उत्तरप्रदेश । महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान से पहले मची भगदड़ की घटना ने हर किसी को दुखी कर दिया है. इस हादसे में 30 लोगों की जान चली गई और 90 लोग घायल हो गए. महाकुंभ में संगम नोज पर अचानक भीड़ का दबाव बढ़ने और अखाड़ों के लिए लगी बैरिकेडिंग टूटने के वजह से लोग जमीन पर सो रहे श्रद्धालुओं पर चढ़ते चले गए.

जिसके बाद जो हुआ उसने पूरे प्रदेश को हिला दिया है. महाकुंभ में भगदड़ की ये घटना पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले भी भीड़ की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
भारत को आजादी मिलने के बाद साल 1954 में इलाहाबाद में महाकुंभ का आयोजन हुआ था. इस महाकुंभ में भी मौनी अमावस्या के मौके पर लाखों की भीड़ उमड़ी थी. जिसे प्रशासन संभाल नहीं पाया और ऐसी भगदड़ मची कि 800 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इस हादसे में कई लोग नदी में डूबकर मर गए थे.
हरिद्वार महाकुंभ में गईं थीं 50 जानें
साल 1986 में हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन हुआ था. इस महाकुंभ में भी हादसा हो गया था. उस समय यूपी के सीएम वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ हरिद्वार में डुबकी लगाने पहुंचे थे. बताया झाता था कि इस दौरान जब लोगों ने गंगा नदी के घाट तक जाने की कोशिश की तो भगदड़ मच गई जिसमें 50 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इसके बाद साल 1992 में उज्जैन में आयोजित हुए महाकुंभ में भी भगदड़ मचने की वजह से 50 लोगों की जान चली गई थी.
नासिक और इलाहाबाद में भी हुए हादसे
साल 2003 महाराष्ट्र के नासिक में हुए महाकुंभ में भी भगदड़ मच गई थी. जिसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. साल 2010 में हरिद्वार में भी ऐसा ही हादसा देखने को मिला था, जिसमें 5 लोगों की जान चली गई थी. साल 2013 में इलाहाबाद में महाकुंभ मेले के दौरान हादसा हो गया था, जब रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज ढह गया था, इस हादसे में 36 लोगों की जान चली थी.
और अब 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भी भीड़ बढ़ने की वजह से भगदड़ मच गई, जिसकी वजह से 30 लोगों की जान चली गई है. सीएम योगी ने इस हादसे के बाद अधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक की और अधिकारियों को श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.