कोरबा। कोरबा जिले का आबकारी अमला इन दिनों काफी सुर्खियों में है। कभी उसके रिटायर हो चुके प्रधान आरक्षक के खिलाफ भयादोहन की शिकायत होती है तो कभी शिकायत होती है कि वह अपने साथ ऐसे लोगों को लेकर चलते हैं जो गुंडागर्दी करते हैं। आबकारी अमले की सरकारी टीम के साथ अनाधिकृत लोगों का जलवा देखा जा रहा है। विभाग के लिए मुखबिरी करने वाले लोग कहीं ना कहीं आतंक का पर्याय बने हुए हैं। आबकारी अमला अपने मूल कार्यों को छोड़कर भयादोहन और वसूली में मस्त है जिसकी शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं।
अवैध मादक पदार्थ की अवैध बिक्री के मामले पकड़ने का मूल काम आबकारी विभाग का है, किंतु इस विभाग का लगभग सारा काम पुलिस प्रशासन को ही करना पड़ रहा है। समाज में होने वाले अपराधों की रोकथाम,कानून व्यवस्था पुलिस के मत्थे है और जब आबकारी अमला अवैध नशा के मामलों को पकड़ने में हीलाहवाला कर रहा है तो पुलिस विभाग को सामाजिक अपराधों को रोकने के लिए अवैध नशा की बिक्री करने वालों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करनी पड़ रही है, जो दिखता भी है। गांजा से लेकर अवैध शराब और अन्य मादक पदार्थों के मामले में कार्रवाई का आंकड़ा आबकारी विभाग में पुलिस की अपेक्षा काफी कमजोर है। लोगों के बीच से यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या आबकारी अमला सिर्फ लठैतों को लेकर भयादोहन करने के लिए है।
ताजातरीन मामला सामने आया है जिसे लेकर पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई है। इस मामले का सीसीटीवी फुटेज शुरू से लेकर अंत तक देखने पर सवाल उठते हैं कि अनाधिकृत लोग कैसे आबकारी अधिकारियों की शह पर काम कर रहे हैं,तलाशी ली रहे हैं और मारपीट तक कर रहे हैं वह भी लाठी-डण्डा लेकर।
हार्ट पेशेंट ढाबा संचालक से वसूले 50 हजार रुपये
बेन्कट रमन प्रताप सिंह 51 वर्ष, पिता बिन्देश्वर सिंह, निवासी सड़क पारा, केंदई मोरगा, तहसील- कटघोरा ने शिकायत में बताया है कि- दिनांक 23.10.2024 को धीरज शिन्दे आबकारी विभाग के टीम को लेकर लगभग 5 बजे सायं मेरे भाई के ढाबा में आया और सीधे ढाबा के अन्दर चला गया, उसके साथ दो-तीन और आदमी सिविल ड्रेस में थे, जिसे देखकर लग रहा था कि वे सभी प्राईवेट आदमी हैं। पूरे ढाबा की तलाशी वे लेने लेगे, जबकि वर्दी वाले जितने लोग थे, वे चुपचाप एक जगह पर खडे रहे, फिर पता नहीं कहीं से एक थैले में कुछ शराब की शीशियां लेकर धीरज आया और कहने लगा कि. यह तुम्हारा शराब है, जबकि मेरा छोटा भाई पवन कुमार तंवर जो कि उस समय दुकान में था, उसे धीरज शिन्दे एवं एक मोटे से सिविल ड्रेस में थे, जिन्हें सभी सर-सर कर के बोल रहे थे, वे दोनों मिलकर मेरे भाई को गाली देने लगे। तत्पश्चात् मेरे भाई को एक कोनें में ले जाकर धीरज शिन्दे द्वारा दो-तीन थप्पड़ मारा गया एवं मोटे वाले साहब डराते रहे एवं अपशब्दों का प्रयोग करते हुए शराब मेरा है कहकर स्वीकार करने को बोलते रहे।
मेरा भाई हृदय रोगी है, एवं अभी-अभी उसका अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ है, जिसके कारण उसकी तबीयत खराब होने लगी, वह धीरज शिन्दे की मार से एवं मोटे वाले सर के गाली से डरकर हां शराब मेरा है, कह कर स्वीकार किया। उसके पश्चात् मेरे छोटे भाई को लेकर बस्ती के अंदर जहां मेरा घर है, वहां ले गये एवं पूरे घर एवं दुकान की तलाशी किए। तत्पश्चात् मेरे भाई को लेकर पुनः ढाबा में आए एवं सौदेबाजी करने लगे। कहने लगे ये जो शराब है, वह मध्यप्रदेश का है, जिसमें तुमको जमानत नहीं मिलेगी, इस तरह से काफी डरा धमकाकर 50,000 /- रूपये (पचास हजार रूपये) में सौदा तय हुआ, जिसे अपने पिताजी से लाकर आबकारी वालों को देने लगा, तो आबकारी वालों ने धीरज को पैसा देनें के लिए कहा, जिससे मेरे भाई ने धीरज को पैसा दिया।
पुलिस कर्मी का बेटा है धीरज,करेंट भी लगाया था
विदित हो कि पूर्व में धीरज शिन्दे के पिताजी मोरगा थाना में पदस्थ थे, जिसके कारण मुझसे कई बार तनातनी हो चकी है। उसी सब दुश्मनी को देखते हुए धीरज शिन्दे के द्वारा पूरा प्लॉन तैयार किया गया। पिछले वर्ष भी धीरज आबकारी वालों के साथ लगभग रात को 1 बजे आया था और वहां हमारे एक कर्मचारी को तार लगाकर करेंट लगाने का प्रयास कर रहा था। उसके बाद वहां उपस्थित हमारे स्टॉफों को काफी मारा जिसकी शिकायत उस समय मेरे द्वारा मोरगा चौकी में की गई थी। मेरे ढाबा में सीसीटीवी लगा हुआ है, जिसे आप आकर देख सकते हैं। उसमें साफ-साफ दिखाई दे रहा है, कि धीरज क्या कर रहा है।
निवेदन है कि धीरज शिन्दे एवं आबकारी के वे मोटे वाले साहब के ऊपर आदिवासी एक्ट की तहत् कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जावे।