रायपुर । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था और अब सत्ता में आने के बाद इस घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं।शनिवार को जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के ठिकाने पर एसीबी -ईओडब्ल्यू ने दबिश दी है।
पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पहले ही इस मामले में जेल में हैं। उनके साथ ही कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और कारोबारी भी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। अब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की संयुक्त कार्रवाई से मामले में नया मोड़ आ गया है।
ACB और EOW ने कवासी लखमा के करीबी माने जाने वाले व्यापारियों और अन्य लोगों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की है। इन छापों के दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए स्पष्ट कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज👇
जैसे-जैसे कार्रवाई बढ़ रही है, कांग्रेस नेताओं में बेचैनी देखी जा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने केंद्रीय एजेंसियों पर दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। हालांकि, सत्तापक्ष का कहना है कि जांच एजेंसियां अपने कार्य कर रही हैं और यदि कांग्रेस नेताओं ने कुछ गलत नहीं किया है, तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।
घोटाले की पृष्ठभूमि और मौजूदा स्थिति👇
बताया जा रहा है कि यह शराब घोटाला करोड़ों रुपये का है, जिसमें शराब की आपूर्ति, मूल्य निर्धारण और अवैध वसूली से संबंधित बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। जांच एजेंसियां अब तक कई गिरफ्तारियां कर चुकी हैं और कई अधिकारी व कारोबारी फरार बताए जा रहे हैं।
2018 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने 5 वर्षों तक शासन किया, लेकिन अब उन पर भ्रष्टाचार और घोटालों के गंभीर आरोप लग रहे हैं। जांच की रफ्तार को देखते हुए साफ है कि आने वाले समय में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
जानें क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामला👇
बता दें कि भूपेश बघेल सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा के खिलाफ 2161 करोड़ के शराब घोटाले में एफआईआर दर्ज है। ईडी की रिपोर्ट में बतौर आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपए दिए जाने का जिक्र किया गया है। इस मामले में चार्जशीट में बताया गया है कि आईएसएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट ने इस घोटाले को अंजाम दिया है।