मापदंड के दायरे में नहीं आए 3 उपकेंद्र ,नहीं बन सके सोसायटी
भुवनेश्वर महतो हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा – जिले में इस साल पहली बार 27 की जगह 41 स्वतंत्र आदिवासी सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से धान खरीदी होगी । प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसायटियों की पुनर्गठन योजना 2019 के तहत सहकारिता विभाग ने जिले में 12 पुराने उप केंद्रों 2 नए समितियों सहित 14 नई समितियों का पुनर्गठन किया है । सभी नई सोसाइटियां अस्तित्व में आ गई हैं । इस साल सभी समितियां (सोसायटी ) राज्य शासन की महती योजना धान खरीदी का कार्य संपादित करेंगी ।
यहाँ बताना होगा कि छत्तीसगढ़ सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 16 -ग की उपधारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य शासन द्वारा प्रदेश के प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसायटियों को पुनर्गठित करने के लिए जिले की प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसायटी की पुनर्गठन योजना की 30 जुलाई 2019 को अधिसूचना जारी की गई थी । इसके लिए तमाम प्रक्रिया पूरी करने के बाद सहकारिता विभाग के उप सचिव पी एस सर्पराज ने 12 अक्टूबर 2020 को 14 नई सोसायटियों का पुनर्गठन प्रस्ताव को अभिप्रमाणित कर प्रकाशित कर दी है । इसके साथ ही जिले में अब सहकारी समितियों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है । सभी स्वतंत्र समितियाँ इसी सत्र से धान खरीदी करेंगी ।
दो नई समितियाँ अस्तित्व में आईं
जिन 14 समितियों की सौगात जिले को मिली है उनमें पाली ब्लाक से निरधी एवं पोंडी उपरोड़ा ब्लाक से कुल्हरिया नई समितियाँ शामिल हैं । जबकि 12 उपकेन्द्र पुनर्गठन के बाद समितियों के रूप में अस्तित्व में आई हैं । उनमें फरसवानी,पिपरिया ,मोरगा ,तिलकेजा ,कोथारी ,कनकी तुमान ,अखरापाली ,नवापारा ,बरपाली ,पठियापाली एवं कोरबी शामिल है
यह होगा लाभ
पुनर्गठन के बाद किसानों को खाद बीज केसीसी के लिए अधिक दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी । नई समिति कुल्हरिया व उससे लगे 10 गांव के किसानों को धान बेचने के लिए 40 से 50 किलोमीटर दूर सिरमिना की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी । इसी तरह उपार्जन केंद्रों से लगे गांव के किसानों को समिति बनने से 10 से 25 किलोमीटर तक कम फासला तय करना पड़ेगा । कनकी के किसानों को खाद बीज केसीसी लोन के लिए बरपाली जाने करीब 15 किलोमीटर का फासला तय नहीं करना पड़ेगा ।
ये उपकेंद्र नहीं बन सके समिति
3 उपकेंद्र समिति (सोसायटी )नहीं बन सके । इनमें कुदुरमाल ,उमरेली एवं केरवाद्वारी शामिल है । बताया जा रहा है ये तीनों उपकेंद्र सोसायटी के निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं आ सके । जिसमें बड़ी मापदंड उपकेंद्र के अंतर्गत किसानों की संख्या व केसीसी लोन की मात्रा बेहद कम होना माना गया है । समिति में कम से कम 4 कर्मचारी होते हैं इनमें प्रभारी प्रबंधक ,सहायक ,विक्रेता , कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं चौकीदार शामिल हैं । जिन्हें नियमित वेतन भुगतान समिति अपनी आय से करती है । इन उपकेंद्रों में किसान बेहद कम केसीसी लोन लेते हैं जिससे समिति बनने के दौरान लाभ बेहद कम नजर आ रहा था । साथ ही समिति से उपकेंद्र की कम दूरी भी एक प्रमुख वजह बताई जा रही है ।
धान नहीं होंगे खराब 149 नग नए चबूतरे बन रहे
पहले ही समितियों में 174 नग चबूतरे बने थे । कलेक्टर किरण कौशल की पहल पर डीएमएफ जे 149 नग नए चबूतरे बनाए जा रहे हैं । जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार के नेतृत्व में सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी इस के जोशी अपनी निगरानी में सभी चबूतरे गुणवत्ता के साथ तैयार करवा रहे हैं । जो लगभग तैयार हो चुके हैं । जिससे धान खराब नहीं होगा । यही नहीं प्रशासन सभी समितियों में शेड निर्माण की भी कार्ययोजना तैयार कर रहा है ताकि आपात स्थिति में धान सुरक्षित रहे ,धान विक्रय करने आने वाले किसानों को छांव मिल सके ।
पंजीयन की मियाद बढ़ी
धान खरीदी के लिए किसान पंजीयन की मियाद पूर्व में 31 अक्टूबर तक थी । लेकिन पूरे प्रदेश में इस बार वन अधिकार पट्टाधारी किसानों का भी धान खरीदी किए जाने के निर्णय के बाद सम्बंधित पत्रधारकों का रकबा भुईयाँ पोर्टल में प्रविष्ट कर गिरदावली से लिंक कर किसान पंजीयन करना चुनोती पूर्ण कार्य था । यह कार्य 31 अक्टूबर तक संभव नजर नहीं आ रहा था । लिहाजा प्रदेश के कृषि मंत्री ने कैबिनेट की बैठक में इसकी मियाद 10 दिन और बढ़ा दी है । अब 10 नवंबर तक किसान पंजीयन किए जाएंगे। जिले में अब तक 24 हजार 460 किसानों का पंजीयन हो चुका है । इन पंजीकृत किसानों ने 37 हजार 557 हेक्टेयर कृषि भूमि में लगे धान की बिक्री के लिए पंजीयन कराया है
कुदमुरा की कर दी अनदेखी
समितियों के पुनर्गठन के दौरान इन बात की पूरी संभावना जताई जा रही थी कि कोरकोमा से श्यांग के बीच एक भी समिति नहीं होने की वजह से कुदमुरा को नई समिति बनाया जाएगा । लेकिन इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई ।प्रस्ताव तैयार कर शासन को नहीं भेजा गया । बता दें कि कोरकोमा से श्यांग 60 किलोमीटर के बीच मे एक भी समिति नहीं है । जबकि इसके दायरे में दर्जनों गांव के हजारों किसान आते हैं । जिन्हें समिति बनने पर इसका लाभ मिलता ।
वर्जन
इसी सत्र से समितियाँ करेंगी धान खरीदी
2 नई समितियों सहित पुनर्गठन पश्चात 14 नई समितियाँ अस्तित्व में आई हैं । सभी समितियों में खरीफ वर्ष से ही धान खरीदी की जाएगी । मापदंड के दायरे में नहीं आने की वजह से 3 उपकेंद्र समितियाँ नहीं बन सकीं । कुदमुरा के लिए आगामी वर्षों में पहल करेंगे ।
बसंत कुमार
उपपंजीयक सहकारी संस्थाएं