स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही : पॉजीटिव आने के 3 दिन बाद भी नहीं मिली दवा, पीड़ित परेशान

कोरबा, । कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा स्वास्थ्य विभाग की मदद से संक्रमितों की पहचान करने के साथ ही उनके कान्टेक्ट की ट्रेसिंग, टेस्टिंग और त्वरित उपचार प्रारंभ करने पर जोर दिया जा रहा है। सख्त निर्देशों और व्यवस्था में कसावटों के बाद भी कहीं न कहीं लापरवाही सामने आ रही है। ऐसा ही एक मामला आया है जिसमें पॉजीटिव मरीज मिलने के बाद उसे 3 दिन बाद भी दवाई उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है जबकि कोरोना का नया स्टेन काफी तेज गति से हानि पहुंचाने वाला है।


इस सिलसिले में नगर पालिक निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 12 अंतर्गत चिमनीभांटा निवासी दिलीप कुमार वैष्णव ने स्वयं फोन कर हमें बताया कि सर्दी-जुकाम की शिकायत होने पर वह एसईसीएल के मुड़ापार स्थित अस्पताल गया था। 15 अप्रैल को रैपिड एंटीजेन से टेस्ट कराने पर रिपोर्ट दोपहर करीब 1.30 बजे मिली जो पॉजीटिव निकली। उसे कहा गया कि वह घर जाकर आइसोलेशन में रहे और दवाईयां घर पहुंचा कर संबंधित लोगों के द्वारा दे दी जाएगी। दिलीप ने खुद को अलग कमरे में आइसोलेट कर लिया। 15 अप्रैल को उसके घर दवाई नहीं पहुंची। 16 अप्रैल को उसने जिला प्रशासन द्वारा जारी कंट्रोल रूम के विभिन्न नंबरों सहित मेडिकल सर्विस के नंबर पर भी संपर्क किया तो उसे दूसरों का नंबर देकर बात करने कहा जाता रहा। डॉ. अश्वनी आर्य से भी चर्चा हुई जो स्वयं संक्रमण से जूझ रहे हैं। फिर डॉ. अनिल रात्रे का फोन नंबर दिया गया किंतु यहां से भी कोई राहत नहीं मिली। कुल मिलाकर 17 अप्रैल को भी समाचार लिखे जाने तक देर शाम दिलीप के घर दवा लेकर न तो स्वास्थ्य अमला पहुंचा और न ही नगर निगम के संबंधित कर्मचारी। बता दें कि ऐसा ही मामला विगत दिनों आजाद नगर बरमपुर में भी सामने आया था जहां की एक युवती द्वारा स्वयं टेस्ट कराने के बाद पॉजीटिव आने के बाद होम आइसोलेशन में रहने कह दिया गया किंतु दवाई 48 घंटे बाद भी नहीं मिली। प्रशासनिक अधिकारी को अवगत कराने पर दवाई पहुंचाकर दी गई और अन्य परिजनों का टेस्ट भी हुआ। पीड़ित युवती के परिजनों ने बताया कि आज तक उन्हें कोरोना निगेटिव अथवा पॉजीटिव के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं मिल सकी है और रैपिड एंटीजन से नेगेटिव आने की स्थिति में आरटीपीसीआर जांच के लिए जो सैम्पल भेजा जाता है, वह भी नहीं लिया गया और न ही किसी तरह की सूचना मिली है। यह तो गनीमत है कि परिवार के सारे लोग सकुशल हैं और युवती भी प्राप्त दवा का सेवन कर ठीक हो चुकी है। बता दें कि 48 घंटे तक भी जब युवती के घर दवा नहीं पहुंचाई गई तब उसके परिजन ने अपने एक अन्य कोरोना संक्रमित परिचित से किट के संबंध में जानकारी हासिल कर 400 रुपए खर्च कर बाजार से दवा खरीदी। उसके घर पहुंचते तक प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण निगम अमले ने दवा पहुंचाई किंतु इस तरह की लेट-लतीफी किसी अनहोनी का कारण भी बन सकती है।

यह बात भी सामने आई है कि अनेक जांच केन्द्रों में भीड़ ज्यादा लगने के कारण थक कर कई लोग अगले दिन जांच कराने की सोचकर वापस लौट जा रहे हैं। दूसरा कारण कई केन्द्रों मेें जांच की किट खत्म हो जाने से भी लोगों को वापस लौटना पड़ा है। दोनों ही सूरतों में कई ऐसे लोग भी जांच कराए बगैर वापस लौटे हैं जिनके घर किसी न किसी परिजन की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आई है। इस तरह के हालात अनेक क्षेत्रों में निर्मित हो रहे हैं। हालांकि अवगत होने के बाद ज्यादा किट मंगाकर जांच की व्यवस्था भी केन्द्रों के द्वारा कराई जा रही है।