बड़ी खबर :अनिल अंबानी पर ED का शिकंजा! दिल्ली-मुंबई समेत 35 से अधिक ठिकानों पर RAID , 50 कंपनियां 25 से ज्यादा लोग रडार में ,मचा हड़कम्प ,जानें किन मामलों में हो रही कार्रवाई…

दिल्ली -मुंबई। अनिल अंबानी और उनके रिलायंस ग्रुप (RAAGA कंपनियों) से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार सुबह एक बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया. यह रेड देश की राजधानी दिल्ली और मुंबई सहित 35 से ज्यादा लोकेशनों पर एक साथ की जा रही है. मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जिसमें हजारों करोड़ रुपये की गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है.

यह छापेमारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत हो रही है. बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई में अनिल अंबानी से जुड़ी करीब 50 कंपनियों और 25 से ज्यादा व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है. इस ऑपरेशन में ED को CBI, SEBI, नेशनल हाउसिंग बैंक, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी एजेंसियों से अहम जानकारी मिली है.

CBI की FIR के बाद खुला पूरा घोटाला👇

ED की कार्रवाई की शुरुआत उस वक्त हुई जब CBI ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं. ये केस RAAGA कंपनियों से जुड़े हैं, जो रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की इकाइयां हैं. FIR नंबर RC2242022A0002 और RC2242022A0003 के तहत धोखाधड़ी, गबन और बैंकों से फर्जी तरीके से ऋण लेने के गंभीर आरोप लगे हैं.

इन FIR के आधार पर ED ने जांच शुरू की और पाया कि एक सुनियोजित स्कीम के तहत बैंक, निवेशक और सरकारी संस्थानों को धोखा दिया गया. एजेंसी ने यह भी पाया कि यस बैंक से मिली रकम को कंपनी के प्रमोटर्स और अन्य समूह कंपनियों में अवैध रूप से डायवर्ट किया गया.

यस बैंक से 3000 करोड़ का लोन और घूस का खेल👇

ED की जांच में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RAAGA कंपनियों को जो कर्ज दिया, वह पूरी तरह नियमों को ताक पर रखकर मंजूर किया गया. शुरुआती जांच से पता चला है कि लोन मंजूर होने से पहले ही यस बैंक के प्रमोटर्स को बड़ी रकम निजी कंपनियों के जरिए दी गई थी.

लोन से जुड़े दस्तावेज़, जैसे क्रेडिट अप्रूवल मेमोरैंडम (CAMs), को बैकडेट में तैयार किया गया. लोन की मंजूरी बिना किसी ड्यू डिलिजेंस या क्रेडिट एनालिसिस के दी गई, जो बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का सीधा उल्लंघन था.

इसके अलावा ED ने यह भी पाया कि लोन को तुरंत दूसरे ग्रुप और शेल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया गया. लोन उन्हीं कंपनियों को दिया गया जिनके पास कमजोर वित्तीय स्थिति थी, जिनका पता एक जैसा था या जिनके डायरेक्टर एक ही थे. कुछ मामलों में आवेदन और मंजूरी की तारीख एक ही पाई गई या लोन मंजूरी से पहले ही रकम ट्रांसफर कर दी गई.

RHFL में भी घोटाले के संकेत, SEBI की रिपोर्ट से खुलासा👇

सेबी ने भी इस मामले में RHFL (Reliance Home Finance Limited) को लेकर कई अहम जानकारी ED के साथ साझा की हैं. SEBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017-18 में RHFL ने जहां 3,742.60 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट लोन दिए थे, वहीं 2018-19 में यह रकम बढ़कर 8,670.80 करोड़ रुपये हो गई.

इस दौरान कंपनी ने लोन देने के सभी नियमों को नजरअंदाज किया. तेज़ी से अप्रूवल दिए गए, जरूरी दस्तावेज नहीं जुटाए गए और कई बार कंपनियों की आर्थिक स्थिति की जांच किए बिना भारी भरकम रकम ट्रांसफर कर दी गई. इन लोन का बड़ा हिस्सा बाद में प्रमोटर ग्रुप की कंपनियों में डायवर्ट किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता हुई.

25 से अधिक लोग ED की रडार में

खबर है कि ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप के खिलाफ जांच के तहत कार्रवाई की है। PMLA के तहत करीब 35 ठिकानों और 50 कंपनियों की जांच चल रही है। साथ ही 25 से ज्यादा लोग भी ईडी के रडार पर हैं। हालांकि, इस दौरान जांच में उनका घर शामिल नहीं है। दिल्ली और मुंबई की ईडी टीम उनके ग्रुप की कंपनियों के परिसर पहुंची हैं।

खास बात है कि ईडी का ऐक्शन ऐसे समय पर हो रहा है, जब कुछ दिन पहले ही SBI यानी भारतीय स्टेट बैंक ने रिलायंस कम्युनिकेशन्स और इसके प्रमोटर अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ करार दिया था।

इस वजह से पड़ी रेड

खबर है कि ईडी ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों और ‘यस बैंक’ के खिलाफ 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण ‘घोटाले’ के मामले में छापे मारे हैं। सीबीआई की तरफ से दर्ज दो FIR और नेशनल हाउजिंग बैंक, सेबी, NFRA और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत कई वित्तीय संस्थानों से मिले इनपुट के आधार पर कार्रवाई की है।

इंडिया टुडे के अनुसार, ईडी का दावा है कि सार्वजनिक धन की हेराफेरी के सबूत मिले हैं। साथ ही जांच में पता चला है कि इस प्रक्रिया के दौरान बैंक, शेयर होल्डर्स, निवेशक समेत कइयों को गुमराह किया गया था।