नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अब अपने काम से सन्यास लेने की घोषणा की है. लेकिन इससे पहले उन्होंने बीजेपी की बंगाल में हार के कारणों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता है और इसमें कोई शक नहीं है. इसी के चलते बीजेपी को 37 से 38 फीसदी वोट भी मिले हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल में सिर्फ दो तरफा लड़ाई होने के चलते बीजेपी इतने वोट मिलने के बाद भी जीत नहीं सकी.
एक न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में प्रशांत किशोर ने कहा कि बंगाल में जीत के लिए 45 प्रतिशत वोटों की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि जीत और हार कई कारणों से होती है.
बीजेपी की बात की जाए तो उन्होंने 2019 के लोकसभा चनाव के कैंपेन मॉडल को ही यहां पर भी लागू किया. लेकिन इन दो सालों में जो बदलाव हैं खासकर सरकार और टीएमसी में उस पर ध्यान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से उनको हार देखनी पड़ी.
टीएमसी की रणनीति कर गई कामकिशोर ने कहा कि टीएमसी की जीत की बड़ी वजह उनकी रणनीति रही. उन्होंने पिछले एक साल में बीजेपी की ताकत, कमजोरी, और प्रचार को देख कर अपनी चुनावी बिसात बिछाई. हालांकि 2019 में टीएमसी ने बीजेपी को गंभीरता से नहीं लिया था इसलिए उन्हें झटका भी लगा था. वहीं इस बार सही रणनीति के चलते उन्हें जीत मिली.
प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का फायदा
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर बात करते हुए कहा कि वे लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं और इसका फायदा बीजेपी को मिलता है. बंगाल में 38 प्रतिशत वोट भी बीजेपी को उनकी लोकप्रियता के चलते ही मिले हैं. उन्होंने कहा कि वे लोकप्रिय हैं ये कहने में कोई नुकसान नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकप्रिय होने, रिसोर्सफुल होने और ताकतवर होने का मतलब ये नहीं है कि आपको जीत ही मिले. इसमें ये देखना जरूरी है कि आपके सामने जो है वो कितना लोकप्रिय है और उसका मैनेजमेंट कैसा है. प्रशांत ने कहा कि यदि आपको 38 फिसदी वोट मिले हैं तो ये साफ है कि आप लोकप्रिय हैं लेकिन किसी को यदि 48 फिसदी वोट मिले हैं तो जीत उसी की है. राजनीति में खुद को 100 और दूसरे को 0 बताया जाता है लेकिन मेरा ये तरीका नहीं है.