कोरबा 4 जनवरी आज सूबे के मुखिया भूपेश बघेल कोरबा जिले के दौरे में थे जहां सबसे पहले वे पोंडी विकासखंड के ग्राम महौरा में उनका आगमन हुआ जहां वे निर्धारित समय से लगभग 2 घंटे विलंब से पहुंचे ,, महौरा पहुंचने पर सर्वप्रथम आदर्श गोठान का निरीक्षण किये साथ ही वहाँ विभिन्न महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं के द्वारा लगाए गए विभिन्न स्टालों का सुक्ष्मता से निरीक्षण भी किये वहां पर वे लगभग 30 मिनट तक रुके , तत्पश्चात वनमंडल में व्याप्त भ्रष्टाचार और किये गए अनियमितताओं को लेकर शिकायतकर्ताओं अजय गर्ग और नवीन गोयल के द्वारा मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए शिकायतों का पुलिंदा पूरे साक्ष्य के साथ सौपा गया ,जिस पर मुख्यमंत्री के द्वारा शिकायकर्ताओ को आश्वासन दिया गया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच कराई जाएगी और इसमें जो भी दोषी होगा वो बख्शा नही जाएगा कटघोरा वनमंडल के बेपरवाह अधिकारियों की भ्रष्ट कार्यशैली के कारण शासन प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है ।वन अफसरों ने सरकारी धन को जमकर लूटा है सारे नियम कायदों को सूली में टांग दिया गया है, इनकी मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि इनको किसी भी प्रकार कार्यवाही का कोई भय नही है ।

जटगा में निर्मित स्टापडेमो में भारी भ्र्ष्टाचार

जटगा वनपरिक्षेत्र में दो सालों के अंदर लगभग डेढ़ दर्जन स्टापडेमो का निर्माणकार्य हुआ है जिसमे निर्धारित मापदंडों के अनुरूप कार्य नही कराए जाने के कारण पहली बारिश भी झेल नही पाई जिसके कारण स्टापडेम या तो क्षतिग्रस्त हो गए या फिर बारिश में ही बह गए जिसने घटिया निर्माण की कलई खोल कर रख दी है , गुणवत्ता विहीन व घटिया निर्माण कार्य कराए जाने के कारण स्टापडेम दिन ब दिन ऐसे धराशाई हो रहे हैं जैसे प्याज से छिलके की तरह परत निकल रही हो ।वनविभाग के अधिकारियों के द्वारा सरकारी धनराशि का जमकर बंदरबांट किया गया है ।

यदि पूरे स्टापडेमो के निर्माण कार्यो की किसी स्वतंत्र एजेंसी के तकनीकी विशेषज्ञों से जांच कराई जाए तो चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे किस अधिकारी ने कितनी बड़ी गड़बड़ी की है और किस पैमाने पर भ्र्ष्टाचार किया है ये सब सामने आ जायेगा । तकनीकी विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में करोड़ों रूपयों को पानी में बहा दिया गया है, लाखों रुपए के छड़ का बील बनाया गया है लेकिन कहीं भी छड़ का नामोनिशान नहीं है अपितु नाममात्र के हैं