हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। ” नौ दिन चले अढ़ाई कोस” अमूमन यह मुहावरा उन स्थितियों में इस्तेमाल होता है जहां कोई व्यक्ति या समूह बहुत सुस्त या आलसी तरीके से काम कर रहा हो ,जी हां यह मुहावरा आकांक्षी जिला कोरबा में कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की जांच टीम पर बिल्कुल सटीक बैठता है। जहाँ पदस्थ अफसरों की जांच टीम कार्यालय खण्ड चिकित्सा अधिकारी कोरबा द्वारा जीवनदीप समिति रानी धनराज कुंवर देवी यू.पी.एच.सी.कोरबा चिकित्सालय को प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत जेडीएस में अस्पताल प्रबंधन के अत्यावश्यक कार्य के लिए प्राप्त आबंटन राशि मे अनुपयोगी कार्य कराकर नियम विरुद्ध भुगतान कर फंड का बंदरबाट करने के मामले में की गई दस्तावेजी शिकायत की जांच 3 माह में भी पूरी नहीं कर सकी। कलेक्टर के आदेश पर 7 दिन में सीएमएचओ द्वारा मांगे गए जांच प्रतिवेदन की जानकारी शिकायतकर्ता द्वारा मांगे जाने पर जांच अधिकारी ने जांच प्रक्रियाधीन बताकर बेहद ही अकर्मण्यता अनुशासनहीनता का प्रमाण दिया है। इस गंभीर मामले में जिम्मेदारों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग किए जाने के अनुरोध की अनदेखी पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे।
यहाँ बताना होगा कि कार्यालय प्रमुख सचिव महोदय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ,छग शासन के यहाँ पत्र क्रमांक 6976 दिनांक 21.03.2025 के द्वारा शिकायत प्रस्तुत कर कार्यालय खण्ड चिकित्सा अधिकारी ,विकासखण्ड -कोरबा द्वारा जीवन दीप समिति रानी धनराज कुंवर देवी यू .पी .एच .सी कोरबा चिकित्सालय को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत
जीवन दीप समिति में अस्पताल प्रबंधन के अत्यावश्यक कार्य के लिए प्राप्त आबंटन राशि में कई अनुपयोगी कार्य कराकर एवं नियम विरुद्ध भुगतान कर फंड का बंदरबाट करने वालों का चिन्हांकन कर समस्त कार्यों ,क्रय किए गए समाग्रियों की व्यापक लोकहित में राज्य स्तरीय अंतर्विभागीय टीम गठित कर 30 दिवस के भीतर जांच कर जिम्मदारों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की मांग की गई थी।
जिसकी प्रतिलिपि कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कोरबा ,एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दी गई थी। जिसमें संज्ञान लेते हुए कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी महोदय ने पत्र क्रमांक /5068 /शिका/स्था.पंजी. न.49 /2025 दिनांक 23.04.2025 के माध्यम से प्रकरण पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे । कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने उक्त आदेश के परिपालन में कार्यालयीन पत्र क्रमांक 335 दिनांक 13 /05/2025 के माध्यम से तीन सदस्यीय जांच दल का गठन कर सम्पूर्ण पहलुओं पर तथ्यपरक जांच करते हुए जांच प्रतिवेदन अपने स्पष्ट अभिमत के साथ 7 दिवस के भीतर अधोहस्ताक्षरकर्ता को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। डी.एच .ओ. सी .के. सिंह की अध्यक्षता में गठित जांच दल में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ.कुमार पुष्पेश एवं सी.पी.एम श्रीमती ज्योत्सना पैकरा शामिल थीं। लेकिन ‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस ‘ नामक मुहावरे की तर्ज पर आज 3 माह बीत गए टीम जांच पूरी नहीं कर सकी। यही नहीं शिकायतकर्ता को इससे अवगत भी मुनासिब नहीं समझा गया। इस तरह जांच दल ने न केवल अकर्मण्यता अनुशासनता का परिचय दिया है वरन उच्च अधिकारियों के आदेशों को भी मजाक बनाकर रख दिया है। न उन्हें कलेक्टर के आदेश की परवाह है न अपने सीएमएचओ के जांच आदेश की परवाह है। प्रकरण में सीएमएचओ एस. एन .केसरी से उनका पक्ष जानने कई मर्तबा कोशिश की गई कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका है।
आरटीआई में मियाद उपरांत दिया जवाब ,जांच को बताया 3 माह से प्रक्रियाधीन 👇

जांच अधिकारी कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के यहाँ जन सूचना अधिकारी भी हैं। शिकायतकर्ता ने जब 7 दिवस के भीतर होने वाले जांच की प्रतिवेदन की प्रतिलपि लगभग डेढ़ माह बाद भी प्राप्त नहीं होने पर पत्र क्रमांक 7395 दिनांक 24.06.2025 के माध्यम से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत जांच प्रतिवेदन की सत्यप्रतिलपि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया तो उसमें भी जनसूचना अधिकारी ने निर्धारित मियाद 30 दिवस के भीतर कोई जवाब नहीं दिया। प्रमुख सचिव से जांच अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु शिकायतकर्ता /आवेदक द्वारा पत्र क्रमांक 7592 दिनांक 25 .07.2025 के माध्यम से ध्यानाकर्षण पत्र प्रस्तुत करने के बाद आवेदक को पत्र क्रमांक 8473 दिनांक 01/08/2025 के माध्यम से जवाब प्रेषित कर प्रकरण की जांच प्रतिवेदन प्रक्रियाधीन बताया है। जनसूचना अधिकारी डी.एच.ओ. सी .के. सिंह ने डीएमएफ से जुड़ी जानकारी भी समयावधि में प्रदान कराने में विफल रहती हैं। उक्त कार्यशैली से विभाग की छवि पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे,शिकायत सीधे शासन स्तर तक जा रही।
प्रमुख सचिव से की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग 👇
जांच दल द्वारा जांच आदेश जारी होने के 7 दिवस के भीतर पूरा किए जाने वाले जांच को 3 माह तक लटकाकर भ्रष्टाचार को प्रश्रय दिए जाने के मामले में जांच दल में शामिल अधिकारियों का कृत्य घोर अनुशासन पाए जाने पर शिकायतकर्ता ने पत्र क्रमांक 7592 दिनांक 25 .07.2025 के माध्यम से ध्यानाकर्षण पत्र प्रस्तुत कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। हालांकि तय मियाद बीतने के बाद भी आज पर्यंत कार्यालय प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के यहाँ से कार्रवाई नहीं की जा सकी है। जबकि कोरबा ही नहीं पूरे प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के फंड का जीवनदीप समिति के माध्यम से बंदरबाट की समय समय पर शिकायतें जनता से मिलती रहती हैं। लिहाजा न केवल कोरबा के दृष्टिकोण से वरन पारदर्शिता के लिए राज्य स्तर से इसकी चरणबद्ध रूप से जांच की दरकार है।
तो क्या इस वजह से जांच करने कांप रहे हाथ 👇
गौरतलब हो कि खण्ड चिकित्सा अधिकारी कोरबा के पद पर तत्कालीन समयावधि में डॉ दीपक राज पदस्थ थे। इनके चचेरे भाई माननीय मुख्यमंत्री के ओएसडी हैं ,शायद इसी प्रभाव की वजह से जांच दल के हाथ इनके कार्यकाल के प्रकरणों की जांच करने कांप रहे हैं। हालांकि प्रमुख सचिव कार्यालय समेत जांच दल के द्वारा जांच में किए जा रहे टालमटोल रवैये से परेशान शिकायतकर्ता ने सीधे मुख्यमंत्री के समक्ष शिकायत करने की ठान ली है।
उड़ाए मनमाना बैलून,गैर जरूरी कार्य झालर तक के दर अंकित नहीं 👇

शिकायत पत्र में उल्लेख किया गया था कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत
शासकीय चिकित्सालयों को भर्ती मरीजों के उपचारोपरांत जो फंड प्राप्त होता है। उसका जानकारी अनुसार इस तरह विभाजन किया गया है कि 50 प्रतिशत मुख्यमंत्री संजीवनी कोष में 35 प्रतिशत कर्मचारियों के इन्सेंटिव्ह एवं 15 प्रतिशत राशि जीवन दीप समिति को अस्पताल प्रबंधन से जुड़े अत्यावश्यक कार्यों के लिए प्राप्त होते हैं। लेकिन महोदय यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि खण्ड
चिकित्सा अधिकारी रानी धनराज कुंवर देवी यू.पी.एच. सी. कोरबा चिकित्सालय में
आवश्यक प्रबंधन किए जाने के नाम पर विगत 2 वित्तीय वर्षों 2022 -23 एवं 2023-24 में प्राप्त आंबटन राशि का गैर आवश्यक कार्यों में व्यय कर एवं फंड का अग्रिम आहरण कर अतिरिक्त भुगतान कर बंदरबाट किया गया है।
अस्पताल प्रबंधन ने बैलून के नाम पर हजारों रुपए का अपव्यय किया है। 26 जनवरी 2023 एवं 24 अप्रैल 2023 के न्यू मां काली डेकोरेशन के 3 -3 हजार रुपए का बिल एवं भुगतान विवरण पत्रक में इसके साक्ष्य हैं। जिन पर बैलून की मात्रा एवं दर तक अंकित नहीं है। अफसरों ने कुटरचित बिल तैयार करवाकर फर्म को अनुचित भुगतान कर बड़ी चालाकी से अपने भी निहित स्वार्थों की पूर्ति कर ली है। झालर जैसे गैर जरुरी कार्य भी जीवन दीप समिति के उपलब्ध फंड के कराए गए हैं। फर्म लाईट एंड डी.जे.साउंड का 26 /10/2022 का बिल इसका प्रमाण हैं। जिसमें झालर के दर तक का उल्लेख नहीं है। यह बिल भी पूरी तरह बोगस फर्जी है। चाय -कॉफी के नाम पर भी गुप्ता रेस्टोरेंट का फर्जी बिल लगाया गया है। दिनांक 30 -11-2022,01 -05 -2022 एवं 27 /02 /2022 के बिल से यह स्वतः स्पष्ट हो जाता है। जिसमें क्रमशः 700 एवं 1200,1200 रुपए के बिल में चाय की मात्रा एवं दर अंकित नहीं हैं। मोबाईल रिचार्ज एवं बुके के नाम पर भी राशि का अपव्यय किया गया है।नियमित अंतराल में पानी जार खरीदकर राशि अपव्यय किया गया है। फर्मों के संलग्न बिल इसके प्रमाण हैं। शासन से अन्य आकस्मिकता निधि के तौर पर सालाना आबंटन उपलब्ध कराए जाने के बावजूद कार्यालयीन स्टेशनरी सामग्री के नाम पर बड़ी राशि की व्यय किया गया है। भुगतान नोटशीट में इससे जुड़े साक्ष्य हैं। फर्म राम लाल साहु को डेन्टल रजिस्टर गुलाबी पर्ची एएनसी पेपर नीला व पीला पर्ची लैब रसीद के लिए 55 हजार रुपए का भुगतान किया गया है।
फर्मों की जगह कर्मचारियों को अग्रिम भुगतान 👇
सबसे बड़ी अनियमितता चिकित्सालय के पंजीयन शाखा प्रभारी पवन कुमार साहू को दिनांक 04.05.2023 को हॉस्पिटल रखरखाव हेतु अग्रिम राशि चेक क्रमांक 148535 के जरिए 20000 रुपए एवं दिनांक 10 .08.2022 को चैक क्रमांक 787844 के जरिए 10 हजार रुपए अग्रिम जारी कर दिया गया है। जबकि कार्य का विवरण ही नस्ती के साथ नहीं दर्शाया गया है । जिससे यह विधि विरुद्ध है। जबकि कायदे से सीधे फर्म के नाम भुगतान / चेक जारी करना था।स्टॉफ के नाम पर अग्रिम चेक जारी कर आहरित राशि का बंदरबाट किया गया है। कार्यालय सहायक सीताराम पटेल ,वाहन चालक पवन कुमार साहू ,स्वच्छक पी.चिन्ना केशवलू ,सफाई कामगार श्रीमती सुनीता थवाईत,श्रीमती सुमित्रा सोनी ,श्रीमती उषा यादव को दिनांक 03 .04.2023 को जारी भुगतान नस्ती में एक ही चेक क्रमांक 148510 के माध्यम से 57 हजार 120 रुपए का भुगतान किया गया है। इसी तरह दिनांक 07 .04.2022 को प्रस्तुत नस्ती में भी 953932 से सफाई कामगार सुमित्रा सोनी एवं चेक क्रमांक 953931 से शेष कर्मचारियों को कुल 49 हजार 620 रुपए का भुगतान किया गया है। जो कि सर्वथा विधि विरुद्ध है। प्रत्येक कर्मचारी /सेवादारों का पृथक पृथक चेक नंबर होना चाहिए था। इस तरह यह भुगतान भी सन्देहास्पद है।
कार्यालय सहायक उठा रहे कार्यालय का व्यय भार 👇
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जीवन दीप समिति के अध्यक्ष/ सक्षम अधिकारी के यहाँ नोटशीट प्रस्तुत किए बगैर ,अनुमोदन के बगैर कई सामाग्री क्रय करने के नाम पर फर्मों से सामाग्री क्रय कर बड़ी राशि का भुगतान किया गया है। 07 /11/2023 को जारी नोटशीट के तहत ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स को 36 हजार 500 रुपए युवी वॉटर प्यूरीफायर ,ट्रॉली स्पीकर के लिए 36 हजार 500 रुपए,टेबल ग्लास के लिए योगेश टण्डन पुस्तकालय को 19 हजार रुपए भुगतान किया गया है। 10.10.2022 को प्रस्तुत नस्ती के तहत महामाया इंटरप्राइजेस को 28 हजार 836 रुपए , अनुराग इंटरप्राइजेस को लैब सामग्री के लिए 31 हजार 695 रुपए चेक के माध्यम से भुगतान किया गया है। इसी दिन प्रस्तुत नस्ती में श्री गणेश रेफ्रीजरेशन को ए. सी .रिपेरिंग के लिए 23 हजार 425 रुपए ,ए. डी.लिंक को कैमरा रिपेरिंग,कम्प्यूटर सामग्री के लिए 32 हजार रुपए भुगतान किया गया है।03/08/2023 को प्रस्तुत भुगतान नस्ती में ज्योति इलेक्ट्रॉनिक को टीवी ,कूलर पंखा के लिए 30 हजार 300 रुपए ,लवली बैटरी कोरबा को 4 नग एक्साइड बैटरी के लिए 64 हजार रुपए,कार्यालय सहायक सीताराम पटेल को केबल रिचार्ज ,गैस ,डेकोरेशन के लिए 10 हजार 482 रुपए एवं 03/08/2023 को प्रस्तुत भुगतान नस्ती में फर्म रामलाल साहू को मरीज पर्ची,ओपीडी पर्ची ,सहमति पर्ची,लैब पर्ची छपाई के लिए 1 लाख 29 हजार 520 रुपए का भुगतान किया गया है।
15.09.2023को प्रस्तुत भुगतान नस्ती में कार्यालय सहायक सीताराम पटेल को केबल ,चपड़ा,नाली सफाई कार्य ,सीढ़ी ,नया कप प्लेट ,चाय ,प्रेस के लिए 31 हजार 260 रुपए भुगतान करने का उल्लेख है। जिसमें दर्शाया गया है कि सम्बंधित द्वारा दर्शाए गए कार्य तत्काल बेसिक में पंजीयन शुल्क एवं स्वयं से उपयोग किया गया है।राशि प्राप्त होने के उपरांत नियमानुसार जमा हेतु कार्रवाई की जाएगी । यहां बताना होगा कि संविदा /दैनिक दर पर कार्यालय सहायक के पद पर कार्यरत कर्मचारी इस कदर सक्षम है कि कार्यालयीन कार्य स्वयं के व्यय से कर रहा है हैरत वाली बात है। दरअसल लंबे अर्से से चिकित्सालय में अधिकारियों के प्रसाद पर्यंत कार्यालय सहायक के पद पर सेवारत सीताराम पटेल इतने सक्षम हो गए हैं कि कार्यालय का व्ययभार स्वयं उठा ले रहे।