CG : कलेक्टर कार्यालय बना भ्रष्टाचार की ढाल !जिसकी शिकायत उसी को दे दिया जांच का जिम्मा ,जलग्रहण मिशन के कार्यों में अध्यक्ष का हस्ताक्षर विहीन फर्जी बिल लगा 1.39 करोड़ की शासकीय राशि का बंदरबाट ,नपेंगे जिम्मेदार या दे दी जाएगी क्लीनचिट !उठे सवाल …..

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज बालोद। जलग्रहण मिशन के कार्यों में भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ाने का सिलसिला साय सरकार में नहीं रुक रही। बालोद जिले के कार्यालय परियोजना अधिकारी NGWDP -1 परियोजना विकासखंड-गुरुर के यहाँ वित्तीय वर्ष 2022 -23 एवं 2023 -24 परियोजना निधि में माइक्रोवाटरशेड विकास कार्यों के लिए स्वीकृत 1 करोड़ 39 लाख 62 हजार की राशि का बंदरबाट करने की दस्तावेजी शिकायत में जांच के नाम पर औपचारिकता का निर्वहन किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। ग्राम स्तरीय जलग्रहण प्रबंधन समिति के माध्यम से कराए गए कार्य में नियमों की अनदेखी कर जलग्रहण प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के हस्ताक्षर विहीन फर्जी व्हाउचर ,सचिव जलग्रहण प्रबंधन समिति के हस्ताक्षर विहीन उपयोगिता एवं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर शासकीय धनराशि का बंदरबाट किए जाने के दस्तावेजी शिकायत में कलेक्टर ने अंतर्विभागीय जांच समिति गठित करने के बजाय जिनके पदोन्नति पूर्व पद (परियोजना अधिकारी) कार्यकाल में अनियमितता की शिकायतें हैं ,उस उपसंचालक कृषि को ही जांच का जिम्मा सौंप दिया। अब उप संचालक कृषि अपने परियोजना अधिकारी कार्यकाल के दौरान लगे भ्रष्टाचार की स्वयं जांच करेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत पहुंचने के बाद संभागायुक्त ( कमिश्नर ) कार्यालय की खामोशी एवं कलेक्टर कार्यालय के इस हास्यास्पद जांच आदेश ने भ्रष्टाचार की जुगलबंदी को सार्वजनिक कर दिया है। अब इस मामले में जीरो टॉलरेंस नीति का दावा करने वाली साय सरकार में जिम्मेदार नपेंगे या फिर जांच में खुद को क्लीनचिट देकर अफसर बच निकलेंगे इस पर सवाल उठ रहे।

यहां बताना होगा कि कार्यालय
परियोजना अधिकारी NGWDP -1 परियोजना विकासखंड-गुरुर ,जिला -बालोद (छग) को वित्तीय वर्ष 2022 -23 एवं 2023 -24 को कार्यालय कलेक्टर सह अध्यक्ष WCDC ,जिला – बालोद ,(छ.ग.) के यहाँ से परियोजना निधि में
माइक्रोवाटरशेड विकास कार्यों चेकडेम निर्माण ,अमृत सरोवर नया तालाब निर्माण ,चेकडेम कम वेस्टवियर निर्माण एवं सिंचाई नाली बोल्डर पिचिंग कार्य
के लिए स्वीकृत 1 करोड़ 39 लाख 62 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी है।वर्षवार वित्तीय वर्ष 2022 -23 में वाटरशेड विकास कार्यों के तहत 4 नग चेकडेम निर्माण के लिए 61लाख 77 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई ।।ये चारों चेकडेम गुरुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत सांगली ,कंवर ,पलारी एवं ग्राम पंचायत बोहारा की शासकीय भूमि में तैयार किए जाने स्वीकृति दी गई थी। वित्तीय वर्ष 2023 -24 में 77 लाख 85 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसमें 2 नग अमृत सरोवर नया तालाब निर्माण,2 नग चेकडेम निर्माण ,1 नग चेकडेम कम वेस्टवियर निर्माण एवं एक नग सिंचाई नाली बोल्डर पिचिंग कार्य शासकीय भूमि पर तैयार किए जाने स्वीकृत किए गए थे। सभी कार्य गुरुर विकासखण्ड के अंतर्गत स्वीकृत किए गए थे। कार्यवार बात करें तो ग्राम पंचायत कंवर एवं भिरई में एक -एक नग अमृत सरोवर नया तालाब निर्माण की स्वीकृत किए गए हैं। ग्राम सनोद एवं सांगली में एक एक नग चेकडेम निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। ग्राम पंचायत पेरपार में सिंचाई नाली बोल्डर पिचिंग कार्य एवं ग्राम पंचायत कंवर में ही चेकेडम कम वेस्ट वेस्टवियर निर्माण स्वीकृत किए गए हैं।

कांग्रेस शासनकाल में स्वीकृत परियोजना के उपरोक्त अधिकांश कार्यों में शासन के निर्धारित गाइडलाइंस ,तकनीकी मापदण्डों गुणवत्ता की अनदेखी कर संरचना तैयार कर शासकीय धनराशि का बंदरबाट किए जाने की सूचना मिल रही थी । आरटीआई के तहत परियोजना कार्यालय से प्राप्त दस्तावेज योजना में भ्रष्टाचार की दास्तां बयां कर रहे ।

👉दस्तावेज यह अनियमितता बयां कर रहे

जलग्रहण प्रबंधन के कार्यों में नियमानुसार जल ग्रहण प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं सचिव दोनों के पद मुद्रा युक्त हस्ताक्षर बिल व्हाउचर ,हस्तातंतरण (हैंडओवर पपत्र ,उपयोगिता एवं पूर्णता प्रमाण पत्र में होने चाहिए।लेकिन कार्यालय परियोजना अधिकारी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना WDC 2.0 NGWDP-1 परियोजना,विकासखण्ड गुरुर,जिला-बालोद (छग) से प्राप्त ग्राम पंचायत बोहारा में स्वीकृत चेक डेम निर्माण क्रमांक -1 के 3 लाख 15 हजार 932 रुपए के 4 नग बिल व्हाउचर में अध्यक्ष जल ग्रहण प्रबंधन समिति के हस्ताक्षर ही नहीं हैं। सिर्फ डब्यूडीटी के पदमुद्रा युक्त हस्ताक्षर हैं। बड़ी चालाकी से पीएफएमएस/भुगतान विवरणिका व्हाउचर में अध्यक्ष जलग्रहण प्रबंधन समिति बोहारा के पदमुद्रा (सील ) लगा दिया गया है लेकिन हस्ताक्षर ही नहीं हैं। फर्मों से क्रय किए गए निर्माण सामाग्री के बिल में भी डब्यूडीटी के ही हस्ताक्षर हैं। जो नियमों के सर्वथा प्रतिकूल हैं। स्पष्ट है कि अध्यक्ष /सचिव जलग्रहण प्रबंधन समिति की जगह स्वीकृत कार्यों में निर्माण सामाग्री का क्रय निहित स्वार्थ के लिए डब्यूडीटी ने ही किया है । यही नहीं अध्यक्ष जलग्रहण प्रबंधन समिति के पदमुद्रा(सील) को भी अपने नियंत्रण में रखकर बिना उनके हस्ताक्षर के व्हाउचर में उपयोग कर दुरुपयोग किया गया है।
कार्यालय परियोजना अधिकारी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना WDC 2.0 NGWDP-1 परियोजना,विकासखण्ड गुरुर,जिला-बालोद (छग) से प्राप्त उपयोगिता एवं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र में भी कमोबेश इसी तरह नियमों की अनदेखी की गई है।
ग्राम पंचायत कंवर में 19 लाख की लागत से कराए गए अमृत सरोवर नया तालाब निर्माण ,कार्य पूर्णता दिनांक 04 -11 2023 ,ग्राम पंचायत भरई में 15 लाख 50 हजार की लागत से कराए गए अमृत सरोवर नया तालाब निर्माण ,कार्य पूर्णता दिनांक 16 -19 2023 में परियोजना अधिकारी,डब्यूडीटी ,अध्यक्ष जलग्रहण प्रबंधन समिति के पद मुद्रा समेत हस्ताक्षर तो हैं लेकिन सचिव जल ग्रहण प्रबंधन समिति के पद मुद्रा युक्त हस्ताक्षर नहीं हैं। इसी तरह ग्राम पंचायत सांगली में 14 लाख 30 हजार की लागत से स्वीकृत चेकडेम निर्माण (पूर्णता तिथि 28/05/2023),ग्राम पंचायत कंवर में 14 लाख 97 हजार की लागत से स्वीकृत चेकडेम निर्माण (पूर्णता तिथि 28/05/2023),ग्राम पंचायत पलारी में 19 लाख 72 हजार की लागत से स्वीकृत चेकडेम निर्माण (पूर्णता तिथि 28/12/2023) एवं ग्राम पंचायत बोहारा में 12 लाख 78 हजार की लागत से स्वीकृत चेकडेम निर्माण (पूर्णता तिथि 28/05 /2023 ) में भी कमोबेश सचिव जल ग्रहण प्रबंधन समिति के पद मुद्रा युक्त हस्ताक्षर नहीं हैं।
उपरोक्त दस्तावेजों से स्पष्ट है कि किस तरह नियमों की अनदेखी जल संरक्षण के लिए जल संरचनाओं के वाटरशेड से जुड़े विकास निर्माण कार्यों में नियमों की अनदेखी कर मनमानी की गई है। जिससे भ्रष्टाचार की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।भ्रष्टाचार में लिप्त संरचनाओं के कारण वर्षा जल को संचित कर किसानों को बारहोंमासी जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की शासन की मंशा पर पानी फिर सकता है।

👉दस्तावेजों में ये अन्य खामियां भी हुई उजागर

दातावेज़ों के गहन परीक्षण में सबंधित कार्यों में व्यापक स्तर पर खामियों की पुष्टि हुई है। जैसे -परिसम्मति प्रमाण पत्र का अभाव है ,पैड इन कैन्सल नहीं है। सीबीपी नंबर नहीं है,रेत का रॉयल्टी पत्र नहीं है,भंडार क्रय नियमों की अनदेखी की गई है,GST ,TDS कटौती नहीं की गई है। साथ ही कई कार्यों के देयक नहीं है। जलग्रहण प्रबंधन समिति तो सिर्फ कागजों में है पूरा कार्य ठेकेदारों से कराए जाने की सूचना मिल रही है।

👉कमिश्नर कार्यालय ने दस्तावेजी शिकायत दबाई,मुख्यमंत्री कार्यालय तक जुगलबंदी की शिकायत पहुंचने के बाद कलेक्टर कार्यालय ने निभाई औपचारिकता ,जिसने की गड़बड़ी उसे ही दे दिया जांच का जिम्मा

प्रकरण में प्रमाणित भ्रष्टाचार को देखते हुए कार्यालय संभाग आयुक्त दुर्ग के यहाँ पत्र क्रमांक 7634 दिनांक 13.08.2025 के माध्यम से दस्तावेजी शिकायत प्रस्तुत कर
प्रकरण में संभाग स्तरीय अंतर्विभागीय संयुक्त जाँच समिति गठित कर परियोजना निधि में उपरोक्त माइक्रोवाटरशेड विकास कार्यों में नियमों की अनदेखी कर जलग्रहण प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के हस्ताक्षर विहीन फर्जी व्हाउचर ,सचिव जलग्रहण प्रबंधन समिति के हस्ताक्षर विहीन उपयोगिता एवं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने के
संदेहास्पद मामले में 30 दिवस के भीतर संभाग स्तरीय अंतर्विभागीय जांच टीम गठित कर उपरोक्त स्वीकृत कार्यों के प्राक्कलन ,मांग पत्र , देयक पत्रक , बिल व्हाउचर्स ,स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन,श्रमिकों की उपस्थिति पंजी ,मस्टररोल ,तकनीकी मापदण्डों ,उपयोगिता एवं पूर्णता प्रमाण पत्र ,गुणवत्ता का परीक्षण कर व्यापक लोकहित में भौतिक सत्यापन कराए कराए जाने का अनुरोध किया गया था।
अनुरोध की अनदेखी पर पब्लिक डोमेन (मीडिया)में सार्वजनिक कर देने की भी बात कही गई थी। परंतु भ्रष्टाचार की पोषक बनी कमिश्नर कार्यालय ने तय मियाद में जांच आदेश तक नहीं निकाली। भ्रष्टाचार को प्रश्रय दिए जाने के मामले में मुख्यमंत्री को पत्र क्रमांक 7917 दिनांक 06/11/2025 के माध्यम से जैसे ही शिकायतकर्ता ने पत्रलेखकर दस्तावेजी शिकायत के प्रकरण में संरक्षण प्रदान किए जाने के मामले में जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी का चिन्हांकन कर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया। हड़कम्प मच गया। शिकायत की प्रतिलपि मिलने पर कमिश्नर कार्यालय ने तो चुप्पी साध रखी है लेकिन कलेक्टर कार्यालय ने जांच बैठा दी है। शिकायत शाखा पत्र क्रमांक 9052 दिनांक 14-11-2025 के माध्यम से उप संचालक कृषि बालोद को प्रकरण की जांच का जिम्मा सौंप 7 दिवस के भीतर प्रतिवेदन मांगा है।लेकिन कलेक्टर कार्यालय जिस उपसंचालक कृषि को जांच का जिम्मा सौंपा है उन्हीं के पूर्व पद परियोजना अधिकारी NGWDP -1 गुरुर में हुई अनियमितताओं की दस्तावेजी शिकायत है।अब क्या उप संचालक कृषि अपने ही शिकायत की पारदर्शिता पूर्वक ईमानदारी से स्वतः जांच कर अपने ही खिलाफ जांच प्रतिवेदन देंगे। कलेक्टर कार्यालय की इस हास्यास्पद जांच आदेश ने एक बार फिर कई सवाल तरह के खड़े कर दिए हैं।

👉तो जल संसाधन विभाग को दिया जा सकता था जांच का जिम्मा

कायदे से अंतर्विभागीय जांच के अनुरोध पर पारदर्शिता पूर्ण जांच के लिए अंतर्विभागीय जांच समिति ही गठित की जाती है। वॉटरशेड से जुड़े धमतरी जिले की अनियमितता की शिकायत में कलेक्टर ने जल संसाधन विभाग को जांच का जिम्मा सौंपा था। यहाँ भी जल संसाधन विभाग को जांच का जिम्मा सौंपा जा सकता है। पर ऐसा न करके जिसकी गड़बड़ी है उसे ही जांच का जिम्मा सौंप दिया गया। जिससे कलेक्टर कार्यालय की कार्यशैली पर भी सवाल उठना लाजिमी है।

👉दस्तावेजी शिकायत की अनदेखी से सरकार की छवि हो रही खराब

जलग्रहण मिशन में बेमेतरा, बालोद ही नहीं रायपुर ,महासमुंद,जांजगीर -चाम्पा ,पत्थलगांव (जशपुर) ,सूरजपुर ,बलरामपुर ,
धमतरी की भी शिकायतें हो चुकी है।
सूरजपुर,जांजगीर-चाम्पा,बलरामपुर,रायपुर (तिल्दा) के प्रकरणों में तो जाँच आदेश तक नहीं निकले। सुकमा ,नारायणपुर में भी अनियमितता की शिकायतें हैं।
ऐसा नहीं है कि शिकायतें निराधार अप्रमाणित पाई गई हैं ,जिम्मदारों ने प्रकरण में जांच ही पूरी नहीं की। जबकि वर्तमान साय सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर दे रहा। ऐसे में कहीं न कहीं ऐसा भ्रष्टाचार के प्रकरणों में संरक्षात्मक रवैया भ्रष्टाचार ,भ्रष्ट अफसरों के मनोबल को बढ़ावा दे रहा।

निम्निलिखित बिंदुओं पर कार्यों की जांच की दरकार 👇

1 .जांच अधिकारी तत्काल बदली जाए

2 क्रय किए गए सामाग्रियों के भुगतान प्रक्रिया की जांच करावें। ।
भौतिक सत्यापन, सुनिश्चित किया जावे।

3 .क्रय किए गए सामाग्रियों के बिल व्हाउचर्स का परीक्षण किया जावे।

4 .समस्त कार्यों के फोटोग्राफ्स वीडियोग्राफी, उपयोगिता एवं पूर्णता प्रमाण पत्र का परीक्षण किया जावे।

5 .कार्यालय में संधारित केश बुक/ चेक पंजी, देयक व्हाउचर्स का परीक्षण किया जावे।

6 .फर्मों द्वारा प्रस्तुत बिल का परीक्षण किया जावे।

7.टो- वॉल ,की -वॉल ,पिचिंग कार्य के गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित की जावे।

8 . तकनीकी मापदण्डों , प्राक्कलन,माप पुस्तिका सहित गुणवत्ता का परीक्षण किया जावे।

9 .उक्त कार्यों के लिए प्राप्त मांग,स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन पत्र ,सक्षम अधिकारी की स्वीकृति आदेश का परीक्षण किया जावे।

10 .कार्य में नियोजित किए गए मजदूरों के वास्तविक खाते में अंतरित की गई मजदूरी भुगतान की जांच सुनिश्चित की जावे।

11.परिसम्मति प्रमाण पत्र ,सीबीपी नम्बर,रेत रॉयल्टी पत्र ,पैड इन- कैन्सल भंडार क्रय नियमों की जांच की जावे।