हैदराबाद । भारत में कई राजा-महाराजाओं ने अपने रहने के लिए या आपातकालीन स्थिति में छुपने के लिए किले बनवाए थे। ये किले आज भी देश की शान बने हुए हैं। इनमें से जहां कुछ किलों को हम उनकी
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भारत में कई राजा-महाराजाओं ने अपने रहने के लिए या आपातकालीन स्थिति में छुपने के लिए किले बनवाए थे। ये किले आज भी देश की शान बने हुए हैं। इनमें से जहां कुछ किलों को हम उनकी वास्तुकला के लिए जानते हैं तो कुछ किले ऐसे भी हैं जो सदियों बाद भी अपने भीतर रहस्य दबाए बैठे हैं।
हम बात कर रहे हैं गोलकुंडा किले के बारे में जिसे हैदराबाद के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। यह देश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक हुसैन सागर झील से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अपने शुरुआती समय में यह मिट्टी का किला था लेकिन बाद में कुतुब शाही राजवंश के दौरान ग्रेनाइट में बदल दिया गया।
कहा जाता है कि इस किले का निर्माण कार्य 16वीं सदी के पहले दशक में पूरा हुआ था लेकिन इसे बनाने की शुरूआत 13वीं शताब्दी में काकतिया राजवंश ने की थी। इस किले का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इसे इस तरह बनाया गया है कि जब कोई किले के तल पर ताली बजाता है तो उसकी आवाज बाला हिस्सार गेट से गूंजते हुए पूरे किले में सुनाई देती है। इस जगह को ‘तालिया मंडप’ या आधुनिक ध्वनि अलार्म भी कहा जाता है।
गोलकुंडा का इलाका हीरों के लिए भी मशहूर है। हमारा कोहिनूर जो आज अंग्रेजों के पास है वह गोलकुंडा की खानों से ही मिला था। यह भी कहा जाता है कि दुनियाभर के लोकप्रिय हीरे जैसे दरिया-ए-नूर, नूर-उल-ऐन, हीरा, होप डायमंड और रीजैंट डायमंड की खुदाई गोलकुंडा की खानों में की गई थी।