कर्नाटक। पीपुल्स कोर्ट ने मैसूर लोकायुक्त को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में कथित घोटाले की जांच करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूर लोकायुक्त में एफआईआर दर्ज की गई है ।
जन प्रतिनिधियों की विशेष अदालत के आदेशानुसार लोकायुक्त एडीजीपी मनीष खरबीकर के निर्देश पर मैसूर लोकायुक्त एसपी उदेश के नेतृत्व में एफआईआर दर्ज की गई हैकोर्ट ने सीआरपीसी के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। अब इसी एक्ट के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और ये किस धारा के तहत दर्ज की गई है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है।
शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की शिकायत पर कोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।।
सीएम सिद्धारमैया पर एफआईआर दर्ज
लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम और भूमि कब्जा निवारण अधिनियम के तहत अदालत द्वारा निर्धारित आईपीसी धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की। सीएम सिद्धारमैया पर आरोप A 1 है, पत्नी पार्वती पर आरोप A 2 है। इसके अलावा, बामैदा मल्लिकार्जुन ए3, देवराजू ए4 और ए5 को एफआईआर में दर्ज किया गया है।
लोकायुक्त एसपी उदेश के आदेशानुसार प्रत्येक गुरुवार को लोकायुक्त एसपी उदेश. बाद में उन्होंने लोकायुक्त मुख्यालय का दौरा किया और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। आखिरकार लोकायुक्त एडीजीपी मनीष खरबिकर के मार्गदर्शन में मैसूर लोकायुक्त एसपी उदेश खुद सामने आए और सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
सिद्धारमैया सीएम पद से नहीं देंगे इस्तीफा: खरगे
इस बीच, इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा किMUDA के लोग जो चाहें वे कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह जरूरी नहीं है कि सरकार उसके सभी सवालों का जवाब दें, क्योंकि वह एक स्वायत्त निकाय होने के कारण कार्रवाई कर ही सकता है। खरगे ने सीएम सिद्धारमैया का समर्थन करते हुए कहा कि उनलोगों निजी तौर पर कोई भी अपराध यदि किया हो तो इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार हैं, लेकिन वह ऐसा मानते हैं कि उन्होंने ऐसा कोई भी अपराध नहीं किया है। उन्हें बदनाम किया जा रहा है। पार्टी को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि सिद्धारमैया का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता है।