मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य, दिव्य और बड़ा ही मनमोहक है। मां कात्यायनी शेर पर सवार रहती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला है। इनकी चार भुजाएं हैं। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। मां कात्यायनी अपने भक्तगणों पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि रखती हैं। वैसे यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती, इस्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमें भद्रकाली और चंडिका भी कहा जाता है।
नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। महिषासुर एक असुर था, जिससे सभी लोग परेशान थे। मां ने इसका वध किया था। इस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। मां कात्यायनी देवी का स्वरूप आकर्षक है।
मान्यता है कि मां कात्यायनी विवाह में आने वाली बाधाओं को भी दूर करती हैं। नवरात्रि में विधि पूर्वक पूजा करने से विवाह संबंधी दिक्कत दूर होती हैं। एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी। माना जाता है कि माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं।
गोधुलि बेला में करें मां कात्यायनी पूजा
नवरात्रि की षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा गोधुलि बेला यानि शाम के समय में करना उत्तम माना गया है। मां कात्यायनी की पूजा विधि पूर्वक करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और शत्रुओं का नाश होता है। रोग से भी मुक्ति मिलती है।
पूजा की विधि
मां कत्यायनी की पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। मां की पूजा आरंभ करने से पूर्व एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां को स्थापित करें। पूजा में पांच प्रकार के फल, पुष्प, मिष्ठान आदि का प्रयोग करें। आज के दिन पूजा में शहद का विशेष प्रयोग किया जाता है। छठे दिन माता कात्यायनी को पीले रंगों से श्रृंगार करना चाहिए।
मां कात्यायनी का प्रिय पुष्प और शुभ रंग-
आज नवरात्रि के छठवें दिन कात्यायनी को लाल रंग का पुष्प खासकर लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में मां की पूजा के दौरान उन्हें गुलाब का पुष्प अर्पित करें।
मां कात्यायनी का भोग-
माता कात्यायनी को शहद सबसे ज्यादा पसंद है।
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥