एसईसीएल प्रबंधन के प्रति ऐसा आक्रोश,रावण की जगह प्रभावितों ने फूंक दिया प्रबंधन का पुतला ,लगायाप्रभावितों के पैतृक संपत्ति के साथ षड्यंत्र रच ,पुनर्वास नियमों का उल्लंघन कर जबरन मुआवजे में कटौती का आरोप

कोरबा। एसईसीएल प्रबंधन के कारनामों को लेकर ऊर्जाधानी संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी ललित महिलांगे ने प्रभावित ग्रामीणों के साथ मिलकर रावण की जगह एसईसीएल प्रबंधन का पुतला दहन किया ।

ललित महिलांगे ने बताया कि एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा,दीपका, कुसमुंडा और कोरबा के प्रभावितों के पैतृक संपत्ति के साथ एसईसीएल प्रबंधन षड्यंत्र रच के नया-पुराना कर ग्रामीणों के साथ खेल खेल रही है। उद्योग नीति में बने कानून कोल बेयरिंग एक्ट, कोल इंडिया पॉलिसी, लार पॉलिसी के नियमों का हवाला देकर ग्रामीणों के साथ जबरन मुआवजे में कटौती कर परोसा जा रहा है जबकि 2013 छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के नियमों का प्रबंधन खुला उल्लंघन कर रही है। इस नियम में ग्रामीणों के पैतृक संपत्ति के मुआवजे में सोलिशियम सहित चार गुना मुआवजा व हर प्रभावित व्यक्ति को पूरी व्यवस्थाओं के साथ बसाहट देना है।

प्रबंधन सिर्फ अपने उच्च अधिकारियों को खुश करने के लिए अपनी पीठ थपथपा कर वाही-वाही ले रहा है और साथ ही खदान विस्तार को तेजी से आगे बढ़ते हुए ग्रामों के ही नजदीक ला रहा है। इससे ग्रामीणों की बुनियादी सुविधाएं पानी, कुआं, बोर सब सूख सा गया। स्कूल व आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चे, ग्राम में रहने वाले ग्रामीण हैवी ब्लास्टिंग के कारण जान जोखिम में रखे हैं। प्रबंधन ने आफत खड़ा कर दिया है। सुरक्षा के नाम पर बिल्कुल खानापूर्ति कर रही है। ग्रामो से लगे महज 10 मीटर में कोई सुरक्षा नहीं होने के कारण अप्रिय घटना घटित हो सकती है।

गौरतलब है कि देश के विकास में सदियों से सहयोग करते किसान आज अपनी ही पैतृक संपत्ति के अधिकार व मुआवजा, बसाहट को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। अपनी खुद की जमीन को देश के विकास के नाम पर एसईसीएल को सुपुर्द करने के बावजूद भी प्रबंधन द्वारा उद्योग नीति में बने नियमों का हवाला देकर मुआवजे में कटौती कर बसाहट देने से इनकार कर रही है जबकि ये नियम छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति 2013 का नया कानून आने के बाद कोल बेयरिंग एक्ट, कोल इंडिया पॉलिसी, लार पॉलिसी खत्म हो जाती है किंतु अभी भी प्रबंधन खनन विस्तार के लिए इन नियमों का हवाला देकर अधिग्रहित क्षेत्र के ग्रामों में लाभ उठा रही है और अपने उच्च अधिकारियों को खुश करके अपनी पीठ थपथपा रही है। किसान की जमीन का वाजिब दर बाजार भाव से चार गुना सोलिशियम सहित मुआवजा व बसाहट देने का नया कानून छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति 2013 में है, प्रबंधन इस कानून का पालन नहीं कर रहा है जिससे मूल-निवासी पैतृक व पुरखा की संपत्ति बाजार भाव से चार गुना मुआवजे व बसाहट का ग्रामीणों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। एसईसीएल के चक्रव्यूह में गरीब,किसान, ग्रामीण पिस रहे हैं। इन सबके कारण प्रभावित ग्रामीण रावण की जगह प्रबंधनों का पुतला जलाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं।
ललित महिलांगे ने जारी बयान में कहा है कि प्रबंधन का रवैया ग्रामीणों के बीच ठीक नहीं है। ग्रामीणों का विश्वास हासिल कर खदान का विस्तार किया जाना चाहिए। प्रशासन द्वारा भी इस कार्य के लिए ग्रामीणों के सामने आकर इस विषम परिस्थिति का निराकरण किया जाना अति आवश्यक है। यदि सही निराकरण नहीं होगा तो भविष्य में प्रबंधन व कोयला खदान के लिए विरोध के स्वर उठना लाजिमी है। प्रशासन को हस्तक्षेप कर प्रबंधन को नया कानून 2013 छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के नियमों का पालन करवाना अति आवश्यक है जिससे ग्रामीणों में विश्वास पैदा हो कि उनके पैतृक संपत्ति का सही मूल्यांकन बोर्ड के दर के हिसाब से किया जा रहा है। आज प्रभावित ग्रामों के ग्रामीणों ने शपथ लिया तथा प्रदेश के लोगों को दशहरा का संदेश देते हुए बधाई व शुभकामनाएं दिये ।