कोरबा। ऊर्जाधानी कोरबा की स्लम बस्ती मानस नगर की संकरी गलियों में आज एक असाधारण खुशी की लहर है। यह खुशी सिर्फ एक युवक की सफलता नहीं, बल्कि एक मां के त्याग, एक परिवार के संघर्ष और उम्मीद की अदम्य शक्ति की जीत है। इस चमक का नाम है राज पटेल, जिसने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की कठिन परीक्षा में 22वीं रैंक हासिल कर कोरबा का नाम रोशन कर दिया।
👉पिता की मौत, घर में सन्नाटा
असंमय पिता के निधन के बाद घर की रीढ़ टूट गई थी। पर इसी सन्नाटे के बीच मां शकुंतला पटेल ने हार मानने से इंकार कर दिया।
सुबह से शाम तक झाड़ू–पोछा, बर्तन और जो भी काम मिला वह करके उन्होंने बेटे की पढ़ाई का दीप जलाए रखा। आज उनकी मां की आंखों में जो आँसू हैं, वे खुशियों के हैं, लेकिन इनमें दर्द, परिश्रम और वर्षों की उम्मीदों की दास्तां भी छिपी है।
👉राज की कहानी प्रेरणा से भरी

सरस्वती शिशु मंदिर से लेकर पीजी कॉलेज और फिर दिल्ली की कठिन तैयारी…हर पड़ाव पर राज ने साबित किया कि हालात नहीं, इरादे मंज़िल तय करते हैं। दिल्ली में की गई तैयारी ने पहले उन्हें UPSC के जरिए जिला यूथ ऑफिसर बनाया और अब CGPSC में 22वीं रैंक ने डिप्टी कलेक्टर या DSP जैसी प्रतिष्ठित सेवाओं के द्वार खोल दिए।
👉अद्वैत फाउंडेशन बना सहारा
आर्थिक संघर्ष के बीच अद्वैत फाउंडेशन ने आगे बढ़कर राज की शिक्षा में सहायता की, जिसने उनके सपने को दिल्ली तक पहुंचाया। यह सहयोग राज की सफलता का एक महत्वपूर्ण आधार रहा। राज कहते हैं, पहले अपनी रुचि को पहचानिए। दिशा सही हो तो मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। उनकी यह बात सिर्फ सलाह नहीं, बल्कि उनके संघर्ष से निकला सत्य है।
👉कोरबा का बेटा बना नई उम्मीद की लौ
राज पटेल की सफलता सिर्फ एक परिणाम नहीं, यह संदेश है कि बड़ा बनने के लिए बड़ा घर नहीं, बड़ा हौसला चाहिए। सपने मिट्टी से नहीं, इंसान के साहस से जन्म लेते हैं। और जब मां की दुआ शामिल हो, तो कोई कठिनाई रास्ता नहीं रोक पाती। आज कोरबा का यह बेटा सिर्फ अफसर नहीं बना, वह हजारों युवाओं के लिए नई रोशनी, नई उम्मीद और नई प्रेरणा बनकर उभरा है।
