बुनियादी सुविधाओं से महरूम आकांक्षी जिला कोरबा के सरकारी स्कूल , अहाताविहीन 563 स्कूल नहीं महफूज ,शौचालय के अभाव में 72 स्कूल,14 पेयजल तो 58 स्कूलों में नहीं पहुंचीं रौशनी, सरकार ने किया निराश डीएमएफ ,सीएसआर से बंधी आश …

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)। आकांक्षी जिला कोरबा (korba)के शासकीय विद्यालय (Government school) बुनियादी (basic facilities) सुविधाओं से महरूम हैं। शासन की अनदेखी की वजह से कुल संचालित 2174 शासकीय स्कूलों में से 27.57 फीसदी स्कूलों की जद महफूज नहीं हैं। इन्हें अहाता (Boundriwal ) का इंतजार है। 3 .31 फीसदी स्कूलों में बालक बालिकाएं शौचालय (Toilet) जैसी अत्यावश्यक सुविधाओं के अभाव के बीच विद्यार्जन कर रहे। 0.64 फीसदी स्कूल पेयजल (Drinking water )विहीन हैं ,जहां बच्चों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा। वहीं उर्जानगरी की 2 .66 फीसदी सरकारी स्कूल अंधेरे में हैं। विद्युतविहीन (without Electricity )इन स्कूलों में बच्चे बेहतर भविष्य (beter future) की बुनियाद गढ़ेंगे।

यहां बताना होगा कि आकांक्षी जिला कोरबा में कुल 2174 शासकीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें 1476 प्राथमिक शाला, 518 माध्यमिक शाला , 85 हाईस्कूल एवं 95 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित हैं। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहें कि राज्य गठन के ढाई दशक भी इनमें से कई सरकारी स्कूल आज भी बुनियादी सुविधाओं के मोहताज हैं।अहाता ,बिजली ,पानी ,शौचालय जैसे अत्यावश्यक सुविधाओं की कमी के बीच हजारों बच्चे विद्यार्जन कर रहे। बात करें अहाताविहीन स्कूलों (school without inclosure ) की तो 765 शासकीय विद्यालय अहाताविहीन हैं। इनमें 563 प्राथमिक शाला, 123 माध्यमिक शाला , 45 हाईस्कूल एवं 34 हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं।

14 स्कूलों में पानी नहीं ,कहीं बोर धंस गया तो कहीं सूख गया,जुगाड़ से बुझ रही बच्चों की प्यास

आकांक्षी जिला कोरबा के 14 सरकारी स्कूलों में विद्यार्जन कर रहे बच्चों को पानी नहीं मिल रहा ।इनमें 10 प्राथमिक एवं 4 माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी के तहत शिक्षा विभाग ने पेजलविहीन इन स्कूलों में निर्मित इन हालातों की वजह बोर का धंस जाना, सुख जाना बताया है ,यहां बच्चों की प्यास नजदीक के निजी बोर एवं माध्यमिक शाला के पम्प से बुझानी पड़ रही है।

26 बालिका ,46 बालक शाला शौचालयविहीन

अहाता,पेयजल ही नहीं शौचालय की समस्या से भी आकांक्षी जिला कोरबा के सरकारी स्कूलों के बच्चे जूझ रहे। कुल 72 विद्यालयों में शौचालय नहीं हैं। इनमें 26 बालिका एवं 46 बालक शौचालय शामिल हैं। शौचालय के अनुपलब्धता की वजह पूर्व में निर्मित शौचालय पूर्ण रूप से ध्वस्त होना ,बालक ,कन्या शाला होना बताया गया है। दैनिक जीवन की सबसे अनिवार्य आवश्यकता शौचालय का सरकारी स्कूलों में अभाव अत्यंत चिंतनीय एवं शिक्षकीय
व्यवस्था के लिए शर्मनाक हैं। खासकर बालिकाओं से इससे अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा।

उर्जानगरी में 58 स्कूलों अंधेरे में ,नहीं हुए विद्युतीकृत

उर्जानगरी कोरबा की बिजली से न केवल प्रदेश वरन देश के कई राज्य रौशन हो रहे हैं,लेकिन इसे विडंबना कहें या अदूरदर्शिता कि कोरबा जिले के ही 58 सरकारी स्कूल अंधेरे में हैं। 52 प्राथमिक , 4 माध्यमिक एवं 2 हाईस्कूलों में बिजली नहीं पहुंची। यहां अंधेरों के बीच हजारों बच्चे अपने बेहतर भविष्य की बुमियाद गढ़ रहे।शिक्षा विभाग ने विद्युतविहीन होने की वजह पहाड़ी क्षेत्र
के कारण बिजली का खंभा नहीं होने ,नजदीक में विद्युत पोल का न होना,दूरस्थ एवं जंगल होना बताई है। लिहाजा स्कूलों में अभावों के बीच बच्चे विद्यार्जन कर रहे। स्मार्ट क्लास का सपना यहां के बच्चों के लिए ख्वाब ही रह गया।

डीएमएफ ,सीएसआर से पहल की दरकार

वित्तीय संकट से जूझ रही छत्तीसगढ़ शासन के लिए त्वरित रूप से इन बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे सरकारी स्कूलों में उपरोक्त सभी सुविधाएं मुहैया करा पाना संभव नहीं हैं।लेकिन औद्योगिक जिला होने की वजह डीएमएफ एवं सीएसआर से सालाना करीब 600 करोड़ की राशि की उपलब्धता वाले कोरबा जिला प्रशासन इस फंड से जरूर इन अभावग्रस्त सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने सुध ले सकती है।वैसे भी आकांक्षी जिला होने की वजह से एजुकेशन सेक्टर सर्वोच्च प्राथमिकता में रखी गई है। जिले के संवेदनशील कलेक्टर अजीत वसंत का शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग की बुनियादी आवश्यकताओं पर विशेष फोकस रहा है।उन्होंने डीएमएफ से 118 विषय विशेषज्ञ व्यख्याता समेत माध्यमिक स्तर के लिए 92 शिक्षकों के भर्ती की स्वीकृति दी है।जिला गठन के बाद पहली बार किसी कलेक्टर ने माध्यमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने इस तरह की अनुकरणीय पहल की है।