पेरिस । पेरिस ओलंपिक के जेवलिन थ्रो में नदीम अरशद ने गोल्ड मेडल जीतकर पाकिस्तान का परचम लहरा दिया है। नदीम ने ओलंपिक में 32 साल के बाद कोई मेडल जीतकर पाकिस्तान को खुशी का मौका दिया है।
एक समय था जब उनके पास न भाला खरिदने के पैसे थे, ना ही पाकिस्तान सरकार के पास उनको ओलंपिक में भेजने का पैसा था, लेकिन किस्मत को मात देते हुए वह उन 7 खिलाड़ियों के साथ ओलंपिक में भाग लेने पहुंचे। लेकिन, नदीम ही वह खिलाड़ी थे, जो ओलंपिक 2024 में पाकिस्तान के लिए’खरा सोना’ साबित हुए।।
पाकिस्तान के पंजाब के खानेवाल गांव के रहने वाले 27 साल के नदीम ने शुक्रवार की आधी रात को ओलिंपिक में जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया। पाकिस्तान के लिए इससे फक्र की बात क्या हो सकती है? 6 फीट 3 इंच के नदीम ने अपने 92.97 मीटर भाला फेंक कर आपना पिछला 90.57 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। नदीम ने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी और दोस्त भारत के नीरज चोपड़ा को फाइनल मैच में हरा करके गोल्ड मेडल जीता।
विदेश में नीरज की ट्रेनिंग, नदीम के भाला के पैसे नहीं थे
भारत के चैंपियन नीरज चोपड़ा पिछले एक दो सालों से फिनलैंड और जर्मनी में पेरिस ओलंपिक 2024 की तैयारी कर रहे थे। वह पाकिस्तान के नदीम से ज्यादा प्रिविलेज थे। वहीं, नदीम ने एक ऐसा समय देखा था जब उनके पास अपने लिए भाला खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। मंगलवार को ओलंपिक फाइनल के लिए क्वालीफाई करने के बाद उनके पिता मुहम्मद अरशद ने पीटीआई से बताया, ‘लोगों को नहीं पता कि अरशद आज इस मुकाम पर कैसे पहुंचे। कैसे उनके साथी गांव के लोग और रिश्तेदार पैसे से मदद करते थे ताकि वह अपनी ट्रेनिंग कर सकें और खेल में भाग लेने के लिए दूसरे शहरों की यात्रा कर सकें।
ओलंपिक में जाने पर जश्न मना
नदीम के पिता ने बताया कि मेरा बेटा जैसे ही लगातार दूसरे ओलंपिक फाइनल के लिए क्वालिफाई किया घर में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। घर में जमकर जश्न मानाया गया.घर में माता-पिता, भाई, पत्नी और दो बच्चे को तो छोड़ ही दीजिए गांव वालों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लोगों ने गांव में घूम-घूम कर मिठाई बांटी। फाइनल में जाने के बाद उनके पिता ने कहा था, ‘अगर मेरा बेटा पाकिस्तान के लिए ओलंपिक पदक जीतता है तो यह हमारे और इस गांव के सभी लोगों के लिए सबसे गर्व का क्षण होगा।
कौन हैं अरशद नदीम
अरशद नदीम की कहानी प्रेरणादायक है. 2 जनवरी, 1997 को पंजाब के एक कस्बे मियां चन्नू में जन्मे अरशद सात भाई-बहनों में तीसरे सबसे बड़े हैं। अरशद का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था क्योंकि उनके पिता, जो एक कंस्ट्रक्शन वर्कर थे जो घर के अकेले कमाने वाले सदस्य थे। एक समय पर अरशद के गांव ने उनकी ट्रेनिंग और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाने के लिए पैसे जुटाए थे। अरशद के पिता मुहम्मद अशरफ ने कहा था, “उनके साथी ग्रामीण और रिश्तेदार पैसे दान करते थे ताकि वह अपने शुरुआती दिनों में अपने ट्रेनिंग और कार्यक्रमों के लिए दूसरे शहरों की यात्रा कर सकें।
कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे अरशद नदीम
अरशद की एथलेटिक क्षमता उनके शुरुआती स्कूली वर्षों से ही स्पष्ट थी, जहां उन्होंने क्रिकेट, बैडमिंटन, फुटबॉल और एथलेटिक्स जैसे विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। क्रिकेट के प्रति उनके जुनून ने उन्हें जिला स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया, लेकिन एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उनके प्रदर्शन ने कोच रशीद अहमद साकी का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने उन्हें अपने संरक्षण में लिया और उनकी प्रतिभा को निखारा।
भाला फेंक पर ध्यान केंद्रित करने से पहले, नदीम ने शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में भी भाग लिया था। जेवलिन थ्रो यानि भाला फेंक में नदीम का करियर 2015 में शुरू हुआ, और उन्हें 2016 में विश्व एथलेटिक्स से छात्रवृत्ति मिली, जिससे उन्हें मॉरीशस में IAAF उच्च-प्रदर्शन प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण लेने की अनुमति मिली। तीन साल पहले ओलंपिक में पदार्पण करने के बावजूद अरशद को पिछले कुछ वर्षों में वह प्रशिक्षण सुविधाएं नहीं मिली, जो उनके समकक्षों को मिली हैं। भाला फेंकने वाले इस खिलाड़ी ने इस साल की शुरुआत में अपने पहले डायमंड लीग में भाग लिया था।