परियोजना प्रशासक ने जारी किया आदेश ,सीईओ श्री मिर्झा को अब संपूर्ण प्रभार
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (खबर का असर ) । आखिरकार दो जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का आहरण संवितरण अधिकार (वित्तीय प्रभार ) देख रहे डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन को करतला जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के आहरण -संवितरण अधिकार से कार्यमुक्त कर दिया गया है । करतला जनपद सीईओ के प्रशासनिक प्रभार देख रहे क्षेत्र संयोजक राधेश्याम मिर्झा को अब सम्पूर्ण प्रभार दे दिया गया है । पूर्व गृहमन्त्री वर्तमान रामपुर विधायक ननकीराम कंवर सहित सरपंचों के प्रदर्शन एवं अल्टीमेटम के बाद जिला प्रशासन ने डिप्टी कलेक्टर को करतला जनपद के वित्तीय प्रभार से हटा दिया है । इस आदेश के बाद पिछले 4 माह से जनपद पँचायत का वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार पृथक पृथक अधिकारियों को देने से वित्तीय मामलों के लिए 40 किलोमीटर का फासला तय कर कलेक्टोरेट तक की दौड़ लगा रहे करतला जनपद पंचायत के लिपिकों को इससे राहत मिल गई है ।
यहाँ बताना होगा कि जिला गठन के बाद यह पहला अवसर है जब दो जनपद पंचायतों का संचालन जिला मुख्यालय से हो रहा है । जिले में पिछले 4 माह से कुछ यही स्थिति बनी हुई है । करतला एवं पाली में कहने को तो प्रभारी जनपद सीईओ के रूप में क्षेत्र संयोजक राधेश्याम मिर्झा , विजय कुमार चौहान को सीईओ बनाया गया है । विजय कुमार चौहान को पाली सीईओ एम आर कैवर्त्य के कोरोना से निधन के बाद प्रभार दिया गया है । लेकिन इन दोनों को सिर्फ प्रशासनिक अधिकार दिया गया है । जिला प्रशासन ने इन दोनों जनपद पंचायतों का वित्तीय अधिकार डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन को दिया है । जिला मुख्यालय से करतला की दूरी 40 किलोमीटर तो पाली की दूरी 70 किलोमीटर है । इन जनपदों के मुख्यालय से सरहदी ग्राम पंचायतों का फासला करीब 50 से 60 किलोमीटर तक का है । इस तरह वित्तीय मामलों के लिए देखें तो बाबुओं को चेक पंजी, बिल रजिस्टर सहित समस्त वित्तीय लेखा लेकर लम्बा फासला तय करना पड़ रहा है । इस तरह जनपद पंचायतों में प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार पृथक पृथक अधिकारियों को देने की वजह से ग्राम विकास का कार्य अवरुद्ध हो रहा है । मामले में पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने भी प्रशासन पर निशाना साधा था । उन्होंने सीधे शासन प्रशासन पर आरोप लगाया था कि ऊपर में बैठे अधिकारी कमीशन के लिए यह सब कर रहे हैं । यहाँ तक कि उन्होंने इशारे इशारों में ही मुख्यमंत्री के समक्ष 4 जनवरी को घण्टाघर में आयोजित आमसभा के दौरान कह दिया था कि जिले में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है ,आपको अकेले में बताऊंगा,यहाँ बोलूँगा तो यहाँ बैठे प्रशासन के अधिकारियों को बुरा लगेगा । इसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा ऐसी गलतियों पर त्वरित सुधार नहीं किया गया । जिसके बाद सरपंचों ने सीधे मोर्चा खोल दिया था । जनवरी के अंतिम सप्ताह में पूर्ण अधिकार प्राप्त जनपद सीईओ की पदस्थापना की मांग को लेकर आंदोलन किया था। जनपद के बाहर धरने पर बैठने के अलावा जनपद का घेराव तक किया था । इसके बाद भी प्रशासन निर्वाचित सरपंचों की मांग को अनसुना कर डिप्टी कलेक्टर पर मेहरबान रहा । इस बीच सरपंच पुनः जनपद पंचायत के घेराव का मन बना रहे थे । 12 मार्च से घेराव की चेतावनी दी गई थी । जिसकी सूचना मिलने के बाद प्रशासन सकते में आ गया । परियोजना प्रशासक एकीकृत आदिवासी विकास विभाग एस के वाहने ने 10 मार्च को आदेश जारी कर राधेश्याम मिर्झा क्षेत्र संयोजक आदिवासी विकास कोरबा को प्रशासनिक प्रभार के साथ साथ आहरण संवितरण अधिकार भी सौंप दिया है । इसके साथ ही डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन करतला जनपद सीईओ के वित्तीय प्रभार से मुक्त कर दिए गए हैं ।
सुलगते सवाल ,तो फिर क्यों छीना था वित्तीय प्रभार
पूरे मामले में जिला प्रशासन के रवैये की भारी किरकिरी हो रही है । क्षेत्र संयोजक राधेश्याम मिर्झा को अब वित्तीय प्रभार दिया गया है तो उनका किस आधार पर4 माह पूर्व वित्तीय प्रभार छीना गया था । यह बात पूरे ब्लाक के लोगों ,सरपंच -सचिवों के गले नहीं उतर रही । माजरा साफ है मनमाने तरीके से डिप्टी कलेक्टर को दो -दो जनपद पंचायतों का वित्तीय प्रभार देकर उपकृत किया गया था। विधायक ननकीराम कंवर पहले भी इसको लेकर प्रशासन को आड़े हाथों ले चुके हैं ।
पाली से भी उठेंगे विरोध के स्वर, सीईओ के वित्तीय प्रभार से नहीं हटाया
करतला जनपद सीईओ के वित्तीय प्रभार से हटाए जाने के बाद अब जनपद पंचायत पाली से पूर्ण प्रभार वाले सीईओ की मांग को लेकर विरोध के स्वर उठेंगे। यहाँ अभी भी जनपद सीईओ के वित्तीय प्रभार में आशीष देवांगन ही हैं । जबकि कार्यपालिक क्षेत्र संयोजक विजय चौहान को प्रशासनिक प्रभार दिया गया है । जबकि वे मार्च 2013 से सितंबर 2018 तक आदिवासी विकास विभाग में कार्यपालिक क्षेत्र संयोजक के दायित्व का निर्वहन करने के दौरान सम्पूर्ण प्रभार में रहे हैं । जिसके तहत वे जनपद सीईओ के सम्पूर्ण प्रभार की पात्रता रखते हैं । बावजूद इसके उन्हें केवल प्रशासनिक अधिकार दिया गया है । ज्ञात हो कि 2014 के पँचायत चुनाव में करीब दो माह तक विजय चौहान कोरबा जनपद सीईओ ,व 22 जून से 17 दिसम्बर तक कटघोरा सीईओ के सम्पूर्ण प्रभार में रहे हैं । 17 दिसम्बर 2020 से पाली जनपद सीईओ के प्रशासनिक प्रभार में हैं । बावजूद इसके उन्हें अब वित्तीय प्रभार नहीं दिया जा रहा है ।