भारत के 15वें उप राष्ट्रपति बने सी. पी. राधाकृष्णन ,INDIA गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराकर रचा कीर्तिमान, 14 सांसदों ने की क्रास वोटिंग

दिल्ली। देश को सीपी राधाकृष्णन के रूप में नया व 15वां उपराष्ट्रपति मिल गया है, वे अब जगदीप धनखड़ की जगह लेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सी पी राधाकृष्णन को बधाई दी।राधाकृष्‍णन को 452 वोट मिले , जो कि बड़ी जीत है। उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने से पहले वे महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उनके पास झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे राज्यों का भी प्रशासनिक अनुभव रहा है। लेकिन उनका राजनीतिक सफर सिर्फ पदों तक सीमित नहीं रहा। वे दक्षिण भारत में भाजपा की नींव मजबूत करने वाले उन चंद नेताओं में से हैं जिन्होंने पार्टी को वहां पहचान दिलाई।

सीपी राधाकृष्णन भारत के नए उपराष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। मंगलवार को हुए चुनाव में उन्होंने 150 से ज्यादा वोटों के अंतर से विपक्षी गठबंधन INDIA के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को हराया। खास बात है कि एनडीए सदस्यों की संख्या से ज्यादा वोट राधाकृष्णन को मिले हैं। वहीं, कांग्रेस के 315 के दावे के मुकाबले रेड्डी के खाते में कम वोट आए हैं।

👉कितने मार्जिन से जीते राधाकृष्णन

मंगलवार को हुए चुनाव में कुल 98.20 फीसदी मतदान हुआ था। इस दौरान 788 में से कुल 767 सांसदों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। शाम 6 बजे मतगणना शुरू हुई, जिसमें राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 वोट मिले। खास बात है कि विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार को मिले 15 वोट अवैध माने गए। जीत के लिए 391 मतों की जरूरत थी।

राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी ने कहा, ‘एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरियता वोट मिले हैं। वह भारत के उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं…। उपराष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को 300 प्रथम वरियता वोट मिले हैं।’

👉यहां समझें नंबर गेम

देश के 17वें उप राष्ट्रपति के चुनाव के लिए, निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में पांच सीटें रिक्त हैं) एवं 12 मनोनीत सदस्य तथा लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में एक सीट रिक्त है) शामिल थे। निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 781) हैं। बीजू जनता दल (बीजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने चुनाव से दूर रहने का फैसला किया था।
बीजेडी के राज्यसभा में 7 सांसद हैं। वहीं, बीआरएस के पास राज्यसभा में 4 सांसद हैं। दोनों ही दलों का लोकसभा में एक भी सदस्य नहीं है। वहीं, शिअद के पास सिर्फ एक लोकसभा सांसद हरसिमरत कौर है। तीनों दलों के मिलाकर कुल आंकड़ा 12 होता है। साथ ही अकाली दल (वारिस पंजाब दे) के सांसद सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह ने उपराष्ट्रपति चुनाव के बहिष्कार करने का एलान किया है। इस लिहाज से कुल कम हुए मतों की संख्या 14 हो जाती है और वोट देने वाले कुल सांसद 767 रह जाते हैं।वोटिंग में शामिल हुए दलों को मिलाया जाए, तो मंगलवार को 100 फीसदी मतदान हुआ है।

👉हुई क्रॉस वोटिंग?

खास बात है कि राधाकृष्णन को उम्मीद से 25 वोट ज्यादा मिले हैं। एनडीए दलों के अलावा राधाकृष्णन को जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली YSRCP ने समर्थन दिया था, जिनके पास कुल 11 सांसद हैं। ऐसे में सवाल है कि राधाकृष्णन के खाते में 14 और वोट कहां से आए?

👉जानें नए उप राष्ट्रपति का सफरनामा

सीपी राधाकृष्णन का जन्म 1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई की और बहुत कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। महज 16 साल की उम्र में उन्होंने सक्रिय सामाजिक जीवन की शुरुआत की। 1974 में वे जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति का हिस्सा बने। राजनीति में उनकी शुरुआत तब हुई जब तमिलनाडु में भाजपा को जनाधार बनाने में मुश्किल हो रही थी। 1996 में वे राज्य भाजपा के सचिव बने और 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। यह वह दौर था जब भाजपा को दक्षिण में सफलता मिलना कठिन माना जाता था। उन्होंने 1999 में भी जीत दर्ज की।
अपने संसदीय कार्यकाल में उन्होंने कपड़ा उद्योग से जुड़ी संसदीय समिति का नेतृत्व किया और वित्तीय मामलों से जुड़ी कई समितियों के सदस्य रहे। खास बात यह रही कि वे उस विशेष समिति का हिस्सा भी थे जिसने शेयर बाजार घोटाले की जांच की थी। 2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुए। इसके अलावा वे ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे। 2004 से 2007 के बीच उन्होंने तमिलनाडु भाजपा की कमान संभाली और उस दौरान 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा निकालकर पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कोशिश की।

उनकी यह यात्रा सामाजिक सरोकारों से जुड़ी थी। इसमें उन्होंने भारतीय नदियों को जोड़ने, आतंकवाद को खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने और मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाने जैसे मुद्दे उठाए। इसके अलावा उन्होंने दो और पदयात्राओं का नेतृत्व भी किया। उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और उनके नेतृत्व में भारत का कॉयर निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। 2020 से 2022 तक वे केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे और वहां संगठनात्मक ढांचे को सुदृढ़ किया। 18 फरवरी 2023 को उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और पहले चार महीनों में ही वे राज्य के सभी 24 जिलों में पहुंचे। झारखंड के बाद उन्होंने महाराष्ट्र की जिम्मेदारी संभाली, जहां उन्होंने शिक्षा, ग्रामीण विकास और प्रशासनिक पारदर्शिता को प्राथमिकता दी।