उत्तराखंड। पहली बार भारत से ही पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन किए गए। गुरुवार को श्रद्धालुओँ ने पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश पर्वत का नजारा लिया। ओल्ड लिपुलेख पास उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में व्यास घाटी में है।
इससे पहले कैलाश के दर्शन करने के लिए लोगों को तिब्बत तक जाना पड़ता था। यह भारत से ही कैलाश के दर्शन करने वाला श्रद्धालुओं का पहला जत्था है।
पिथौरागढ़ जिले के पर्यटन अधिकारी कृति चंद्र आर्या ने कहा, पुराने लिपुलेख दर्रे से पांच श्रद्धालुओं ने कैलाश पर्वत के दर्शन किए हैं। बुधवार को वे गुंजी कैंप पहुंचे थे। इसके बाद कैलाश के दर्शन करने के लिए उन्हें ढाई किलोमीटर पैदल चलकर पुराने लिपुलेख दर्रे तक पहुंचना था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों को कैलाश का दर्शन सुलभ बनाने के लिए धन्यवाद दिया है।
पहले जत्थे में दर्शन करने वाले भोपाल के नीरज और मोहिनी, चंडीगढ़ के अमनदीप कुमार जिंदल और राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले कृष्ण और नरेंद्र कुमार शामिल थे। कोविड 19 की वजह से कैलाश मानसरोवर यात्रा पिछले कई साल से स्थगित है। इसीलिए राज्य पर्यटन विभाग ने इस यात्रा का संचालन किया है ताकि भारत की सीमा के अंदर से ही लोग पवित्र कैलाश के दर्शन कर सकें।
बता दें कि पुराना लिपुलेख दर्रा18.300 फीट की ऊंचाई पर है। तीर्थयात्री धारचूला के रास्ते लिपुलेख तक पहुंचते हैं। कैलाश पर्वत चीन अधिकृत तिब्बत में है। इसकी ऊंचाई लगभग 6675 मीटर है। कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा कैलाश और मानसरोवर झील की यात्रा करवाई जाती थी। यह चीनी सरकार और भारत के विदेश मंत्रालय के सहयोग से यात्रा करवाता था।