कोरबा-कटघोरा कटघोरा वनमंडल में पदस्थ डीएफओ की कार्यशैली पर सवालिया निशानों और शिकायतों के बीच बुधवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इन्हें यहां से हटाने के लिए जोरदार प्रदर्शन किया। कोरबा जिले में यह पहली बार हुआ है कि किसी डीएफओ को हटाने के लिए जनता सड़क पर उतरी हो।

गोंगपा के नेताओं की अगुवाई में कटघोरा वनमंडल कार्यालय का घेराव कर डीएफओ शमा फारूखी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उन्हें हटाने की मांग की गई। करीब तीन घंटे तक धरने के बाद प्रदर्शनकारियों ने कटघोरा तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। गोंगपा नेताओं ने 14 जनवरी तक डीएफओ का तबादला न होने पर जिले भर में चक्काजाम व उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

गोंगपा के सम्भागीय नेता लाल बहादुर सिंह कोर्राम ने बताया कि कटघोरा डीएफओ प्रदेश के एक मंत्री की रिश्तेदार भी हंै व उनकी शह पर वनमण्डल के सभी परिक्षेत्रों में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है जिसकी शिकायत शासन के मंत्री से लेकर प्रशासन के अफसरों को किया जा चुका है बावजूद कार्यवाही न होने से साबित होता है अनियमितता और गड़बड़ी के इस खेल में पूरे तंत्र की हिस्सेदारी है। गोंगपा के जिला महामंत्री शरद देवांगन ने कहा कि डीएफओ शमां फ़ारूक़ी के शह पर वनमण्डल के जल, जंगल, जमीन की एक तरह से लूट की जा रही है। बांसों की अवैध कटाई, विधानसभा में झूठी और भ्रामक जानकारी देने के साथ ही इनके आवास पर काम करने वाली आदिवासी युवती का भी वेतन ना देकर शोषण किया जा रहा है। ऐसे वनमंडलाधिकारी को सरकार तत्काल हटाते हुए उस पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें।

धरना प्रदर्शन में गोंगपा कार्यकर्ताओं और मूलनिवासी महिलाओं ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन में गोंगपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप मरावी, जिला पंचायत सदस्य रायसिंह मरकाम, जनपद अध्यक्ष पोंड़ी-उपरोड़ा संतोषी पेन्द्रों, जिलाध्यक्ष सुरेश पोर्ते, गणेश मरपच्ची, शिवराम मार्को, उमेश आर्मो, संतराम, जयप्रकाश मरावी, पुरुषोत्तम टेकाम, चंद्रभान टेकाम, जगत नेताम, वीरेंद्र कोराम, सुधार सिंह मरावी, चमरा सिंह, शिव सिंह, दिलेश्वरी आयाम, देव सिंह, धन सिंह, मान सिंह, मोहनलाल एवं बड़ी संख्या में हाथी प्रभावित किसान मौजूद थे।
0 क्या कर रहे आदिवासी नेता और महिला वर्ग के हिमायती..?
यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि 31 दिसम्बर को आदिवासी युवती कु. क्रांति राज के द्वारा कटघोरा थाना में लिखित शिकायत कर डीएफओ शमा फारूकी के घर उनके बच्चे की आया के रूप में देखरेख का काम के एवज में 4 माह की रोकी गई मजदूरी को दिलाने के लिए आग्रह करना पड़ा है। 6 दिन के बाद भी उसे रुकी मजदूरी अप्राप्त है किंतु अब तक गोंगपा को छोड़ किसी भी आदिवासी नेता/जनप्रतिनिधि या महिला वर्ग के अधिकार, उनके शोषण की रोकथाम के लिए आवाज उठाने वाले ने इस पर संज्ञान नहीं लिया। सीएम सहित कई नेता जिले में दो दिन ठहर कर चले भी गए लेकिन आदिवासी युवती की सुनवाई नहीं हुई। क्या डीएफओ के पास पैसे की कमी है या युवती की शिकायत झूठी है या फिर कुछ और ही बात है? वजह जो भी हो, कोई खुलकर कहने को तैयार नहीं है और पुलिस इस शिकायत पर किस तरह का एक्शन ले रही है/युवती को रुपये दिला पा रही है या नहीं, विवेचना कहां तक हुई है, उसका भी जवाब परस्पर संवादहीनता और फोन नहीं उठाने के कारण स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।