दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के सिविल लाइन के खैबर पास इलाके में अतिक्रमण रोधी अभियान (Anti-Encroachment Drive) चलाया जा रहा है. ऐसे में रविवार सुबह जब यहां के लोग उठे तो उन्हें आसपास बुलडोजर ही बुलडोजर नजर आया जो घरों को तोड़ने के लिए तैयार था.यह अभियान लैंड एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा चलाया गया है. अतिक्रमण रोधी अभियान के कारण लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है.
पीटीआई से ऐसे ही कुछ लोगों ने अपना अनुभव साझा किया. इलाके में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले भूपिंदर सिंह भाटिया बेहद निराशा के साथ मलबों को देख रहे थे. वह इस इलाके में 70 वर्ष से रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह घर और दुकान मैंने अपनी मेहनत से बनाई थी और आज यह देखकर बेहद तकलीफ हो रही है कि इसे तोड़ दिया गया.
दुकान टूटने का सता रहा भय
इलाके की एक और निवासी शहाना बेगम (55) ने कहा कि वह कई दशकों से यहां रह रही हैं. पिछले महीने उन्होंने मेरा घर तोड़ दिया और आज मेरी बेटी का घर तोड़ दिया. कुछ दुकानें और मकान रविवार को तोड़े गए हैं. इलाके के लोगों ने बताया कि उन्हें डेमोलेशन को लेकर नोटिस मिला था. मोहित गुप्ता नाम के एक शख्स ने बताया कि उनके बच्चे नजदीकी स्कूल में पढ़ते हैं और उन्हें अब उनके भविष्य की चिंता है. अपनी दुकान की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह 13 अगस्त को टूट जाएगा. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की चिंता है कि मैं अपना परिवार कैसे चलाउंगा. मोहित गुप्ता फिलहाल बुराड़ी शिफ्ट हो गए हैं.
पिता का मकान टूटने की खबर सुन भारत आईं निशा
मोहित ने कहा कि रेंट बहुत ज्यादा है और इसे चुकाने में मेरा पैसा खर्च हो गया. दुबई में रहने वाली निशा को जब पता चला कि उनके माता-पिता का घर भी गिराया जा रहा है तो वह शनिवार को भारत आईं. उन्हें अपने बुजुर्ग माता-पिता की चिंता है. मैं अपने परिवार को कहा लेकर जाउंगी. निशा ने कहा कि उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं रहती. उन्होंने कहा कि बिना समय दिए उन्होंने घर गिरा दिया और कई सामान बर्बाद हो गए.
बता दें कि 2010 में इसके संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी और कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने के आदेश दिए थे. हालांकि याचिकाकर्ताओं ने स्पष्टीकरण के लिए आवेदन डाला था जब अधिकारियों ने इस साल उन्हें अतिक्रमण को हटाने की धमकी दी थी.