हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायपुर -बीजापुर -दंतेवाड़ा। साय सरकार में उच्च विभागीय अधिकारीगण निरंकुश हो गए हैं। उन्हें नियम कायदों यहाँ तक कि अपने ही विभाग के मंत्री के आदेशों की परवाह नहीं । दैहिक शोषण एवं भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपों से घिरे आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के उपायुक्त आनंद जी सिंह को परियोजना प्रशासक एवं सहायक आयुक्त बीजापुर के पद से निलंबित करने की जगह सिविल सेवा आचरण नियमों के सवर्था प्रतिकूल कार्य व्यवहार कर विभाग की छवि धूमिल किए जाने का इनाम संचालनालय में पदस्थापना के रूप में मिला है। जी हां बुधवार को अवर सचिव आदिम जाति विकास विभाग ने 9 विभागीय अधिकारियों का जो नवीन पदथापना आदेश जारी किया है ,उसमें श्री सिंह को आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास ,इंद्रावती भवन नया रायपुर में पदस्थ कर दिया गया है। जहाँ अब इनकी पदस्थापना को सम्मान की दृष्टि से देखा जाएगा।


बुधवार को अवर सचिव आदिम जाति विकास विभाग ने 9 विभागीय अधिकारियों का जो नवीन पदथापना आदेश जारी किया है ,जिसमें परियोजना प्रशासक एवं सहायक आयुक्त बीजापुर के पद पर पदस्थ उपायुक्त आनंद जी सिंह को संचालनालय इंद्रावती भवन में कार्यालय आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास में पदस्थ कर दिया है। भ्रष्टाचार के मामलों में ईओडब्ल्यू एवं एसीबी की छापेमार कार्रवाई का सामना करने वाले श्री सिंह के विरुद्ध शादी का वादा कर 7 वर्षों से दैहिक शोषण ,मारपीट के मामले में दंतेवाड़ा जिले के गीदम थाने में अपराध दर्ज होने के बावजूद वैद्यानिक एवं प्रशासनिक (निलंबन) की कार्रवाई किए जाने के बजाय अन्तरिम जमानत मिलते ही सीधे उन्हें संचालनालय में विभाग के आयुक्त कार्यालय में पदस्थापना दिए जाने के आदेश ने सचिव आदिम जाति विकास विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर दिया है । सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अपराध दर्ज होने के बावजूद आखिर किसकी संरक्षण से उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई। विभाग की छवि धूमिल होने पर विभागीय मंत्री के आदेश के बावजूद सचिवालय ने आखिर श्री सिंह को क्यों प्रश्रय प्रदान किया। ऐसी क्या मजबूरी रही या विशेष प्रभाव रहा कि इनके विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई नहीं की गई। हाल में अंतरिम जमानत मिलते ही मानो पुरुस्कार स्वरूप उन्हें आयुक्त कार्यालय में पदस्थापना दे दी गई है। निश्चित तौर पर इस फैसले से अन्य अफसरों का मनोबल बढ़ेगा और वे भविष्य में ऐसी अशोभनीय ,अनुशासनहीन कृत्यों को अंजाम देने नहीं डरेंगे।
जानें क्या लगे हैं आरोप 👇

जानकारी के मुताबिक ये पूरा घटनाक्रम दंतेवाड़ा जिला के गीदम थाना क्षेत्र का है। महिला ने गीदम थाने में दंतेवाड़ा में पदस्थ रहे तत्कालीन सहायक आयुक्त व वर्तमान में बीजापुर में पदस्थ सहायक आयुक्त आनंदजी सिंह के खिलाफ दर्ज करायी है। महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि वह शादीशुदा है। पति के साथ पारिवारिक विवाद के बाद दोनों के बीच तलाक की प्रक्रिया चल रही थी। इसी बीच साल 2018 में उसकी मुलाकात दंतेवाड़ा में पदस्थ रहे सहायक आयुक्त आनंदजी सिंह से हुई थी।
दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में तब्दिल हो गया। महिला ने आरोप लगाया कि आनंदजी सिंह शादीशुदा होने के बाद भी उसके साथ शादी करने का वादा किया। इस दौरान पिछले 7 सालों से वह महिला के साथ दैहिक शोषण करता रहा। इस दौरान महिला तीन बार प्रेग्नेंट भी हुई, जिसका सहायक आयुक्त ने गर्भपात करा दिया गया। इस दौरान सहायक आयुक्त आनंदजी का दंतेवाड़ा से बीजापुर तबादला हो गया। महिला का आरोप है कि जब उसने आनंदजी पर शादी के लिए दबाव बनाया, तो उसने मना कर दिया।
जिसके बाद महिला ने इस मामले की रिपोर्ट गीदम थाने में दर्ज करायी है। पुलिस ने महिला की शिकायत पर बीजापुर में पदस्थ सहायक आयुक्त आनंदजी सिंह के खिलाफ अपराध अपराध क्रमांक 0051 बीएनएस की धारा 64(1) और 351(2) के तहत पंजीबद्ध किया गया है। अपराध की तिथि 21 मार्च 2018 से 18 अप्रेल 2025 के बीच की बताई गई है। जिसमें महिला द्वारा यह कथन है कि तीन बार उसका अबार्शन के लिए मजबूर किया गया है।अपराध दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी थी। अपराध दर्ज होते ही श्री सिंह फरार हो गए थे। हाल ही में उन्हें कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है ,जिसके बाद उनकी पदस्थापना आयुक्त कार्यालय में की गई है। सहायक आयुक्त ने 2018 से शादी का वादा कर उसके साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान दवाइयां खिलाकर तीन बार अबॉर्शन (गर्भपात) भी कराया गया। जब महिला ने शादी के लिए दबाव डाला, तो आनंद सिंह ने उसका मोबाइल नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया।
श्री सिंह भी थाने में दिया था आवेदन,1 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का लगाया था आरोप 👇
आनंद सिंह ने पुलिस को छह पेज का लिखित आवेदन सौंपा था, जिसमें महिला पर ब्लैकमेलिंग और एक करोड़ की डिमांड करने का आरोप लगाया गया है। आवेदन में उन्होंने यह स्वीकार भी किया था कि उनके महिला से यौन संबंध थे, लेकिन इसे आपसी सहमति का बताया।
हनीट्रैप जैसा मामला तो नहीं 👇
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यह मामला एक बड़े सिंडिकेट द्वारा हनीट्रेप जैसा भी है।
इसमें विडियो बनाकर ब्लैक मेलिंग जैसी बात भी कही जा रही थी । यह जांच का विषय है कि आखिर विडियो किसने तैयार की और कौन ब्लैक मेलिंग कर रहा था। इसमें गीदम के कुछ प्रतिष्ठित लोगों के शामिल होने का भी संदेह जताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस की जांच चल रही है।
इस मामले में शामिल विश्वस्त सूत्रों के अनुसार आनंद जी सिंह से लाखो रुपए की वसूली भी की गई है।
दरअसल सार्वजनिक जीवन में आनंद जी सिंह की छवि एक साफ सुथरे सामाजिक विद्वान की रही है। वे कई तरह के पुरस्कारों से नवाजें जा चुके हैं। किसी को इस बात पर भरोसा ही नहीं हो रहा है कि वे इस तरह के किसी कृत्य में शामिल हो सकते हैं। दरअसल करीब दो दशक से आनंद जी सिंह बस्तर संभाग में ही कई पदों पर रहे हैं। वे पहले जनपद सीईओ थे, फिर सहायक आयुक्त बने उसके बाद फिलहाल आदिम जाति कल्याण विभाग में उपायुक्त के पद पर बीजापुर में पदस्थ हैं।
ACB ,EOW की पड़ी थी रेड 👇
करीब 2 माह पहले आनंद जी सिंह के कई ठिकानों पर छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू की टीम ने छापा भी मारा था। एसी ट्रायबल आनंद सिहं के घर पर EOW और ACB की टीम ने दबिश दी थी। उनके जगदलपुर में धरमुरा स्थित आवास पर रेड मारी गई। इसके अलावा उनके 2 रिश्तेदार जो बलौदाबाजार और धरमपुरा में रहते हैं उनके यहां पर भी एसीबी की टीम ने कार्रवाई की थी। सुकमा जिले के कई ठिकानों पर भी छापेमार कार्रवाई हुई थी।
डीएमएफ की राशि में गड़बड़ी का केस👇
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक EOW ने यह कार्रवाई डीएमएफ राशि में गड़बड़ी को लेकर की थी । इसके अलावा सप्लाई और वित्तीय गड़बड़ी का केस भी सामने आया है। बीजापुर में सहायक आयुक्त आनंद सिंह गैर हाजिर थे। वह जगदलपुर में अपने निजी मकान में थे। इस दौरान आनंद सिंह के तीन ठिकानों पर EOW ने रेड की कार्रवाई की थी।।आनंद सिंह के बीजापुर दंतेवाड़ा और जगदलपुर के आवास पर रेड की जानकारी थी।