RTI से भयभीत क्यों है अधिकारी…लेटर लगते ही लगाने लगते है आरोप…

कोरबा। आम आदमी का अधिकार यानी सूचना के अधिकार से आखिर अधिकारी भयभीत क्यों हैं? जानने को तो सब जानते है लेकिन उलट आवेदक पर भयादोहन का आरोप लगाते है।जानकारी चाहने वाले को जानकारी देने में आनाकानी क्यों?
सरकारी विभाग के कार्यो में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से कई नियम कानून बनाये गए ,पर सब कागजो तक जी सीमित है। दफ्तरों में गुपचुप तरीके से हो रहे भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाने व आम आदमी को सहज व सरल तरीके से कागजात उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार को कानून का रूप देकर आम आदमी को भी जनप्रतिनिधि के समांतर खड़ा कर दिया । सूचना के अधिकार का प्रभाव बढ़ता देख अधिकारी, कर्मचारी इसका भी तोड़ निकाल लिए और संबंध बनाने रिश्तेदारी खोजते है। उसके बाद भी कागज की चाह रखने वालों को पैसे से खरीदने का प्रयास किया जाता है, फिर यही अधिकारी घूम घूम कर गुणगान भी करते है सूचना का अधिकार तो कमाई का जरिया बन गया है, तो सवाल ये भी उठता है आखिर उस दस्तावेज में है क्या जो सरकारी दफ्तर में बैठे अधिकारी जानकारी नही देना चाहते। खैर इन सबके बीच इन दिनों जिला प्रशासन के अधिकारी पत्रकारों की छवि धूमिल कर कुछ भी आरोप लगा रहे है।जबकि हकीकत ये है कि हर दफ्तर में भ्रस्टाचार का कद बड़ा हो चुका है।