CG: नक्सल प्रभावित इस जिले में 2 पूर्व सहायक आयुक्तों ने 5 सालों से DMF के फंड को खूब लूटा ,निजी स्वार्थ के लिए निकलवाए 45 फर्जी टेंडर ,क्लर्क सस्पेंड,तीनों के खिलाफ दर्ज होगा मामला ,PMO तक पहुंच चुकी है इनके कारनामों की दास्तां ….

दंतेवाड़ा । छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाडा जिले में विकास कार्यों के नाम पर मिलने वाले जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ ) के सरकारी फंड की खूब लूट हुई है। दो पूर्व सहायक आयुक्तों ने लिपिकों के साथ मिलकर निजी स्वार्थ के लिए 5 सालों में 45 फर्जी टेंडर निकाल डाले। इस फर्जीवाड़े के प्रकाश में आने जिला प्रशासन में हड़कम्प मच रहा है। शासन के जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कलेक्टर ने इस गंभीर वित्तीय अनियमितता के मामले में जिम्मेदार लिपिक को सस्पेंड कर जांच कमेटी बैठा दी है। जल्द ही इन तीनों भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी,जिसकी तैयारी हो रही है। इस मामले ने दंतेवाड़ा से लेकर रायपुर तक महकमे में खलबली मचा दी है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी विकास विभाग में हुए फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ है। यहां पदस्थ पूर्व सहायक आयुक्तों ने अपने पद का जमकर दुरूपयोग किया और अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने और करोड़ों रुपये की कमीशनखोरी के चक्कर में 5 सालों में 45 फर्जी टैंडर निकलवा लिए। जांच में जब इसका खुलासा हुआ तो खुद कलेक्टर के ही पैरों तले जमीन खिसक गई। अब इस मामले में इन अफसरों और क्लर्क के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करवाने की तैयारी हो रही है।

जिले में पदस्थ रहे पूर्व सहायक आयुक्त डॉ आनंदजी सिंह की एक बार फिर से मुसीबत बढ़ने वाली है। दरअसल कलेक्टर कुणाल दुदावत को आदिमजाति कल्याण विभाग में फर्जीवाड़ा होने की लगातार शिकायत मिल रही थी। इसके बाद कलेक्टर ने मामले की जांच करवाई। साल 2021 से लेकर 2025 तक DMF के तहत हुए इस विभाग के सभी टैंडरों की जांच करवाई गई। इस जांच में खुलासा हुआ है कि 5 सालों में 45 फर्जी टैंडर निकलवाए गए। इसके बाद अपने चहेते ठेकेदारों को काम बांट दिए गए।
इस समय सहायक आयुक्त के पद पर डॉ आनंदजी सिंह और केएस मसराम रहे हैं। विभाग के क्लर्क संजय कोडोपी द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार कर निविदा प्रक्रिया निपटाई जाती रही है। फिलहाल संजय कोडोपी को सस्पेंड कर दिया गया है। इन सभी के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी हो चुकी है। तीनों के खिलाफ जल्द ही सिटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी।

👉मसराम रिटायर्ड ,आंनद जी रायपुर में पोस्टेड 👇

आनंदजी सिंह अभी रायपुर में पोस्टेड हैं, जबकि केएस मसराम रिटायर्ड हो चुके हैं। बता दें कि पूर्व सहायक डॉ आनंदजी सिंह के खिलाफ गीदम थाने में रेप का मामला दर्ज है। फिलहाल इस मामले में उन्हें कोर्ट से राहत मिली हुई है। लेकिन इस पूरी कहानी के पीछे विभाग का निर्माण कार्य ही है। पुलिस मामले की जांच जर रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिस लड़की ने अनाचार का आरोप लगाया था, उसके पिता ठेकेदार है। उन्होंने विभाग में खूब ठेकेदारी की है। इतना ही नहीं आयुक्त ने अपनी महिला मित्र के परिवारजनों के खाते में पैसा भी डाला है। इस मामले में गीदम पुलिस जांच कर रही ही।

👉टैंडर समिति भी जांच के दायरे में 👇

इस पूरे मामले में डीएमएफ के लिए गठित टैंडर समिति भी जांच के दायरे में है। इस विभाग में 5 सालों से इतना बड़ा खेल चलता रहा, लेकिन समिति ने इस बारे में गंभीरता क्यों नहीं दिखाई। ये भी जांच का विषय है।

👉मसराम की PMO तक पहुंची शिकायत ,पेंशन रुकने की खबर !

30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हुए पूर्व सहायक आयुक्त कल्याण
सिंह मसराम के खिलाफ पिछले 3 वित्तीय वर्षों में 19 करोड़ के शासकीय धनराशि के बंदरबाट की शिकायतें है ।
वित्तीय वर्ष 2024 -25 में विभागीय आश्रम छात्रावासों के लिए सामाग्री पूर्ति मद में 54 लाख रुपए के विभागीय फंड का राज्य भंडार क्रय नियमों सहित कलेक्टर /जिला प्रशासन को धोखे में रखकर बंदरबाट करने ,दंतेवाड़ा एवं बीजापुर जिले में पदस्थापना के दौरान संविधान के अनुच्छेद 275 (1) मद अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022 -23 में तत्कालीन सहायक आयुक्त कल्याण सिंह मसराम द्वारा आदिम जाति विकास तथा अनुसूचित जाति विकास छत्तीसगढ़ शासन ,रायपुर से विभागीय छात्रावास ,आश्रमों में सामग्री पूर्ति मदान्तर्गत वर्ष 2024 -25 के प्राप्त आबंटन 54 लाख 45 की राशि का क्रय प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर बिना सामाग्री क्रय किए कोषालय से कूटरचित ,प्रशासकीय स्वीकृति आदेश,देयक व्हाउचर प्रस्तुत कर आहरण कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने की गंभीर शिकायते हैं ।
वित्तीय 2024-25 में जिला खनिज संस्थान न्यास की 3 करोड़ 14 लाख की
राशि का बंदरबाट करने एवं बीजापुर पदस्थापना के दौरान
जिला खनिज संस्थान न्यास ( डीएमएफ ) से वित्तीय वर्ष 2021 -22 एवं 2022 -23 में विभिन्न 13 स्तर के कार्यों के लिए प्राप्त आबंटन 10 करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक की धनराशि में राज्य भंडार क्रय नियमों के विपरीत सामाग्री /उपकरण क्रय करने की शिकायतें हैं। तीनों मामले में विभागीय जांच संस्थित कर कार्यवाही किए जाने प्रमुख सचिव आदिम जाति तथा अनुसचित जाति विकास मंत्रालय महानदी भवन ,नवा रायपुर(छ.ग.)को दस्तावेजी शिकायत के बावजूद महज जांच आदेश निकाल औपचारिकता पूर्ण कर संरक्षण प्रदान किए जाने के मामले में छत्तीसगढ़ शासन को आवश्यक कार्रवाई करने निर्देशित करने जांचकर्ता अधिकारी द्वारा आरोपी अधिकारी को संरक्षण प्रदान किए जाने के मामले में पीएमओ तक शिकायत की गई है। जिसकी जांच प्रक्रियाधीन है। इस बीच विश्वस्त सूत्रों से खबर आई है विभागीय जांच संस्थित होने एवं पीएमओ तक की गई शिकायत के बाद सहमे विभाग ने कल्याण सिंह मसराम का पेंशन रोक लगा दी है। साथ ही मामले की जांच तेज कर दी है।

👉 वर्तमान सहायक आयुक्त भी मनमानी की राह पर ,चालू वित्तीय वर्ष 2025 -26 की DMF की जानकारी छुपाई,कार्यों में बेईमानी या किसी का डर

कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ होते ही अफसरों का ईमान डोल जाता है यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। 5 साल के प्रकरणों की विभागीय जांच संस्थित होने के बाद भी वर्तमान पदस्थ प्रभारी सहायक आयुक्त को नियम कायदों की कोई परवाह नहीं है। वित्तीय वर्ष 2025 -26 में कार्यालय कलेक्टर एवं अध्यक्ष जिला खनिज संस्थान न्यास से कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास दन्तेवाड़ा को स्वीकृत कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति आदेश की सत्यप्रतिलिपि मांगी गई थी। जिसे 2 माह बाद भी विभाग उपलब्ध नहीं कर सका। मामला अब अपीलीय अधिकारी आयुक्त आदिम जाति कल्याण विकास के यहाँ अपील के तौर पर पहुंच गया । पर सबसे बड़ा सवाल आखिर इसी साल पदस्थ हुए प्रभारी सहायक आयुक्त राजीव कुमार नाग को कार्यालय में उपलब्ध स्वीकृत कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराने किसका डर ? क्या वे भी पूर्व सहायक आयुक्तों की तर्ज पर मनमानी और बेईमानी की राह पर चल पड़े हैं ? यदि ऐसा नहीं तो उन्हें पारदर्शितापूर्ण तरीके से नियमानुसार वांक्षित जानकारी देकर विभाग की छवि पारदर्शी बनाए रखना चाहिए। दंतेवाड़ा जिले के सभी एकलव्य भी बेहद चर्चित रहे हैं। आश्रम छात्रावासों के लिए चालू वित्तीय वर्ष समेत पिछले 5 वर्षों में सामाग्री आपूर्ति के नाम पर फंड की जमकर बंदरबाट की गई है। निविदा एवं क्रय प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ाकर चहेते फर्मों को लाभ दिलाकर स्वार्थ सिद्धि की गई है। हाल ही में हुई लाखों की टेंडर प्रक्रिया में भी टेंडर क्लोज करने, टेंडर ओपन करने,टेक्निकल एवं फ़ायनेंशियल बीट खोलने में नियमों की अनदेखी की गई है।

शासन ने भी दंतेवाड़ा एवं बीजापुर 2 जिले जो बेहद चर्चित ,विवादास्पद रहे हैं शायद प्रभारी सहायक आयुक्तों की पोस्टिंग कर चूक कर दी। जिनके लिए इन विवादों के बीच विभाग संभालना मुश्किल हो रहा है। शासन को इस ओर त्वरित गभीरता से ध्यान देने की दरकार है।