ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में गंगा में लगाई डुबकी, किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से दिया इस्तीफा,कहा -मेरे महामंडलेश्वर होने से कई लोगों को आपत्ति हो गई,25 साल तपस्या की है ,मैं साध्वी ही रहूंगी …

उत्तरप्रदेश । बॉलीवुड अभिनेत्री से गृहस्थ जीवन से संन्यास लेकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज महाकुंभ में गंगा में डुबकी लगाई और अपना पिंडदान कर किन्नर अखाड़ा में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महामंडलेश्वर के रूप में पट्टाभिषेक किया था।इसके बाद से वो लगातार विवादों में थीं।

ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाने के फैसले का जमकर विरोध हो रहा था। आंतरिक और बाहरी कलह के बाद ममता कुलकर्णी को 31 जनवरी को किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने महामंडलेश्वर पद से हटा दिया था। इसके अलावा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाया गया था। संन्यास की दीक्षा लेने से पहले ममता कुलकर्णी ने आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात की थी। अजय दास ने कार्रवाई करते हुए कहा था कि स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाना सिद्धांतों के खिलाफ है।

महामंडलेश्वर पद से दिया इस्तीफा

विवाद से घिरी ममता कुलकर्णी ने सोमवार (10 फरवरी) को महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि मैं 25 साल से साध्वी थी और साध्वी ही रहूंगी। मैंने 25 साल तप किया, कुछ लोगों के लिए ये आपत्तिजनक हो गया है। उन्होंने कहा कि कौन बॉलीवुड और मेकअप से दूर रहता है? लोग कहते हैं कि मैं ये क्यों करती हूं, वो क्यों करती हूं। मेरे महामंडलेश्वर होने से कई लोगों को आपत्ति हो गई। चाहे वो शंकराचार्य हो, चाहे महामंडलेश्वर हो। चैतन्य गगनगिरी महाराज के सानिध्य में मैंने 25 साल तप किया।

ममता के फैसले ने सबको चौंकाया

90 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था। एक इंटरव्यू में ममता ने बताया था कि मेरे भारत छोड़ने का कारण अध्यात्म था। 1996 में मेरा झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ और उसी दौरान मेरी मुलाकात गुरु गगनगिरी महाराज से हुई। उनके आने के बाद अध्यात्म में मेरी रुचि बढ़ी और मेरी तपस्या शुरू हुई।