कोरबा । आकांक्षी जिला कोरबा में शासन के कड़े प्रतिबंध के बावजूद अध्यापन व्यवस्था के नाम पर 106 शिक्षकों का संलग्नीकरण किए जाने के मामले को लोकहित में उजागर कर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराए जाने के बाद डीईओ कार्यालय कोरबा एक बार फिर पुरानी परंपरा पर लौट आया है। 15 एकल शिक्षकीय माध्यमिक शाला की बजाय अन्य स्कूलों को प्राथमिकता देते हुए शिक्षकों के संलग्नीकरण को पूर्णतः वैद्य करार देते हुए डीईओ द्वारा खंडन जारी कर पोर्टल में प्रकाशित खबर को मिथ्या निराधार एवं दुर्भावना से ग्रसित होकर जारी किया जाना लेख किया गया है।
खासबात यह है कि उक्त प्रेस विज्ञप्ति अहस्ताक्षरित है । डीईओ का हस्ताक्षर ही नहीं है । जो कि किसी भी मंच पर स्वीकार्य योग्य नहीं है। जिसे जिला जनसंपर्क कार्यालय से अधिकृत वाट्सएप ग्रुप में पोस्ट कर लोकहित की खबर को मिथ्या एवं निष्पक्ष पत्रकारिता को दुर्भावना से ग्रसित होने की निंदनीय पोस्ट जारी किया जा रहा है। जो यह दर्शाने में काफी है कि पत्रकार सुरक्षा व हितों की बात करने वाली साय सरकार में पत्रकारों को दस्तावेजी खबरों के मामले में भी ऐसे साजिश ,एवं षड्यंत्र का शिकार होना पड़ता है। मामले में सीधे मुख्यमंत्री से शिकायत की बात कही जा रही है।
जिला प्रशासन का अभयदान ,निर्वाचन कार्यालय के निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं करने से बढ़े हौसले

लोकहित में खबर प्रकाशन के बावजूद मिथ्या शिकायत कर छवि धूमिल करने वाले शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की लिखित शिकायत पर कोरबा कलेक्टर कार्यालय से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। शासन स्तर पर एवं निर्वाचन आयोग से इसकी शिकायत पर संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी पी .एस .ध्रुव ने पत्र क्रमांक 5190 दिनांक 02 /01/2024 के माध्यम से कलेक्टर को जारी पत्र में उल्लेख किया है कि अनेकों बार सीएमएस पोर्टल द्वारा ऑनलाइन /वॉट्सऐप के माध्यम से शिकायत के संबंध में प्रतिवेदन भेजने हेतु स्मरण कराए जाने के उपरांत भी शिकायत के संबंध में आपके स्तर पर की गई कार्यवाही से सीधे शिकायतकर्ता को अवगत कराने का कष्ट करें। जिसकी प्रतिलिपि शिकायतकर्ता को भी दी गई थी।बावजूद आज पर्यंत कार्रवाई नहीं की गई। यही वजह से जिला प्रशासन के प्रश्रय की वजह से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को डराने ,धमकाने दस्तावेजी को मिथ्या ,दुर्भावना से ग्रसित कर छवि धूमिल करने का कुत्सित प्रयास जारी है। जो कि लोकतंत्र के लिए अत्यंत खतरा है।